पटना में बीपीएससी शिक्षक अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, सप्लीमेंट्री रिजल्ट की मांग, सीएम आवास के पास जमकर हुआ हंगामा

पटना। बिहार की राजधानी पटना बुधवार को एक बार फिर शिक्षक अभ्यर्थियों के गुस्से और आंदोलन का केंद्र बन गई। बीपीएससी टीआरई-3 परीक्षा में शामिल उम्मीदवार सप्लीमेंट्री रिजल्ट जारी करने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे और मुख्यमंत्री आवास के पास जमकर हंगामा किया। इन अभ्यर्थियों का कहना है कि वे पिछले छह महीनों से लगातार आंदोलनरत हैं, लेकिन न तो सरकार और न ही आयोग उनकी समस्याओं पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
अभ्यर्थियों की मुख्य मांग
टीआरई-3 के तहत कक्षा 1 से 12 तक लगभग 66 हजार अभ्यर्थियों का रिजल्ट घोषित किया गया था। इनमें लगभग 10 से 15 हजार अभ्यर्थियों का नाम दो-दो और कहीं-कहीं तीन-तीन जगहों पर आ गया। ऐसे में यह स्पष्ट है कि उम्मीदवार केवल एक जगह ही नियुक्ति स्वीकार करेंगे। बाकी स्थान खाली रह जाएंगे। अभ्यर्थियों का तर्क है कि इन खाली जगहों को भरने के लिए आयोग को सप्लीमेंट्री रिजल्ट जारी करना चाहिए ताकि योग्य लेकिन थोड़े अंकों से पिछड़ गए उम्मीदवारों को मौका मिल सके।
लगातार हो रहा आंदोलन
यह पहली बार नहीं है जब अभ्यर्थी अपनी मांग को लेकर सड़क पर उतरे हों। बीते छह महीनों से वे पटना के गर्दनीबाग स्थित धरना स्थल पर आंदोलन कर रहे हैं। कई बार उन्होंने शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री और बीपीएससी कार्यालय तक अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश की। इसके बावजूद अब तक ठोस निर्णय नहीं लिया गया। अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग की चुप्पी उनकी उम्मीदों को तोड़ रही है और उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है।
पुराने विरोध और टकराव की घटनाएं
शिक्षक अभ्यर्थियों का आंदोलन पिछले महीनों में कई बार टकराव की स्थिति तक पहुंच चुका है। 24 मार्च को शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के आवास के बाहर जब अभ्यर्थी पहुंचे, तो उन्होंने मंत्री को घेर लिया और सप्लीमेंट्री रिजल्ट जारी करने की मांग पर अड़े रहे। हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और मंत्री को सुरक्षित बाहर निकालना पड़ा। इसके बाद 4 अप्रैल को अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान भी पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच झड़प हुई। 6 मई को तो स्थिति और बिगड़ गई जब सीएम हाउस घेरने पहुंचे अभ्यर्थियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। प्रदर्शनकारियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया, जिसमें कई लोग घायल हो गए। इन घटनाओं ने न केवल आंदोलन को और तेज किया बल्कि सरकार और आयोग की भूमिका पर सवाल भी उठाए।
सरकार और मंत्री के आश्वासन
शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने 24 मार्च के प्रदर्शन के बाद घोषणा की थी कि वे बीपीएससी को पत्र लिखकर मामले की समीक्षा का अनुरोध करेंगे। उन्होंने कहा था कि सरकार को सप्लीमेंट्री रिजल्ट जारी करने पर कोई आपत्ति नहीं है, अंतिम फैसला आयोग को ही लेना है। मंत्री ने 25 मार्च की शाम तक पत्र लिखने का वादा किया, लेकिन दस दिन बीत जाने के बाद भी आयोग की ओर से कोई सूचना नहीं आई। इससे नाराज होकर अभ्यर्थियों ने एक बार फिर मुख्यमंत्री आवास का रुख किया और विरोध प्रदर्शन किया।
अभ्यर्थियों का तर्क
अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग ने जो रिजल्ट जारी किया है, उसमें बड़ी संख्या में ऐसे उम्मीदवार शामिल हैं जिनका नाम कई जगहों पर आया है। ऐसे उम्मीदवार केवल एक पद पर कार्यभार ग्रहण करेंगे और बाकी सीटें खाली रह जाएंगी। अगर आयोग इन सीटों को भरने के लिए सप्लीमेंट्री रिजल्ट जारी करता है, तो हजारों अन्य योग्य अभ्यर्थियों को रोजगार का अवसर मिल सकता है। उनका मानना है कि ऐसा करना न केवल न्यायसंगत होगा बल्कि शिक्षा व्यवस्था के लिए भी आवश्यक है।
प्रशासन की चुप्पी और भविष्य की चेतावनी
हालांकि अभ्यर्थियों ने कई बार प्रदर्शन किए और शिक्षा मंत्री तक को अपनी बात बताई, फिर भी बीपीएससी की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया गया है। अभ्यर्थियों का कहना है कि यह चुप्पी उन्हें आंदोलन को और व्यापक बनाने के लिए मजबूर कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही सप्लीमेंट्री रिजल्ट जारी नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में वे राज्यव्यापी विरोध शुरू करेंगे। पटना में बीपीएससी शिक्षक अभ्यर्थियों का आंदोलन केवल नौकरी पाने की जिद नहीं है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। अभ्यर्थियों की मांग तर्कसंगत प्रतीत होती है, क्योंकि जो सीटें स्वाभाविक रूप से खाली रह जाएंगी, उन्हें योग्य उम्मीदवारों से भरा जाना चाहिए। लेकिन आयोग और सरकार की उदासीनता इस विवाद को और गहरा रही है। यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है और प्रदेश की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था दोनों के लिए चुनौती बन सकता है।
