जीवन के उलझे सवालों का जवाब देना ही दर्शनशास्त्र का बुनियादी उद्देश्य: प्रो. रामजी सिंह

टीपीएस कॉलेज में शिक्षक दिवस पर व्याख्यान आयोजित

पटना। स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग एवं बिहार दर्शन परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शिक्षक दिवस समारोह में दर्शनशास्त्र के क्रियात्मक आयाम विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया है। जीवन के उलझे सवालों का जवाब देना ही दर्शनशास्त्र का बुनियादी उदेश्य है। इन उलझनों को दूर करना ही दर्शन का उदेश्य है। बिना आध्यमिकता के संभव नहीं है। भौतिकता की आंधी दौड़ में हमने अपने पर्यावरण का भी नाश कर दिया है, जिसका समाधान अपरिग्रह के द्वारा ही संभव है। दर्शनशास्त्र का यही क्रियात्मक पहलू है कि हम विश्व को केन्द्र में रखें और आणविक युद्ध के कगार पर खड़ी दुनिया को बचाने का सामूहिक प्रयास करें। उक्त बातें टीपीएस कॉलेज में शिक्षक दिवस व्याख्यान देते हुए प्रसिद्ध गांधीवादी एवं पूर्व सांसद प्रो. रामजी सिंह ने कही। वहीं प्रो. आई.एन. सिन्हा ने इस विषय को विस्तार देते हुए कहा कि हाथ, हृदय एवं मस्तिष्क के बीच संतुलन रखा कर दर्शन के क्रियात्मक पहलू को परखा जा सकता है। दर्शन का क्रियात्मक आयाम विश्व स्तर पर मानवता की भलाई के लिए दिशा प्रदान करता है। प्रो. आर.सी. सिन्हा ने धर्म को दर्शन के साथ जोड़ कर देखने पर जोर दिया और कहा कि इसी के द्वारा दर्शन का क्रियात्मक पक्ष मजबूत होगा। इसके लिए वैश्विक नीति बनाना समय की सबसे बड़ी जरूरत है। दर्शन परिषद बिहार के अध्यक्ष प्रो. बी.एन.ओझा ने अपने संबोधन में दर्शनशास्त्र के पाठ्यक्रम में बदलाव पर जोर दिया और कहा कि दर्शन में तर्क एंव नीतिशास्त्र के आयाम को प्राथमिक स्तर के पाठ्यक्रम से जोड़ने की जरूरत है, ताकि विद्यार्थी इसकी ओर आकर्षित हो सकें। यह दर्शन का क्रियात्मक पक्ष होगा।
स्वागत भाषण देते हुए दर्शनशास्त्र विभाग के प्राध्यापक एवं बिहार दर्शन परिषद के महासचिव डॉ. श्यामल किशोर ने कहा कि शिक्षक दिवस को एक रस्म के रूप में नहीं बल्कि शिक्षकों के प्रति शिष्य को सदैव समर्पण का भाव रखना चाहिए, यही दरअसल सर्वपल्ली राधाकृष्णन को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। समारोह का संचालन डॉ. जावेद अख्तर खां ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. रूपम ने किया। इस अवसर पर प्रो. युगल किशोर सिंह, प्रो. शैलेश कुमार, प्रो. सत्या सिन्हा, प्रो. प्रेमी कुमार डॉ. प्रभास कुमार, डॉ. नागेन्द्र मिश्रा, प्रो. पूनम सिंह, डॉ. विजय कुमार सिंहा, डॉ. शशि भूषण चैधरी, डॉ. अबू बकर रिजवी, डॉ. मुकेश कुमार चैरसिया, डॉ. उदय कुमार, मनीष चौधरी, अवनीत कुमार एवं विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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