औषधीय तत्व से युक्त है ओलार्क सूर्य मंदिर स्थित तालाब का पानी

दुल्हिन बाजार। प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर उलार गांव स्थित प्रसिद्ध द्वापर कालीन ओलार्क सूर्य मंदिर परिसर में मौजूद प्राचीन तालाब औषधीय तत्वो से युक्त है. बताया जाता है कि इस तालाब में स्नान करने से कुष्ट रोग के अलावे बिभिन्न प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है.
       जानकारी के अनुसार सरकार की ओर से इस तालाब के आस पास व तालाब की मिट्टी की जांच कराई गई थी जिसमें जांच के बाद मिट्टी में गन्धक नामक तत्व मौजूद होने की प्रमाण मिली है. जिसके वजह से इस तालाब के जल में भी गन्धक की मौजूदगी है. इन्ही कारणों से इसके जल में स्नान करने से कुष्ट व अन्य प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है.
    वही धार्मिक ग्रन्थ शाम्ब पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार यह एक पवित्र तालाब है. द्वापर युग मे श्रीकृष्ण के जामवंती पुत्र राजा शाम्ब ने महर्षि गर्ग को उपहास कर अपमानित किया था. जिससे क्रोधित होकर महर्षि ने राजा शाम्ब को कुष्ट रोगी होने का श्राप दे दिया था. जिससे मुक्ति के लिए श्रीकृष्ण के बतलाने पर शाकद्वीप से बैध व सूर्य उपासक ब्राह्मणों को बुलाकर यज्ञ करवाया गया व सूर्य मंदिर की स्थापना के साथ इस चमत्कारी तालाब का निर्माण कराया गया था. वही इस तालाब मे स्नान कर मन्दिर में स्थित सूर्य की पूजा के बाद राजा शाम्ब को श्राप से मुक्ति मिली थी.
     ऐसा स्थानीय लोगो का कहना है कि पूर्व समय मे इस तालाब के द्वारा आस पास के खेतो में लगी पौधे की सिंचाई का काम भी लिया जाता था. यह तालाब पांच बीघे जमीन में निर्मित है. जिसके जल शुद्ध होने के कारण पूर्व समय मे ग्रामीणों के द्वारा पीने के उपयोग में भी लाया जाता था. लेकिन मौजूदा समय मे इस तालाब के पवित्र जल का उपयोग पूजा पाठ व औषधी के रूप में चर्म रोगों से मुक्ति के लिए किया जाता है.
        स्थानीय सरपंच रजनीकांत शर्मा ने बताया कि प्रतिवर्ष कार्तिक व चैती छठ पूजा के अवसर पर इस तालाब में लाखों ब्रती स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देते है. वही प्रति रविवार को इस तालाब में स्नान कर हजारो श्रद्धालु सूर्य मंदिर स्थित सूर्य की प्रतिमा पर दुग्ध अर्पित व जलाभिषेक करते है. छठ पूजा के अवसर पर भीड़ को देखते हुए तालाब में बेरिकेटिंग की जाती है. वही उन्होंने कहा कि इस तालाब में स्थायी रूप से बेरिकेटिंग की ब्यवस्था होनी चाहिए।

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