पटना में सामुदायिक भवन में नाबालिक लड़की से छेड़छाड़, लोगों ने पीटा, पुलिस ने किया गिरफ्तार
पटना। पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। घटना का केंद्र एक सामुदायिक भवन है, जहां 16 वर्षीय लड़की के साथ अशोभनीय कृत्य किए जाने का आरोप लगा है। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और पूरे प्रकरण की जांच शुरू कर दी गई है।
घटना का स्थान और समय
यह मामला 11 अक्टूबर की शाम को पटना के पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र स्थित एक सामुदायिक भवन में घटित हुआ। यह भवन मंदिर और सार्वजनिक शौचालय के पास स्थित है, जिसकी देखरेख सुनील यादव नामक व्यक्ति करता था। इस भवन में अक्सर स्थानीय लोग आते-जाते रहते हैं और पास में मंदिर होने के कारण धार्मिक गतिविधियां भी होती रहती हैं।
आरोप और नाबालिग का बयान
पीड़िता के अनुसार, आरोपी सुनील यादव ने उसे निजी काम के बहाने अपने साथ छत पर बुलाया। वहां ले जाकर उसने लड़की के साथ छेड़छाड़ की और अशोभनीय हरकतें कीं। लड़की ने बयान में बताया कि वह हाथ पकड़कर और छूकर उसे असहज महसूस कराने लगा। जब लड़की ने विरोध किया, तो आरोपी नीचे उतरकर बाहर से गेट बंद कर चला गया, जिससे वह छत पर फंस गई। नाबालिग ने खुद को छुड़ाने के लिए छत की गैलरी से लोगों से मदद की गुहार लगाई। उसकी आवाज सुनकर आसपास मौजूद लोग इकट्ठा हो गए। कुछ लोगों ने सामुदायिक भवन के गेट को खुलवाया, जिसके बाद लड़की बाहर आई और पूरी घटना सबको बताई।
लोगों की प्रतिक्रिया और आरोपी की पिटाई
जब लोगों को पूरे घटनाक्रम की जानकारी मिली, तो गुस्साए स्थानीय लोगों ने आरोपी को पकड़ लिया। भीड़ ने मौके पर ही सुनील यादव की पिटाई कर दी। इस बीच किसी ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद पाटलिपुत्र थाने की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। पुलिस ने किसी तरह आरोपी को भीड़ से निकालकर हिरासत में ले लिया और थाने ले गई।
पुलिस की कार्रवाई और प्रारंभिक जांच
पुलिस ने नाबालिग से पूछताछ की तथा उसके बयान के आधार पर पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। थानेदार अतुलेश कुमार ने बताया कि लड़की का मेडिकल परीक्षण करवाया जा रहा है ताकि साक्ष्य एकत्र किए जा सकें। उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जांच निष्पक्ष रूप से की जाएगी।
आरोपी का पक्ष और सफाई
पूछताछ के दौरान आरोपी सुनील यादव ने खुद को निर्दोष बताया। उसने कहा कि उसे साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। उसका कहना है कि वह मंदिर और सामुदायिक भवन की देखरेख करता था, और लड़की अक्सर सफाई में मदद किया करती थी। इसके बदले में वह उसे 50 से 100 रुपये तक दिया करता था। सुनील यादव का कहना है कि लड़की छत पर गेहूं फटकने के लिए गई थी और उसने दरवाजा केवल इसीलिए बंद किया क्योंकि मंदिर के पास कुछ नशेड़ी लोग बैठे थे, जिन्हें देखकर उसे खतरा महसूस हुआ।
समझौते की कोशिश और पुलिस की स्थिति
घटना के बाद दोनों पक्षों के बीच मामला सुलझाने के लिए बातचीत हुई। बताया गया कि समझौते के तहत लड़की की मां ने एक सादे पन्ने पर लिखकर दिया कि गलतफहमी और बहकावे में उन्होंने शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि, पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस समझौते को स्वीकार नहीं किया। थानेदार अतुलेश कुमार ने स्पष्ट किया कि नाबालिग के बयान के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जा रही है और कानून के अनुसार पॉक्सो के प्रावधानों का पालन किया जाएगा।
समाज और कानून के लिए संदेश
यह घटना एक बार फिर इस तथ्य को उजागर करती है कि समाज में महिलाओं और नाबालिग बच्चियों की सुरक्षा अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। सामुदायिक भवन जैसे सार्वजनिक स्थलों पर निगरानी और जवाबदेही की आवश्यकता स्पष्ट रूप से महसूस की जा रही है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि नाबालिगों के प्रति अपराध को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस घटना से यह सीख लेनी चाहिए कि ऐसी परिस्थितियों में समझौते के बजाय कानून के अनुसार न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया जाना आवश्यक है। समाज को भी पीड़ित के समर्थन में खड़ा होना चाहिए, ताकि अपराधियों में भय और पीड़ितों में भरोसा कायम हो सके।


