मतदाता पुनरीक्षण पर कांग्रेस अध्यक्ष का बड़ा हमला, राजेश राम बोले- 3 करोड़ से अधिक नाम कटेंगे, चुनाव आयोग की बड़ी साजिश

पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य को लेकर सियासी माहौल गरमा गया है। चुनाव आयोग द्वारा घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन कार्य 25 जून से शुरू किया गया है, जो 25 जुलाई तक चलेगा। इस प्रक्रिया में बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने की संभावना जताई गई है, जिसे लेकर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है। पार्टी ने इसे चुनाव आयोग की एक “बड़ी साजिश” बताया है।
राजेश राम का आरोप, तीन करोड़ नाम हटाने की तैयारी
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची से सिर्फ 35 लाख नाम हटाने की बात कही जा रही है, जबकि वास्तविक संख्या इससे कई गुना अधिक होगी। उन्होंने दावा किया कि मतदाता सूची से 3 करोड़ से अधिक लोगों के नाम हटाए जाएंगे। यह आरोप न केवल सरकार बल्कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर भी सीधा सवाल खड़ा करता है। राजेश राम का कहना है कि जो लोग रोज़गार की तलाश में बिहार से बाहर गए हैं, उनका नाम काटना भी तय है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने सत्यापन के लिए जिन दस्तावेजों को प्राथमिकता दी है, उनमें आधार और राशन कार्ड को शुरू में शामिल नहीं किया गया था। यह भी एक रणनीति का हिस्सा है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया जा सके।
मजदूरों को बाहर करने की योजना
कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार और चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह प्रक्रिया बिहार से बाहर काम करने वाले मजदूरों को मतदाता सूची से बाहर करने की सुनियोजित कोशिश है। उन्होंने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि बिहार के दो करोड़ से अधिक पंजीकृत मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत हैं, जबकि एक करोड़ से अधिक अपंजीकृत मजदूर भी राज्य से बाहर हैं। यदि इनका नाम सूची से हटा दिया जाता है, तो यह चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।
चुनाव आयोग के आंकड़े और वर्तमान स्थिति
चुनाव आयोग के अनुसार अब तक के सत्यापन में 35 लाख मतदाताओं के नाम हटाने की बात सामने आई है। इसमें 12.55 लाख ऐसे लोग शामिल हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है। वहीं, 17.37 लाख मतदाता स्थायी रूप से बिहार से बाहर जा चुके हैं और 5.76 लाख ऐसे हैं जो एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत पाए गए हैं। इन सभी के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं।
बीएलओ पर पक्षपात का आरोप
राजेश राम ने बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) पर भी आरोप लगाया कि वे केवल एक ही प्रकार का फॉर्म मतदाताओं को दे रहे हैं, जिससे कई पात्र मतदाता सत्यापन प्रक्रिया में हिस्सा ही नहीं ले पा रहे हैं। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की भारी कमी है और आने वाले समय में जब अंतिम सूची जारी होगी, तब करोड़ों लोगों के नाम गायब मिलेंगे।
विपक्ष का आंदोलन की चेतावनी
महागठबंधन के अन्य घटक दलों की तरह कांग्रेस भी इस मुद्दे को लेकर आक्रामक रुख अपना रही है। राजेश राम ने संकेत दिए हैं कि यदि चुनाव आयोग ने प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं दिखाई और मतदाताओं के अधिकारों का हनन हुआ, तो कांग्रेस इसके खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेगी। बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य को लेकर उठा विवाद केवल तकनीकी या प्रशासनिक विषय नहीं रह गया है, बल्कि अब यह राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र बन गया है। कांग्रेस के आरोपों ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर वाकई करोड़ों नाम सूची से हटते हैं, तो यह राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। आने वाले समय में इस मुद्दे पर राज्य की राजनीति और अधिक उग्र हो सकती है।
