भूमि सुधार विभाग में जल्द होगी नए कर्मचारियों की भर्ती, 7480 कर्मी संविदा पर होंगे बहाल

पटना। बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाते हुए उन संविदा विशेष सर्वेक्षण कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं, जिन्होंने हड़ताल खत्म करने की अंतिम समय सीमा के बाद भी काम पर वापसी नहीं की। विभाग के अनुसार, राज्यभर में कुल 7480 कर्मचारी ऐसे थे, जो सरकार की चेतावनी के बावजूद ड्यूटी पर वापस नहीं लौटे। अब सरकार ने उनके पदों को रिक्त घोषित कर दिया है और नई बहाली प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य के विशेष सर्वेक्षण कर्मी पिछले कई महीनों से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर असंतोष जता रहे थे। इनमें प्रमुख मुद्दे वेतन विसंगति, नौकरी की स्थिरता, और बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता थे। कर्मचारियों का आरोप था कि उनसे स्थायी कर्मचारियों के बराबर कार्य लिया जा रहा है, लेकिन उन्हें न तो उचित वेतन मिल रहा है और न ही सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी सुविधाएं, जैसे ईएसआईसी और ईपीएफ का लाभ। साथ ही, वर्षों की सेवा देने के बावजूद उनकी नौकरी अस्थायी ही बनी हुई है। इन परिस्थितियों से आक्रोशित होकर बड़ी संख्या में संविदा कर्मियों ने हड़ताल का रास्ता अपनाया। हड़ताल बढ़ने पर सरकार ने तीन सितंबर 2025 की शाम 5 बजे तक का समय दिया कि सभी हड़ताली कर्मचारी काम पर लौट आएं, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस चेतावनी के बाद कुछ कर्मी मान गए और 3295 कर्मचारी ड्यूटी पर लौट आए, लेकिन अधिकांश यानी 7480 कर्मी हड़ताल पर अड़े रहे। परिणामस्वरूप, भू अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय ने इन कर्मियों की सेवाएं औपचारिक रूप से समाप्त कर दीं और उनके पदों को रिक्त घोषित कर दिया। यह उल्लेखनीय है कि विशेष सर्वेक्षण कर्मी बिहार सरकार की भूमि सुधार और डिजिटलीकरण योजनाओं की रीढ़ माने जाते हैं। उन्हें भू-अभिलेख सुधार, भूमि की मैपिंग, ऑनलाइन रिकॉर्डिंग, म्यूटेशन और राजस्व अभिलेखों के डिजिटलीकरण जैसी परियोजनाओं के लिए नियुक्त किया गया था। इन कार्यों के माध्यम से सरकार भूमि से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और सुगमता लाने की कोशिश कर रही थी। ऐसे में इन कर्मियों का अचानक हड़ताल पर जाना पूरे अभियान की रफ्तार को धीमा कर गया।
नई बहाली की प्रक्रिया
सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों के स्थान पर नए उम्मीदवारों की नियुक्ति की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। बताया जा रहा है कि सितंबर 2025 के अंत तक विज्ञापन जारी कर दिया जाएगा, जिसके माध्यम से राज्यभर से योग्य उम्मीदवारों के आवेदन लिए जाएंगे। इस बार नियुक्ति प्रक्रिया में उम्मीदवारों की योग्यता, तकनीकी दक्षता और अनुभव को विशेष महत्व दिया जाएगा। सरकार का प्रयास है कि साल के अंत तक पूरी बहाली प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
संभावित असर
नई नियुक्तियों से जहां सरकार के विशेष सर्वेक्षण अभियान को गति मिलेगी, वहीं हड़ताल करने वाले कर्मियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। लंबे समय से काम कर रहे इन कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने राज्य की भूमि सुधार योजनाओं को सफल बनाने में अहम योगदान दिया, लेकिन उनकी मेहनत और सेवा का उचित सम्मान नहीं किया गया। उनके अनुसार, यदि सरकार उनकी मांगों को सुनती और समय रहते समाधान निकालती तो स्थिति इतनी गंभीर न होती।
भविष्य की चुनौतियां
राज्य सरकार के सामने अब दोहरी चुनौती है। एक ओर उसे नए कर्मियों की भर्ती कर काम को आगे बढ़ाना है, वहीं दूसरी ओर हड़ताल के कारण बाधित हुई परियोजनाओं की गति भी पकड़नी है। नई बहाली में समय तो लगेगा ही, साथ ही नए चयनित कर्मचारियों को कार्य की बारीकियां सिखाने में भी समय व्यतीत होगा। ऐसे में भूमि सुधार और डिजिटलीकरण की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं की समय-सीमा प्रभावित हो सकती है। संविदा कर्मियों की हड़ताल और उनके सेवा समाप्त होने की स्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार और कर्मचारियों के बीच संवाद की कमी गंभीर परिणाम ला सकती है। जहां सरकार ने कड़ा निर्णय लेकर अनुशासन और नियमों को प्राथमिकता दी है, वहीं कर्मचारियों के लिए यह बड़ा झटका है। अब देखने वाली बात यह होगी कि नई बहाली प्रक्रिया कितनी पारदर्शी और त्वरित रूप से पूरी होती है तथा भूमि सुधार अभियान पर इसका क्या असर पड़ता है।
