October 28, 2025

पटना में चुनाव को लेकर प्रशासन अलर्ट, पदाधिकारियों की छुट्टी रद्द, डीएम ने जारी किया निर्देश

पटना। राजधानी पटना में जिला प्रशासन आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। इस बार चुनाव की विशेषताओं में यह भी शामिल है कि यह मुख्यतः दीपावली और छठ जैसे बड़े त्योहारों के समय के आस-पास आयोजित हो रहा है। ऐसे में कानून-व्यवस्था बनाए रखना और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।
छुट्टियां रद्द और आदेश जारी
पटना के जिला अधिकारी त्यागराजन ने 7 अक्टूबर 2025 से लागू आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सभी स्तर के अधिकारियों की छुट्टियां अगले आदेश तक रद्द कर दी हैं। इस फैसले का तत्काल प्रभाव से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। चाहे वह जिला स्तरीय अधिकारी हों, अनुमंडल स्तरीय या प्रखंड स्तरीय, सभी को अपने-अपने मुख्यालयों पर मौजूद रहना होगा।
आदर्श आचार संहिता के तहत सख्ती
आदर्श आचार संहिता लागू होने का उद्देश्य चुनाव की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। इस अवधि में प्रशासन के सभी अंग सक्रिय रहते हैं, ताकि चुनाव प्रक्रिया सुचारू रूप से चले और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो। इस बार की स्थिति कठिन है क्योंकि चुनाव का समय प्रमुख त्योहारों के साथ लगभग मेल खा रहा है।
त्योहारों के दौरान अतिरिक्त सतर्कता
डीएम त्यागराजन के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि दीपावली और छठ पर्व जैसे अवसरों पर भी किसी प्रकार की प्रशासनिक ढील नहीं दी जाएगी। इन त्योहारों पर सार्वजनिक स्थानों पर बड़ी भीड़ जमा होती है, जिससे सुरक्षा और व्यवस्था संबंधी चुनौतियां बढ़ जाती हैं। खासकर छठ पर्व के दौरान घाटों और पूजा स्थलों पर भारी भीड़ उमड़ती है, जिसके लिए प्रशासन को अलग से योजनाएं बनानी पड़ती हैं।
अधिकारियों की जिम्मेदारियां
जारी आदेश के अनुसार, सभी अधिकारी अपने तय दायित्वों का निर्वहन करें और छुट्टी के दिनों में भी मुख्यालय में मौजूद रहें। यदि किसी अधिकारी को किसी विशेष परिस्थिति में मुख्यालय से बाहर जाना आवश्यक हो, तो इसके लिए पहले जिला अधिकारी से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। यदि कोई अधिकारी बिना अनुमति मुख्यालय छोड़ता है, तो इसे गंभीरता से लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
चुनावी और त्योहार प्रबंधन में संतुलन
इस बार प्रशासन को एक साथ दो महत्वपूर्ण कार्यों का सामना करना है। पहला, विधानसभा चुनाव की पूरी प्रक्रिया का निगरानी और क्रियान्वयन; और दूसरा, त्योहारों के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखना। चुनावी प्रक्रिया में मतदान केंद्रों की सुरक्षा, मतदानकर्मियों की नियुक्ति और प्रबंधन, ईवीएम मशीनों की सुरक्षा समेत कई कार्य शामिल हैं। वहीं, त्योहारों के दौरान भीड़ नियंत्रण, यातायात व्यवस्था और सुरक्षा योजनाएं लागू करनी पड़ती हैं।
बड़े पैमाने पर जन गतिविधियां
त्योहारों के समय लोगों की आवाजाही काफी बढ़ जाती है। दीपावली के समय बाजारों में भीड़ और खरीदारी बढ़ जाती है, जबकि छठ पर धार्मिक अनुष्ठानों के लिए हजारों लोग नदी घाटों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर पहुंचते हैं। ऐसे हालात में भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा, और यातायात नियंत्रण के लिए पर्याप्त पुलिस और प्रशासनिक बल तैनात करने की आवश्यकता होती है।
स्थिति की चुनौतियां
चुनावी मौसम में राजनीतिक गतिविधियां तेज होती हैं। रैलियां, जनसभाएं और प्रचार के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इसके साथ ही त्योहारों की तैयारियां और आयोजन भी चलते हैं। इन दोनों परिस्थितियों को संभालना प्रशासन के लिए एक कठिन कार्य है क्योंकि किसी भी घटना या विवाद का प्रभाव चुनावी माहौल और सामाजिक सौहार्द पर पड़ सकता है।
प्रशासन की रणनीतियां
इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रशासन ने अधिकारियों को पूरी तरह सतर्क और सक्रिय रहने के निर्देश दिए हैं। त्योहारों से पहले और बाद में सार्वजनिक स्थानों, बाजारों और घाटों पर सुरक्षा उपाय बढ़ाने की योजना बनाई गई है। इसके साथ ही चुनावी प्रक्रिया के लिए मतदान कर्मियों की समय पर तैनाती, आवश्यक सामग्रियों का वितरण और चुनाव के दिन व्यवस्था सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। डीएम त्यागराजन का यह आदेश स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि प्रशासन ने चुनावी और त्योहार संबंधी चुनौतियों को गंभीरता से लिया है। छुट्टियां रद्द करने और अधिकारियों को मुख्यालय में तैनात रखने का निर्णय इस उद्देश्य से लिया गया है कि किसी भी स्थिति से तुरंत निपटा जा सके। विधानसभा चुनाव और बड़े त्योहारों का यह संयोजन प्रशासन की कार्यक्षमता और तत्परता का बड़ा परीक्षण होगा।

You may have missed