राजस्थान से पाकिस्तानी जासूस गिरफ्तार, आईएसआई को भेज रहा था जानकारियां, पुलिस की पूछताछ जारी
अलवर। राजस्थान के अलवर जिले से एक बड़ा जासूसी मामला सामने आया है जिसने राज्य की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। इंटेलिजेंस विभाग ने अलवर निवासी मंगत सिंह को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी 10 अक्टूबर को देर शाम हुई थी और तब से विभिन्न खुफिया एजेंसियां उससे लगातार पूछताछ कर रही हैं।
गिरफ्तारी और प्रारंभिक जांच
राजस्थान इंटेलिजेंस ने यह कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के बाद की, जब सेना से जुड़े संवेदनशील इलाकों पर निगरानी और सख्त कर दी गई थी। इस दौरान अलवर के गोविंदगढ़ इलाके में रहने वाले मंगत सिंह की गतिविधियां संदिग्ध पाई गईं। इंटेलिजेंस के अधिकारियों को जानकारी मिली थी कि वह लंबे समय से पाकिस्तान के दो मोबाइल नंबरों से संपर्क में था। उसके मोबाइल की जांच में यह भी सामने आया है कि एक नंबर हनी ट्रैप से जुड़ा हुआ था, जबकि दूसरा पाकिस्तान का नंबर था जिसके माध्यम से वह सीधे आईएसआई के संपर्क में था।
सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारी का लीक होना
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि मंगत सिंह पिछले दो सालों से पाकिस्तानी एजेंटों से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के जरिए संपर्क में था। उसने अलवर सेना छावनी और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों से जुड़े कई अहम दस्तावेज़ और जानकारियां पाकिस्तान को भेजी थीं। बताया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी उसने कई बार सेना की गतिविधियों की जानकारी भेजी थी। यह सबूत उसके मोबाइल फोन से मिले डेटा के बाद स्पष्ट हुए हैं। फिलहाल पुलिस और इंटेलिजेंस टीमें उस मोबाइल से मिली तकनीकी जानकारी की गहराई से जांच कर रही हैं।
पैसों का लेनदेन और विदेशी कनेक्शन
मंगत सिंह को जासूसी के बदले पाकिस्तान से कई बार आर्थिक लाभ भी मिला है। जांच में पाया गया है कि उसके बैंक खातों में कई संदेहास्पद ट्रांजेक्शन हुए हैं। इंटेलिजेंस डीआईजी राजेश मील ने बताया कि मंगत को पाकिस्तान से नियमित रूप से पैसे भेजे जाते थे, और यह आर्थिक लेनदेन एक सुनियोजित नेटवर्क के तहत किया जा रहा था। एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि किस माध्यम से और कितनी बार उसे पैसा भेजा गया।
हनी ट्रैप के जाल में फंसने की कहानी
पूरी जांच में यह पहलू भी सामने आया है कि मंगत सिंह एक हनी ट्रैप के जाल में फंस गया था। एक पाकिस्तानी नंबर से बात करने के दौरान वह भावनात्मक रूप से प्रभावित हुआ और धीरे-धीरे सेना से जुड़ी जानकारी साझा करने लगा। आईएसआई के एजेंटों ने उस पर इतना भरोसा कर लिया कि वे उससे सीधे संपर्क में रहने लगे। यह भी पता चला है कि जासूसी का यह जाल पहले से तैयार था और मंगत सिंह को धीरे-धीरे उसमें फंसाया गया।
लगातार पूछताछ और नए खुलासे
गिरफ्तारी के बाद से अब तक कई एजेंसियां उससे संयुक्त रूप से पूछताछ कर रही हैं। उसके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, खासकर मोबाइल व लैपटॉप से कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं। पूछताछ के दौरान यह भी पता चला है कि सेना से जुड़ी कई जानकारियां, जिनमें कैंट क्षेत्र की तस्वीरें, ड्यूटी शेड्यूल और कर्मचारियों से संबंधित जानकारी शामिल हैं, उसने आईएसआई को भेजी थीं। पुलिस मान रही है कि उसका नेटवर्क सिर्फ अलवर तक सीमित नहीं था, बल्कि अन्य जिलों तक भी फैला हो सकता है।
इंटेलिजेंस की बढ़ी सतर्कता
मंगत सिंह की गिरफ्तारी के बाद इंटेलिजेंस विभाग ने राजस्थान के सभी सैन्य इलाकों और संवेदनशील ठिकानों पर निगरानी बढ़ा दी है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से राज्य में खुफिया गतिविधियों को लेकर विशेष अलर्ट जारी किया गया है। एजेंसियां सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर संदिग्ध कनेक्शन और लेनदेन की भी निगरानी कर रही हैं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। यह मामला इस बात की गंभीर चेतावनी है कि दुश्मन देश किस तरह सोशल मीडिया, हनी ट्रैप और आर्थिक लालच के माध्यम से भारतीय नागरिकों को अपने जाल में फंसा रहा है। मंगत सिंह का मामला केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक संकेत है कि साइबर जासूसी का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जांच एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं ताकि भविष्य में कोई और भारतीय नागरिक दुश्मन के ऐसे जाल में न फंसे।


