हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध तरीके से कम करने का लक्ष्य है निर्धारित : अश्विनी चौबे
नई दिल्ली। हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध ढंग से कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। भारत चार चरणों- वर्ष 2032 में 10%, वर्ष 2037 में 20%, वर्ष 2042 में 30% और वर्ष 2047 में 80% के साथ इस लक्ष्य को पूरा करेगा। केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा विश्व ओजोन दिवस पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत मॉन्ट्रियल प्रोटोकोल के तहत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। ओजोन क्षरण को रोकने से न केवल अल्ट्रावायलेट वी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोका जा रहा है, अपितु इससे कृषि, पशुओं, जंगलों, समुद्री जीवन तथा नैसर्गिक ईको सिस्टम पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को भी रोका जा रहा है। इन प्रयासों से इसके अतिरिक्त 135 बिलियन टन कार्बन डाइआॅक्साइड के उत्सर्जन को भी कम करने में सहायता मिली है। ओजोन लेयर को बचाने के लिए भारत ने तो मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को शुरू से लागू किया है। भारत ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकोल फंड का उपयोग करते हुए ओजोन क्षरण करने वाले पदार्थों का उत्पादन और उपभोग करना कम करके लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि ओजोन परत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली हाइड्रफ्लोरोकार्बन गैस का न्यूनतम उत्सर्जन हो, इसके लिए इसके लिए भारत सरकार ने इसके सभी स्टेकहोल्डर अर्थात उद्योगों, रिसर्च संस्थानों, संबंधित मंत्रालयों, उपभोक्ताओं को प्लानिंग लेवल पर ही कार्य करने का आह्वान किया एवं प्रयास करके भारत ने अपने लक्ष्य को बहुत कुछ सीमा तक प्राप्त भी कर लिया है। ओजोन संरक्षण के क्षेत्र में हमें जो सफलता मिली है उससे यह कहा जा सकता है कि यदि सभी राष्ट्र एक साथ मिल कर काम करें, वे वित्तीय संसाधनों एवं प्रौद्योगिकी का आपसी हस्तांतरण और मिलकर काम करें तो दुर्लभ लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकते हैं।
बता दें मॉन्ट्रियल प्रोटोकोल ओजोन संरक्षण पर्यावरण दृष्टि से एक महत्वपूर्ण समझौता था। इस मौके पर मंत्रालय के सचिव आरपी गुप्ता सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।