DSLR की कार्यशाला में बोले मंत्री : विभाग की बदनामी रोकें, आपकी नई भूमिका न्यायाधीश की

पटना। बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने मंगलवार को अनुमंडलों में तैनात भूमि सुधार उप समाहर्ता (डीसीएलआर) की कार्यशाला को संबोधित करते हुए अधिकारियों से कहा कि वे विभाग की बदनामी रोकें। मुख्यमंत्री के जनता दरबार में जमीन से जुड़ी शिकायतें बड़ी संख्या में आ रही हैं। उन्होंने अफसरों को हिदायत दी कि वे ईमानदारी और निष्पक्षता से काम करें। किसी दल से खुद को न जोड़ें। कार्यशाला में निदेशक, भू-अभिलेख और परिमाप जय सिंह समेत विभाग के सभी वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे। कोसी, दरभंगा, गया और भागलपुर के प्रमंडलीय आयुक्त भी शामिल हुए। सभी 101 अनुमंडलों के भूमि सुधार उप समाहर्ताओं को बैठक में बुलाया गया था। इनमें शामिल हुए।
डीसीएलआर को कोर्ट लगाने का अधिकार बहाल
मंत्री ने कहा कि भूमि के स्वामित्व निर्धारण के मामले में डीसीएलआर को कोर्ट लगाने का अधिकार बहाल हो गया है। नसीहत दी कि आपकी नई भूमिका न्यायाधीश की है। निष्पक्ष होकर काम करेंगे तो आम लोगों में आपकी और विभाग की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। आपका करियर भी चमक जाएगा। आपका हरेक फैसला तार्किक और नियमसंगत होना चाहिए। हरेक फैसले को विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करें। अनिश्चितकाल तक किसी भी मामले की सुनवाई टालने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों-कर्मचारियों के व्यवहार को लेकर बड़ी शिकायत आ रही है। यह बंद होनी चाहिए।
गैर-राजस्व कार्यों से बचें
विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि विभिन्न राजस्व न्यायालयों द्वारा पारित आदेशों का कार्यान्वयन न होना भी भूमि विवाद का एक प्रमुख कारण है। शनिवार को हो रही बैठकों में राजस्व न्यायालयों के आदेशों के कार्यान्वयन की स्थिति को भी दर्ज करें। इसके लिए बैठक की कार्यवाही में एक अलग कालम जोड़ें। उन्होंने जिलाधिकारियों को कहा कि वे राजस्व अधिकारियों को हरेक सप्ताह दो-तीन दिन दूसरे कामों में न लगाएं।
अधिकारियों को मिला टास्क
कार्यशाला में विभाग की आनलाइन सेवाओं जैसे-खारिज, एलपीसी, परिमार्जन, लगान आदि की अनुमंडलवार समीक्षा की गई। दाखिल-खारिज के सबसे ज्यादा लंबित मामलों के लिए भूमि सुधार उप समाहर्ता, सीतामढ़ी से पूछा गया। मामलों के जल्द निपटारे के लिए कहा गया। आनलाइन सेवाओं में खराब प्रदर्शन करने वाले अंचलों के लिए संबंधित भूमि सुधार उप समाहर्ता से पूछा गया। उन्हें 31 मार्च 2021 के पहले के लंबित मामलों की प्राथमिकता के आधार पर निष्पादन करने का निदेश दिया गया।

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