वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बढ़ी बाघों की संख्या, 8 नए मेहमान के बाद संख्या हुई 45

बिहार। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पिछले तीन सालों में बाघों की संख्या डेढ़ गुणा बढ़ी है। वर्ष 2020-21 में बाघों की गणना के लिए लगाए गए कैमरा ट्रैप में 45 बाघ और आठ शावक वीटीआर में होने की पुष्टि वन प्रशासन ने की है। बता दें कि इससे पहले 2018 में जानवरों की गणना हुई थी। तब वीटीआर में 33 बाघ और सात शावक थे। जंगल में बाघों की बढ़ती संख्या से वीटीआर प्रशासन गदगद है। यह पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बेहतर संकेत हैं। बढ़ती संख्या से पर्यटकों को बाघों को देखने का रोमांच आसानी से मिल सकेगा।

वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय ने बताया कि बाघों की संख्या बढ़ना हर दृष्टि से बेहतर है। वीटीआर में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। निगरानी व सुरक्षा के लिए वन अधिकारियों के नेतृत्व में वनकर्मियों की टीम को बाघों के कोर क्षेत्र में गश्ती के लिए लगाया गया है। उन्होंने बताया कि 2014 की गणना में 22 व 2006-10 में वीटीआर में 10 बाघ पाए गए थे।
42 की जगह दो वनपाल व 11 की जगह सात क्षेत्र अधिकारी
वीटीआर में वनपालों और रेंजर की कमी है। 42 स्वीकृत पद की जगह दो वनपाल ही वीटीआर में कार्यरत हैं। इसी तरह 11 स्वीकृत पद की जगह सात क्षेत्र अधिकारी (रेंजर) कार्यरत हैं। इसमें भी तीन रेंजर संविदा पर नियुक्त हैं। ये तीनों भी दो साल के भीतर सेवानिवृत्त हो जाएंगे। वीटीआर में तीन एसीएफ के पद स्वीकृत हैं। इसमें मात्र एक एसीएफ मदनपुर रेंज में प्रभार में तैनात हैं। बाकी सर्किल व डीविजन एक खाली ही है।
1400 हेक्टेयर का ग्रास लैंड बढ़ा रहा जानवरों की संख्या
वीटीआर में 1400 हेक्टेयर में ग्रासलैंड तैयार किया गया है। यह शाकाहारी के साथ मांसाहारी जानवरों के लिए बेहतर है। चीतल, हिरण, गौर समेत अन्य जानवरों के बढ़ने से बाघों को आसानी से शिकार मिल जा रहा है। वीटीआर के जंगलों में 2015-16 में आठ सौ हेक्टेयर ग्रासलैंड था। अब यह 1400 हेक्टेयर हो गया है। इनमें 48 शिकार निरोधी शिविर बनाए गए हैं।
अधर में सशस्त्र टाइगर फोर्स का गठन, लाठियों से बाघों की सुरक्षा
बिहार के इकलौते टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा के लिए सशस्त्रत्त् टाइगर फोर्स का गठन अधर में लटका हुआ है। लाठियों के सहारे वनकर्मी बाघों की सुरक्षा में जुटे हैं। हथियारबंद तस्कर व शिकारी कई बार वनकर्मियों पर हमला बोल चुके हैं। अब बाघों की संख्या बढ़ने से उनकी सुरक्षा किसी चुनौती से कम नहीं है।