रविवार को शतभिषा नक्षत्र में पूरे दिन मनेगी अनंत चतुर्दशी, जाने पूजा का शुभ मुहूर्त
पटना। भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह अनंत पर्व कल यानि रविवार 23 सितंबर को शतभिषा नक्षत्र में पूरे दिन मनाया जायेगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। वहीं अनंत चतुर्दशी को अनंत व्रत करने का भी महत्व होता है। इस चतुर्दशी को भगवान अनंत यानि भगवान विष्णु का व्रत और पूजा की जाती है। इस नक्षत्र में भगवान विष्णु की पूजा करने से आरोग्यता व निरोग काया का वरदान मिलता है। अनंत पूजा के बाद अनंत सूत्र बांधने से मुसीबतों से रक्षा एवं साधकों का कल्याण भी होता है।
कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने कहा कि इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना बहुत उत्तम माना जाता है। इस दिन घरों में सत्यनारायण की कथा भी सुनी जाती है। भगवान श्री हरि अनंत चतुर्दशी का उपवास करने वाले उपासक के दुखों को दूर करते हैं और उसके घर में धन धान्य से संपन्नता लाकर उसकी विपन्नता को समाप्त कर देते हैं। पूजा करने के बाद अनंत सूत्र का मंत्र “ॐ अनन्ताय नमः”पढ़कर पुरुष अपने दाहिने हाथ के बांह पर और स्त्री बाएं हाथ की बांह में बांधे। महिलाएं इस दिन सौभाग्य की रक्षा और सुख के लिए इस व्रत को करती हैं और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए यह व्रत करते हैं। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार चौदह वर्षों तक यह व्रत किया जाए तो विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
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अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः 06:09 बजे से पुरे दिन है I
अनंत चतुर्दशी का महत्व: ज्योतिषी पं राकेश झा के बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई । यह भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी। इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे। इसलिए अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है।
अनंत चतुर्दशी की प्रचलित कथा: पंडित झा के कहा कि महाभारत की कथा के अनुसार कौरवों ने छल से जुए में पांडवों को हरा दिया था। इसके बाद पांडवों को अपना राजपाट त्याग कर वनवास जाना पड़ा। इस दौरान पांडवों ने बहुत कष्ट उठाए। एक दिन भगवान श्री कृष्ण पांडवों से मिलने वन पधारे। भगवान श्री कृष्ण को देखकर युधिष्ठिर ने कहा कि, हे मधुसूदन हमें इस पीड़ा से निकलने का और दोबारा राजपाट प्राप्त करने का उपाय बताएं। युधिष्ठिर की बात सुनकर भगवान ने कहा आप सभी भाई पत्नी समेत भाद्र शुक्ल चतुर्दशी का व्रत रखें और अनंत भगवान की पूजा करें। इस पर युधिष्ठिर ने पूछा कि, अनंत भगवान कौन हैं? इनके बारे में हमें बताएं। इसके उत्तर में श्री कृष्ण ने कहा कि यह भगवान विष्णु के ही रूप हैं। चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं। अनंत भगवान ने ही वामन अवतार में दो पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया था। इनके ना तो आदि का पता है न अंत का इसलिए भी यह अनंत कहलाते हैं I इसीलिए इनके पूजन से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे। इसके बाद युधिष्ठिर ने परिवार सहित यह व्रत किया और पुन: उन्हें हस्तिनापुर का राज-पाट मिला।