बिहार के साथ कई राज्यों में एनआरसी कानून की जरूरत, नहीं तो बनेगी बांग्लादेश की स्थिति : गिरिराज सिंह

पटना। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह एक बार फिर अपने बयान से सुर्खियों में आ गए हैं। उन्होंने शनिवार को पटना में बयान दिया कि भारत को एक मजबूत और समग्र विकास के लिए “एक देश, एक कानून” की नीति अपनानी चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों, विशेष रूप से बिहार में, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया। गिरिराज सिंह ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अगर समय रहते एनआरसी कानून नहीं लाया गया तो भारत के कुछ राज्यों में बांग्लादेश जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उनके इस बयान से एक बार फिर से एनआरसी और देश में समान कानून की जरूरत पर बहस शुरू हो गई है।
तेजी से विकसित हो रहा भारत और एक देश, एक कानून का मुद्दा
गिरिराज सिंह ने भारत की विकास दर की सराहना करते हुए कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेज गति से विकसित होने वाला देश बन चुका है। लेकिन इस विकास की स्थिरता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए एक देश में एक समान कानून लागू होना जरूरी है। उनका मानना है कि समान नागरिक कानून, जिसमें एनआरसी जैसी नीतियां शामिल हों, से देश में विभिन्न मुद्दों पर एकरूपता और संतुलन कायम रहेगा। यह मुद्दा सांप्रदायिकता, राष्ट्रीयता, और सुरक्षा के संदर्भ में भी उठाया गया। गिरिराज सिंह ने खासतौर पर बिहार जैसे राज्यों में एनआरसी की आवश्यकता जताई। उनका मानना है कि अगर समय रहते इस मुद्दे पर कदम नहीं उठाए गए तो बिहार और अन्य राज्यों में विदेशी घुसपैठियों का दबाव बढ़ सकता है, जिससे क्षेत्रीय संतुलन और सामाजिक तानाबाना प्रभावित होगा।
अखिलेश यादव के बयान पर टिप्पणी
अखिलेश यादव द्वारा दिए गए “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” वाले नारे पर गिरिराज सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि अखिलेश इस नारे के सहारे हिंदुओं को बांटने और मुसलमानों को साथ लेकर चुनावी फायदा उठाना चाहते हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इससे भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक संरचना को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने आशंका जताई कि अगर ऐसे विचारों को बढ़ावा दिया गया तो भारत में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी स्थिति बन सकती है, जहां सांप्रदायिकता और अस्थिरता हावी है। गिरिराज सिंह का यह बयान उन नेताओं पर कटाक्ष के रूप में देखा जा रहा है, जो सांप्रदायिकता को भुनाकर चुनाव जीतने की रणनीति बनाते हैं। उनका मानना है कि यह न केवल समाज में विभाजन की भावना पैदा करता है, बल्कि देश की एकता और अखंडता के लिए भी खतरा बन सकता है।
कश्मीर में फाउंडेशन डे पर विरोध का मुद्दा
कश्मीर में हाल ही में हुए फाउंडेशन डे के विरोध पर गिरिराज सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह उन लोगों की मानसिकता को दर्शाता है, जो देश की अखंडता के खिलाफ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि कुछ नेता और संगठन हमेशा आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करके देश की शांति और स्थिरता के लिए खतरा बनते हैं। गिरिराज सिंह ने कहा कि हमें देश की एकता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए इन विरोधों की परवाह किए बिना कश्मीर और अन्य विवादित क्षेत्रों के फाउंडेशन डे का समर्थन करना चाहिए।
बिहार उपचुनाव पर विश्वास
बिहार में चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के बारे में बात करते हुए गिरिराज सिंह ने आत्मविश्वास व्यक्त किया कि उनकी पार्टी इन सभी सीटों पर जीत दर्ज करेगी। उन्होंने इसे अपनी पार्टी की नीतियों और बिहार की जनता के भरोसे का प्रतीक बताया। गिरिराज सिंह ने विपक्षी नेता तेजस्वी यादव के झारखंड में जीत के दावे पर भी व्यंग्य करते हुए कहा कि बयानबाजी करना किसी के लिए भी आसान है, लेकिन चुनावी हकीकत जमीन पर देखी जाती है।
समान कानून की आवश्यकता और एनआरसी की प्रासंगिकता
गिरिराज सिंह के बयान से यह स्पष्ट है कि वे भारत में समान नागरिक कानून को लागू करने की पुरजोर वकालत करते हैं। उनका मानना है कि एक ऐसा कानून जो देश के सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू हो, भारत को एक मजबूत और स्थिर राष्ट्र बना सकता है। इसके साथ ही, एनआरसी की आवश्यकता पर उन्होंने विशेष जोर दिया, जिससे कि अवैध प्रवासियों को पहचानकर आवश्यक कदम उठाए जा सकें। उनका कहना है कि एनआरसी लागू होने से अवैध घुसपैठियों का मुद्दा सुलझाया जा सकेगा, जो कि भारत के कई राज्यों में एक प्रमुख समस्या है। गिरिराज सिंह का यह बयान न केवल भारत में एनआरसी और समान नागरिक कानून की आवश्यकता को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिकता, राष्ट्रीयता और कानून के समान अनुपालन को सुनिश्चित करना क्यों जरूरी है। उन्होंने बिहार और अन्य राज्यों में एनआरसी लागू करने का सुझाव देते हुए इसे देश की सुरक्षा, अखंडता और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बताया है। उनका यह बयान एक महत्वपूर्ण विषय को उजागर करता है, जिस पर सरकार और नागरिकों को गहराई से विचार करने की आवश्यकता है।
