August 19, 2025

2 सालों के बाद दर्शकों के लिए खुलेगा पटना म्यूजियम, 5 अगस्त से संचालन, 50 रुपए लगेगा टिकट

पटना। पटना म्यूजियम को दो वर्षों बाद एक नए स्वरूप में दर्शकों के लिए फिर से खोलने की तैयारी पूरी हो गई है। 5 अगस्त 2024 से यह म्यूजियम फिर से आम जनता के लिए खोला जाएगा। नए भवन और डिजिटल तकनीकों से सुसज्जित इस म्यूजियम में दर्शकों को बिहार की संस्कृति, इतिहास, कला और विरासत से गहराई से रूबरू होने का अवसर मिलेगा। टिकट की कीमत 50 रुपए तय की गई है, जो कि बिहार म्यूजियम की तुलना में आधी है।
बिनाले और विदेशी प्रदर्शनी की तैयारी
7 अगस्त से बिहार म्यूजियम बिनाले का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे। इसके अंतर्गत कुछ विदेशी प्रदर्शनियों को पटना म्यूजियम की अस्थायी गैलरी में रखा जाएगा। इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं।
गंगा गैलरी: बिहार की सांस्कृतिक धारा का चित्रण
म्यूजियम के नए भवन में गंगा गैलरी एक प्रमुख आकर्षण है। इसमें गंगा नदी के उद्गम से लेकर उसकी बिहार में 445 किलोमीटर की यात्रा को ऑडियो-विजुअल और 3D इफेक्ट के माध्यम से दर्शाया गया है। प्रवेश करते ही भगवान शिव की जटाओं से निकलती गंगा की झलक मिलती है। गैलरी में बिहार के सात सांस्कृतिक क्षेत्रों – शाहाबाद, मगध, कोसी, अंग, तिरहुत, मिथिला और सीमांचल – की संस्कृति, त्योहारों और कलाओं का सुंदर प्रदर्शन किया गया है।
पाटली गैलरी: मगध और पाटलिपुत्र का गौरवशाली इतिहास
पाटली गैलरी म्यूजियम का दूसरा हिस्सा है, जो मगध साम्राज्य के इतिहास और विकास को चित्रित करती है। इसमें पाटलिपुत्र के वैभव को दर्शाने के लिए मेगास्थनीज और फाह्यान जैसे यात्रियों के विवरणों को कलाकृतियों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। एक 16 फीट की पाटलिपुत्र की प्रतिकृति डिजिटल मैप के साथ दर्शाई गई है। इस गैलरी में आचार्य चाणक्य का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित होलोग्राम भी दर्शकों से संवाद करेगा।
डिजिटल और तकनीकी नवाचार
म्यूजियम में आधुनिक तकनीक का उपयोग विशेष रूप से देखा जा सकता है। गैलरी में फ्लोर पर गंगा की डिजिटल धाराएं बनाई गई हैं, जिन पर लोग चल सकते हैं। दर्शकों की जानकारी के लिए QR कोड लगाए गए हैं। महर्षि पाणिनि की अष्टाध्यायी की डिजिटल किताब भी उपलब्ध है, जिसमें टच से पन्ने पलटे जा सकते हैं।
स्कल्पचर गार्डन: धर्म और कला का संगम
मूर्ति वाटिका या स्कल्पचर गार्डन में कुल 102 मूर्तियों का संग्रह है। इसे हिंदू और बौद्ध खंड में विभाजित किया गया है। हिंदू खंड में शक्ति, शिव, विष्णु, सूर्य आदि की मूर्तियां हैं जबकि बौद्ध खंड में बुद्ध की प्रतिमा केंद्र में रखी गई है। इसके चारों ओर संबंधित देवी-देवताओं को दर्शाया गया है।
पुरातात्विक धरोहर और स्थापत्य सौंदर्य
म्यूजियम में 20 करोड़ वर्ष पुराना जीवाश्म वृक्ष, केसरिया स्तूप, राम रेखा घाट, चिरांद और पांड़ जैसे स्थलों के अवशेष प्रदर्शित हैं। साथ ही विभिन्न लोककलाओं – मंजूषा, मधुबनी, टिकुली – और लोक नृत्यों जैसे झिझिया, बिदेसिया, सोहर की आकृतियां भी प्रदर्शित हैं।
नई संरचना और सुविधाएं
नए भवन में तीन खंड बनाए गए हैं। दक्षिणी खंड में स्वागत कक्ष, कैफेटेरिया, कार्यक्रम कक्ष और अस्थायी गैलरी है। उत्तरी खंड में प्रशासनिक कार्यालय, संरक्षण प्रयोगशाला और संग्रहण कक्ष हैं। कुल मिलाकर, यह नव निर्मित पटना म्यूजियम दर्शकों को एक अद्भुत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक यात्रा पर ले जाने को तैयार है।

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