October 31, 2025

तेजस्वी का मोदी और शाह पर हमला, कहा- बाहरी लोग बिहार पर कब्जा चाहते, हमलोग ऐसा होने नहीं देंगे

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक बयानबाजी तेज होती जा रही है। गुरुवार को राजद नेता तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर सीधा हमला बोला। उन्होंने भाजपा नेतृत्व पर आरोप लगाते हुए कहा कि “बाहरी लोग” बिहार को अपना उपनिवेश बनाना चाहते हैं, लेकिन राज्य की जनता इस बार ऐसा होने नहीं देगी। तेजस्वी ने दावा किया कि यह चुनाव बिहार की अस्मिता, स्वाभिमान और भविष्य से जुड़ा हुआ है। तेजस्वी यादव ने कहा, “ये लोग बिहार को कब्ज़ाना चाहते हैं। उन्हें बिहार के विकास या जनता की भलाई से कोई मतलब नहीं है। पिछले 20 साल से इनकी सरकार या इनके सहयोगी ही सत्ता में हैं, लेकिन बिहार आज भी बेरोजगारी, पलायन और गरीबी से जूझ रहा है।” उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि यह बिहार को “नया बनाने का सुनहरा मौका” है और लोगों को एकजुट होकर भाजपा के “बाहरी एजेंडे” का विरोध करना चाहिए।
अमित शाह के बयान पर पलटवार
दरअसल, कुछ दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने एक जनसभा में कहा था कि बिहार में “भूमि की कमी” के कारण उद्योग लगाना मुश्किल है। इस बयान पर तेजस्वी यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि भाजपा बिहार को सिर्फ “वोट बैंक” के रूप में देखती है, लेकिन निवेश और उद्योग गुजरात में लगाती है। तेजस्वी ने कहा, “अगर अमित शाह को बिहार के विकास की चिंता होती, तो वे यहां उद्योग लगाने की बात करते। वे बिहार को समझाना चाहते हैं कि यहां कुछ नहीं हो सकता, लेकिन बिहार की जनता अब जाग चुकी है। यह राज्य गरीब जरूर है, लेकिन आत्मसम्मान से भरपूर है। अब बिहार के लोग ठान चुके हैं कि बिहार को आगे हम ही बढ़ाएंगे, बाहरी लोग नहीं।” उन्होंने आगे कहा कि अगर भाजपा और एनडीए की सरकार फिर से सत्ता में आई, तो बिहार एक बार फिर “विकास से पिछड़ जाएगा”। यह चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि बिहार के सम्मान और भविष्य की दिशा तय करने का चुनाव है।
सरकार पर मतदाताओं को प्रभावित करने का आरोप
राजद नेता ने भाजपा सरकार पर चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने का भी गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार ने 10 लाख महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये चुनाव से ठीक पहले डाले हैं, जो आचार संहिता का खुला उल्लंघन है। तेजस्वी ने कहा, “24 तारीख को सरकार ने यह राशि ट्रांसफर की है। जब 20 सालों तक कुछ नहीं किया गया, तो अब अचानक पैसा क्यों बांटा जा रहा है? यह साफ तौर पर चुनावी रिश्वत है।” उन्होंने चुनाव आयोग की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग को इस पूरे मामले का संज्ञान लेना चाहिए। “चुनाव आयोग कहां है? क्या वह नहीं देख रहा कि सरकार खुलेआम आचार संहिता का उल्लंघन कर रही है?”
‘बिहार का भविष्य दांव पर’
तेजस्वी यादव ने जनता से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि यह चुनाव केवल किसी सरकार को बदलने का नहीं, बल्कि बिहार को रोजगार, उद्योग और सम्मान दिलाने का है। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब बहकावे में नहीं आएगी और विकास, शिक्षा तथा रोजगार को प्राथमिकता देगी। तेजस्वी ने कहा, “हम बिहार को आत्मनिर्भर, शिक्षित और रोजगारयुक्त राज्य बनाना चाहते हैं। हमारा वादा है कि सरकार में आने के बाद हम युवाओं को रोजगार, किसानों को सम्मान और हर वर्ग को सुरक्षा देंगे।”
राजनीतिक हलचल तेज
तेजस्वी यादव के इस बयान से बिहार की सियासत में नई हलचल मच गई है। भाजपा नेताओं ने उनके आरोपों को बेबुनियाद बताया है, जबकि राजद ने इसे “बिहार के सम्मान की लड़ाई” करार दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी का यह बयान एनडीए के “डबल इंजन सरकार” के नारे के जवाब में “बिहारी बनाम बाहरी” की नई बहस को जन्म दे सकता है। चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में प्रवेश कर चुके बिहार में अब सभी दल अपने-अपने मुद्दों को धार देने में जुट गए हैं। जहां भाजपा विकास और स्थिरता की बात कर रही है, वहीं तेजस्वी यादव जातीय संतुलन और रोजगार के मुद्दे पर जनता को लामबंद करने की रणनीति अपना रहे हैं।

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