October 28, 2025

दिल्ली में दिवाली पर ग्रीन पटाखे के प्रयोग और बिक्री की अनुमति, सर्वोच्च अदालत ने जारी किया निर्देश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के अवसर पर पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने शर्तों के साथ ग्रीन पटाखों की बिक्री और प्रयोग की अनुमति दी है। यह अनुमति 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक के लिए होगी। अदालत का यह निर्णय लोगों की धार्मिक भावनाओं और पर्यावरण संरक्षण, दोनों के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
दिल्ली सरकार ने मांगी थी मंजूरी
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह अनुरोध किया था कि दिवाली के दौरान ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दी जाए। सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि दीपावली भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रमुख पर्व है, और लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना आवश्यक है। साथ ही, पर्यावरण प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए केवल ‘ग्रीन पटाखों’ को अनुमति दी जानी चाहिए। इस पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह फैसला सुनाया।
ग्रीन पटाखों को मिली सशर्त छूट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि केवल वही पटाखे जलाए जा सकेंगे जिन्हें नेशनल एनवायरोनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट और पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन से प्रमाणित किया गया हो। ये ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम धुआं और प्रदूषण फैलाते हैं। अदालत ने कहा कि त्योहार की खुशियों और पर्यावरण सुरक्षा दोनों को समान महत्व दिया जाना चाहिए। इसलिए ग्रीन पटाखों की अनुमति देते समय संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है।
पटाखे फोड़ने के लिए तय हुआ समय
सुप्रीम कोर्ट ने आतिशबाजी के लिए समय सीमा भी निर्धारित की है। अदालत के अनुसार, दिवाली के दिन सुबह 6 बजे से 7 बजे तक और शाम को 8 बजे से 10 बजे तक ही पटाखे जलाने की अनुमति होगी। यह समय सीमा इस उद्देश्य से तय की गई है ताकि रात में वायु प्रदूषण का स्तर अधिक न बढ़े और ध्वनि प्रदूषण पर भी नियंत्रण रखा जा सके।
दिल्ली-एनसीआर में बाहरी पटाखों पर रोक
अदालत ने साफ निर्देश दिया कि दिल्ली-एनसीआर में बाहर से कोई पटाखे नहीं लाए जा सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में गैर-प्रमाणित पटाखों की तस्करी होती है, जो ग्रीन पटाखों की तुलना में पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। अदालत ने आदेश दिया कि पुलिस और स्थानीय प्रशासन यह सुनिश्चित करें कि बाहर से आए ऐसे पटाखों की बिक्री या इस्तेमाल न हो।
नकली पटाखों पर कड़ी कार्रवाई का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर नकली ग्रीन पटाखे पाए जाते हैं या गैर-प्रमाणित पटाखों की बिक्री होती है, तो संबंधित दुकानदारों के लाइसेंस को तुरंत रद्द कर दिया जाए। अदालत ने पुलिस को पेट्रोलिंग टीम गठित करने का निर्देश दिया है, जो बाजारों और मोहल्लों में निगरानी रखेगी ताकि केवल वैध और प्रमाणित उत्पाद ही बेचे जाएं। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि हर ग्रीन पटाखे पर QR कोड होना अनिवार्य है, जिससे उसकी पहचान और प्रामाणिकता की जांच की जा सके।
प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों को निगरानी का निर्देश
अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनसीआर के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को दिवाली के बाद प्रदूषण की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। यह रिपोर्ट यह बताएगी कि ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल से प्रदूषण के स्तर में कितनी कमी आई और नीति कितनी प्रभावी रही। इस कदम को भविष्य की पर्यावरण नीतियों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक माना जा रहा है।
दिल्ली सरकार ने जताया आभार
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री ने सर्वोच्च अदालत का आभार जताया। उन्होंने कहा कि अदालत का यह निर्णय दीपावली जैसे पवित्र पर्व की भावना का सम्मान करता है और साथ ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिम्मेदारी का भी परिचायक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला “जनभावनाओं और पर्यावरणीय संतुलन” दोनों को साथ लेकर चलने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।
जिम्मेदारी और संतुलन की मिसाल
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक जिम्मेदार दृष्टिकोण को भी दर्शाता है। यह आदेश इस बात का प्रतीक है कि आधुनिक समाज में आस्था और पर्यावरण दोनों का संतुलित सह-अस्तित्व संभव है। अब यह जिम्मेदारी आम नागरिकों की है कि वे अदालत के दिशा-निर्देशों का पालन करें और इस दिवाली को न केवल रोशनी बल्कि स्वच्छता और संवेदनशीलता की मिसाल बनाएं।

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