पटना समेत बिहार के पांच शहरों में होगा युद्ध का मॉक ड्रिल, गृह मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी

पटना। भारत सरकार देश की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार सतर्कता बरत रही है। इसी कड़ी में 7 मई 2025 को देशभर के चिन्हित सिविल डिफेंस जिलों में एक व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। इस अभ्यास को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 2 मई को एडवाइजरी जारी कर दी है। यह मॉक ड्रिल सिविल डिफेंस रूल्स, 1968 के तहत किया जाएगा, जिसका मकसद युद्ध जैसे हालात में नागरिकों और आपात सेवाओं की तत्परता को परखना है।
बिहार के पांच शहर शामिल, अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत
इस अभ्यास में बिहार के पांच प्रमुख शहरों को शामिल किया गया है, जिनमें पटना, बरौनी, कटिहार, पूर्णिया और बेगूसराय शामिल हैं। इनमें से बेगूसराय को श्रेणी 3 में रखा गया है जबकि शेष चार शहर श्रेणी 2 में शामिल किए गए हैं। श्रेणियों के अनुसार, शहरों में मॉक ड्रिल की तीव्रता और व्यापकता निर्धारित की जाएगी। इन शहरों में युद्ध जैसी परिस्थितियों का सजीव प्रदर्शन किया जाएगा ताकि लोगों में जागरूकता और प्रतिक्रिया क्षमता विकसित हो सके।
ड्रिल के दौरान होंगे युद्ध जैसे दृश्य
7 मई को होने वाले इस मॉक ड्रिल में वास्तविक युद्ध जैसे हालात उत्पन्न किए जाएंगे। इसमें हवाई हमले के सायरन बजाए जाएंगे, शहरों की बिजली कुछ समय के लिए काट दी जाएगी और नागरिकों को नजदीकी शरण स्थलों की ओर ले जाया जाएगा। इस दौरान आम लोगों को गिरकर छिपने की तकनीक, प्राथमिक उपचार और मानसिक स्थिति को संभालने की जानकारी भी दी जाएगी। इसके अलावा सामरिक महत्त्व की इमारतों को ढकने और सैटेलाइट से छुपाने जैसी गतिविधियाँ भी अभ्यास का हिस्सा होंगी।
आपातकालीन सेवाएं रहेंगी एक्टिव मोड में
इस राष्ट्रीय मॉक ड्रिल में सिविल डिफेंस वार्डन, होम गार्ड्स, एनसीसी (नेशनल कैडेट कोर), एनएसएस (नेशनल सर्विस स्कीम), नेहरू युवा केंद्र संगठन और स्कूल-कॉलेजों के छात्र शामिल होंगे। आपातकालीन सेवाओं की तत्परता को जांचने के लिए उन्हें सक्रिय रखा जाएगा। साथ ही, स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी इस ड्रिल में बेहद अहम होगी। ड्रिल के दौरान यह देखा जाएगा कि आपात स्थिति में प्रशासन कितनी जल्दी और प्रभावी तरीके से प्रतिक्रिया देता है।
स्कूलों और संस्थानों में वर्कशॉप्स भी आयोजित होंगी
इस अभियान का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि लोगों को आत्मरक्षा और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए स्कूलों, कार्यालयों और समुदाय केंद्रों में विशेष वर्कशॉप्स आयोजित की जाएंगी। इन वर्कशॉप्स में नागरिकों को यह सिखाया जाएगा कि हवाई हमले के दौरान कैसे सतर्क रहें, कहां छिपें, और घायलों की मदद कैसे करें।
1971 युद्ध के बाद फिर से होगा ब्लैकआउट अभ्यास
इस मॉक ड्रिल में एक विशेष अभ्यास होगा, जिसमें रात के समय बिजली बंद कर दी जाएगी। यह तकनीक आखिरी बार 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान इस्तेमाल की गई थी, ताकि हवाई हमले से शहरों को सुरक्षित रखा जा सके। इसके अलावा, सामरिक इमारतों जैसे मिलिट्री बेस, संचार टावर और पावर प्लांट को ढंकने की प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी। गृह मंत्रालय द्वारा निर्देशित यह मॉक ड्रिल न केवल नागरिक सुरक्षा प्रणाली की तैयारियों को परखेगा, बल्कि आम लोगों में जागरूकता और आत्मनिर्भरता की भावना को भी मजबूत करेगा। बिहार के शहरों में इस अभ्यास को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं और प्रशासन ने लोगों से सहयोग की अपील की है ताकि अभ्यास सफल और प्रभावी हो सके।

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