पटना के सरकारी अस्पतालों में कोरोना जांच की सुविधा नहीं, निजी लैब ही सहारा, 1400 रुपए तक कीमत

पटना। बिहार में करीब 14 महीने की राहत के बाद बिहार में कोरोना वायरस एक बार फिर लौट आया है। राजधानी पटना में कोविड के दो नए मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। दोनों मरीजों की पुष्टि पटना के एक निजी अस्पताल पारस में हुई है। इनमें से एक मरीज ने कंकड़बाग स्थित एक निजी लैब में भी जांच करवाई थी, जहां उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। हालांकि अच्छी बात यह रही कि इलाज के बाद मरीज स्वस्थ होकर घर लौट गया।
मामले गंभीर नहीं, लेकिन खतरे की अनदेखी ठीक नहीं
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि मौजूदा मामलों की गंभीरता बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन लक्षणों को नजरअंदाज करना आने वाले समय में भारी पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की शुरुआत अक्सर मामूली लक्षणों से होती है, लेकिन लापरवाही से यह बड़े संक्रमण में तब्दील हो सकता है। इसलिए सतर्कता अभी भी जरूरी है।
सरकारी अस्पतालों में नहीं हो रही जांच
सबसे चिंताजनक बात यह है कि पटना के किसी भी सरकारी अस्पताल में फिलहाल कोरोना की जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है। पिछले एक साल से सरकारी स्तर पर यह व्यवस्था बंद पड़ी है। सिविल सर्जन कार्यालय ने जानकारी दी है कि अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं आया है कि निःशुल्क जांच सेवा फिर से शुरू की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जैसे ही आदेश मिलेगा, जांच सेवा दोबारा बहाल कर दी जाएगी।
निजी लैब्स ही एकमात्र विकल्प, 1000 से 1400 रुपये जांच का शुल्क
फिलहाल जिन लोगों को कोरोना की जांच करानी है, उन्हें निजी लैब्स का ही सहारा लेना पड़ रहा है। इन लैब्स में आरटी-पीसीआर टेस्ट की कीमत 1000 से 1400 रुपये तक है, जो आम लोगों के लिए काफी महंगी है। खासतौर पर दिहाड़ी मजदूरों और निम्न आय वर्ग के लिए यह खर्च वहन कर पाना मुश्किल है। इस वजह से कई बार लोग लक्षण होने के बावजूद जांच नहीं कराते, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा और बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस का खतरा पूरी तरह टला नहीं है। यदि किसी को सर्दी, खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हों, तो उसे लापरवाही न कर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। मास्क पहनना, हाथों की साफ-सफाई रखना और भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूरी बनाना अब भी जरूरी है। भले ही संक्रमण के मामले अभी सीमित हैं, लेकिन सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है।
सरकार से फिर शुरू करने की मांग
जनता और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से यह मांग उठ रही है कि सरकार को फिर से सरकारी अस्पतालों में मुफ्त कोरोना जांच की सुविधा शुरू करनी चाहिए। इससे संभावित संक्रमण को समय रहते रोका जा सकेगा और महामारी के दोबारा फैलने की आशंका कम होगी। सरकारी अस्पतालों में जांच सेवा बहाल होने से आम लोगों में भी जांच के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और वे बिना किसी आर्थिक दबाव के टेस्ट करवा सकेंगे।
जनता को रहना होगा सतर्क
कोरोना वायरस फिर से लौट आया है, भले ही धीमी रफ्तार से। लेकिन लापरवाही इस संक्रमण को दोबारा विकराल रूप दे सकती है। इसलिए जरूरी है कि लोग फिर से स्वास्थ्य नियमों का पालन करें और सरकार भी समय पर जरूरी कदम उठाए। तभी संक्रमण पर समय रहते नियंत्रण पाया जा सकेगा।
