जेपी की जयंती पर पीएम ने लोकनायक को किया नमन, कहा- वे लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी, उनका का पूरा जीवन लोकतंत्र समर्पित
नई दिल्ली। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और लोकतंत्र के रक्षक लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर आज पूरे देश में उन्हें याद किया गया। 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा में जन्मे जयप्रकाश नारायण भारतीय राजनीति के ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने न केवल आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि आजाद भारत में लोकतंत्र की रक्षा के लिए भी अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने की श्रद्धांजलि अर्पित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर नमन करते हुए उन्हें सच्चा लोकतंत्र-सेवी बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लोकनायक की कुछ पुरानी तस्वीरें साझा कीं, जिनमें उनकी जेल डायरी और आपातकाल के समय लिखी गई उनकी पुस्तक के पन्ने शामिल थे। पीएम मोदी ने कहा कि “आपातकाल के दौरान लोकनायक जेपी ने कई दिन अकेले जेल में बिताए। उनकी जेल डायरी में उनकी पीड़ा और लोकतंत्र में उनके अटूट विश्वास का प्रमाण मिलता है।” मोदी ने यह भी कहा कि जयप्रकाश नारायण का जीवन भारतीय लोकतंत्र के आदर्शों को समर्पित था। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि लोकनायक जेपी से हर व्यक्ति को सच्चे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की प्रेरणा लेनी चाहिए।
लोकतंत्र की रक्षा के प्रतीक बने लोकनायक
जयप्रकाश नारायण न केवल स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा थे, बल्कि उन्होंने आजादी के बाद भी भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में अपना अहम योगदान दिया। वे हमेशा सत्ता के विरोध में नहीं, बल्कि सच्चाई और न्याय के पक्ष में खड़े रहे। 1970 के दशक में जब देश पर आपातकाल लागू हुआ, तब उन्होंने इंदिरा गांधी की नीतियों के विरुद्ध आवाज उठाई। उन्होंने उस दौर में जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए ‘संपूर्ण क्रांति’ का नारा दिया। यह आंदोलन केवल राजनीतिक नहीं था, बल्कि सामाजिक और नैतिक बदलाव की पुकार भी था। उन्होंने जनता से अपील की थी कि वे भयमुक्त होकर अन्याय और तानाशाही के खिलाफ खड़े हों।
जेल डायरी में दर्ज लोकतांत्रिक वेदना
आपातकाल के समय जयप्रकाश नारायण को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। वहां उन्होंने अपने विचारों और भावनाओं को अपनी प्रसिद्ध ‘जेल डायरी’ में दर्ज किया। इस डायरी में उन्होंने लोकतंत्र के प्रति अपनी निष्ठा और तानाशाही के प्रति अपनी पीड़ा को व्यक्त किया था। उन्होंने लिखा, “भारतीय लोकतंत्र के ताबूत में ठोकी गई हर कील मेरे दिल में ठोकी गई कील के समान है।” यह पंक्ति आज भी हर उस नागरिक के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो स्वतंत्रता, समानता और न्याय के लिए संघर्षरत है।
अमित शाह और नड्डा ने भी किया नमन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। अमित शाह ने कहा कि “जयप्रकाश नारायण ने समानता, सामाजिक सद्भाव और न्याय के आदर्शों को कायम रखते हुए भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत किया।” उन्होंने आगे कहा कि आपातकाल के दौरान भारी संघर्षों के बावजूद जयप्रकाश नारायण ने लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की और देश को तानाशाही के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित किया। शाह ने समाजसेवियों से आग्रह किया कि वे जीवनभर तानाशाही प्रवृत्तियों के विरुद्ध सतर्क रहें और लोकनायक के आदर्शों का अनुसरण करें। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी ट्वीट कर कहा कि “जयप्रकाश नारायण न केवल महान स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि वे लोकतंत्र के परम भक्त भी थे, जिन्होंने जनशक्ति के बल पर भारत को तानाशाही से बचाया।”
संपूर्ण क्रांति की भावना आज भी प्रासंगिक
जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चला ‘संपूर्ण क्रांति आंदोलन’ भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक घटना बन गया। यह आंदोलन केवल सत्ता परिवर्तन का प्रतीक नहीं था, बल्कि यह एक नैतिक और सामाजिक जागृति का प्रतीक था। लोकनायक का मानना था कि देश तभी सशक्त होगा जब हर नागरिक अपने भीतर सुधार लाए और समाज में समानता और न्याय की स्थापना करे। उनके विचार आज भी भारत के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस समय थे। वे कहते थे, “क्रांति का अर्थ केवल शासन बदलना नहीं, बल्कि समाज के हर स्तर पर बदलाव लाना है।” जयप्रकाश नारायण का जीवन भारतीय लोकतंत्र की सच्ची व्याख्या है। उन्होंने सत्ता नहीं, बल्कि सेवा को अपनी राजनीति का आधार बनाया। उनकी सोच, उनके आदर्श और उनकी प्रतिबद्धता आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणास्रोत हैं। प्रधानमंत्री मोदी सहित सभी नेताओं ने जिस तरह से उन्हें श्रद्धांजलि दी, वह इस बात का प्रमाण है कि लोकनायक का प्रभाव आज भी भारतीय राजनीति और समाज में जीवित है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती केवल एक स्मरण दिवस नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा और जनहित के प्रति समर्पण का संदेश देने वाला अवसर है।


