आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर, भीम आर्मी ने दायर की पीआईएल

पटना। जिलाधिकारी की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व सांसद आनंद मोहन गुरुवार को जेल से रिहा हो गए। हालांकि उनके जेल से रिहाई को लेकर एक तरफ सियासत हो रही है तो दूसरी तरफ उनकी रिहाई को चुनौती देते हुए उनके खिलाफ पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। भीम आर्मी के नेता अमर ज्योति ने पीआईएल दायर किया है। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता अलका वर्मा ने कहा मैं किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ कुछ नहीं कर रही हूं। यह पीआईएल बिहार सरकार द्वारा किए गए उस संसोधन के खिलाफ है जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों में भय व्याप्त हो गया है। अलका वर्मा ने कानून में हुए संशोधन को गलत बताया। उन्होंने कहा कि इससे हमारे सेवारत लोकसेवकों का मनोबल गिरेगा। बिहार सरकर ने वर्ष 2016 में कानून में संसोधन कर लोकसेवकों को जो सुरक्षा की गारंटी दी थी, वह अब समाप्त हो गया है। इस निर्णय को लागू करने के पहले सरकार ने लोकसेवकों से किसी प्रकार की मंत्रणा भी नहीं की। अलका वर्मा ने कहा एक पीआईएल पटना हाई कोर्ट में बुधवार को दायर किया गया है और एक आज होगा। हमारा मकसद ऐसे अपराधियों के खिलाफ बिहार सरकार किसी प्रकार की सहानुभूति ना दिखाए यह मनाना है।

बिहार सरकार ने पिछले दिनों उस नियम में संशोधन किया है जिसके तहत किसी लोकसेवक की हत्या के दोषी को सजा पूरी होने के बाद छोड़ने का आदेश राज्य सरकार के अधीन नहीं रहा गया। अब ऐसे दोषी अपनी सजा पूरी करने के बाद तय समय में जेल से छूट जाएंगे। बिहार सरकार द्वारा किए गए बदलाव से बाहुबली आनंद मोहन को बड़ी राहत मिली है। वर्ष 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी। कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन की रिहाई का इतंजार उनके समर्थक लम्बे समय से कर रहे थे। अब नीतीश सरकार के नियम बदलने से आनंद मोहन सहित 27 कैदियों की रिहाई का आदेश जारी हो गया है। राज्य सरकार के निर्णय का कई संगठन और राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं। यहां तक कि आईएएस एसोशिएशन ने भी बिहार सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है। वहीं कृष्णैया की पत्नी उमा ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।