कर्नाटक में बीजेपी के 18 विधायकों पर निलंबन का खतरा, 25 को होगी बैठक, सीएम समेत कई लोग लेंगे फैसला

बेंगलुरु। कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के 18 विधायकों पर निलंबन की तलवार लटकी हुई है। यह मामला तब शुरू हुआ जब 21 मार्च को विधानसभा सत्र के दौरान इन विधायकों ने कथित रूप से अनुशासनहीनता दिखाई और विधानसभा अध्यक्ष का अनादर किया। इनका व्यवहार इतना अस्वीकार्य माना गया कि जब इन्होंने सदन से बाहर जाने से इनकार कर दिया, तब विधानसभा के मार्शलों को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्हें बलपूर्वक सदन से बाहर निकाला गया। इसके बाद इन सभी विधायकों को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया गया था।
मुद्दा उठा कैबिनेट बैठक में
यह मामला अब फिर से चर्चा में है क्योंकि इसे हाल ही में कर्नाटक सरकार की कैबिनेट बैठक में उठाया गया। राज्य के कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच. के. पाटिल ने इस मुद्दे को विस्तार से बताया और कहा कि विधायकों के निलंबन पर पुनर्विचार के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक 25 मई को आयोजित की जाएगी। इस बैठक में कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे और फैसला लिया जाएगा कि इन विधायकों का निलंबन रद्द किया जाए या नहीं।
कौन-कौन होगा बैठक में शामिल
इस बैठक में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, विधानसभा अध्यक्ष यू. टी. खादर, कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच. के. पाटिल, विपक्ष के नेता आर. अशोक सहित अन्य कुछ प्रमुख लोग शामिल होंगे। पाटिल ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस मामले पर निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया है और वे अध्यक्ष के साथ चर्चा करके अंतिम निर्णय लेंगे।
राजनीतिक महत्व और संभावित असर
इस बैठक का राजनीतिक दृष्टि से खास महत्व है क्योंकि राज्य की राजनीति में यह मामला विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच टकराव का कारण बना हुआ है। भाजपा लगातार यह आरोप लगाती रही है कि विधायकों का निलंबन राजनीतिक बदले की भावना से किया गया है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि विधानसभा की मर्यादा भंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी थी।
निलंबन की समीक्षा के पीछे की वजह
अब इस निलंबन पर दोबारा विचार करने की वजह यह बताई जा रही है कि विधानसभा का सामान्य संचालन प्रभावित हो रहा है और विपक्ष की गैर-मौजूदगी से लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हो रही है। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि यदि विपक्ष सकारात्मक रुख अपनाता है तो निलंबन को आंशिक या पूर्ण रूप से वापस लिया जा सकता है।
क्या हो सकता है निर्णय
25 मई की बैठक इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय के लिहाज से अहम होगी। अगर सभी पक्षों के बीच सहमति बनती है, तो इन 18 विधायकों का निलंबन रद्द किया जा सकता है। इससे विधानसभा की कार्यवाही फिर से सुचारु रूप से चलने की उम्मीद बन सकती है।
राजनीतिक संतुलन की कोशिश
यह मामला केवल अनुशासन का नहीं बल्कि राजनीतिक संतुलन का भी है। कांग्रेस सरकार यह चाहती है कि विपक्ष के साथ मिलकर सदन का संचालन शांतिपूर्वक किया जाए, जबकि भाजपा भी चाहती है कि उनके विधायकों को न्याय मिले। ऐसे में यह बैठक दोनों दलों के बीच संवाद और समझ का एक अवसर हो सकती है। अब सबकी नजरें 25 मई की शाम को होने वाली इस बैठक पर टिकी हैं, जहां कर्नाटक की राजनीति में एक अहम मोड़ आ सकता है।
