October 28, 2025

सीएम नीतीश ने जदयू के शीर्ष नेताओं की बुलाई बैठक, सीट शेयरिंग के फार्मूले पर बनेगी रणनीति, उम्मीदवार चयन पर होगी चर्चा

पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल गरम हो गया है। चुनाव आयोग ने दो चरणों में मतदान कराने का कार्यक्रम घोषित करते हुए बताया कि पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा। मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाकर सीट शेयरिंग फार्मूला और उम्मीदवारों के चयन पर गहन चर्चा करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री आवास पर अहम बैठक
मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा, केंद्रीय मंत्री ललन सिंह, विजय कुमार चौधरी और अन्य वरिष्ठ नेताओं को अपने आवास पर बुलाया। इस बैठक में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की संभावना है। माना जा रहा है कि इस बैठक में उम्मीदवारों के नाम तय करने और सीटों की संख्या पर सहमति बनाने पर जोर दिया जाएगा।
पिछली बार का सीट बंटवारा
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के तहत जदयू को 115 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वीआईपी और हम जैसे सहयोगी दलों को भी कुछ सीटें दी गई थीं। हालांकि इस बार राजनीतिक समीकरण में कुछ बदलाव देखने को मिल रहे हैं। भाजपा और जदयू के बीच गठबंधन मजबूत बना हुआ है, लेकिन सीटों के वितरण में हल्का फेरबदल हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, इस बार जदयू लगभग 100 से 105 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि भाजपा को भी इतनी ही सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है।
उम्मीदवार चयन का आधार
नीतीश कुमार की प्राथमिकता है कि उम्मीदवारों का चयन सामाजिक समीकरण और पिछले चुनावी प्रदर्शन के आधार पर हो। वे चाहते हैं कि जिन क्षेत्रों में पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा है, वहां नए चेहरों को मौका दिया जाए। इस रणनीति से जदयू को उम्मीद है कि वह बेहतर जनसमर्थन हासिल कर सकेगी।
टिकट वितरण में सख्ती
पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस बार टिकट वितरण के लिए कई सख्त मानदंड तय किए गए हैं। जिन विधायकों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह है, उन्हें टिकट से वंचित किया जा सकता है। इसी तरह, 75 वर्ष की आयु पूरी कर चुके नेताओं को भी टिकट नहीं मिलने की संभावना है। पार्टी उन मामलों में भी सख्त है जहां एक ही परिवार से एक से अधिक सदस्य चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं। इसके अलावा, जिन उम्मीदवारों का पिछले चुनाव में जीत या हार का अंतर केवल 2000 वोटों तक रहा था, उनका टिकट काटा जा सकता है।
संगठन और प्रचार रणनीति
संजय झा के मुख्यमंत्री आवास पहुंचने से संकेत मिल रहे हैं कि जदयू अब अपने संगठनात्मक ढांचे और प्रचार रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गई है। पार्टी नेतृत्व चाहता है कि आने वाले दिनों में प्रचार अभियान को इस तरह से चलाया जाए कि एनडीए का वोट बैंक सुरक्षित रहे और विपक्ष को कड़ी चुनौती दी जा सके।
बैठक के निर्णय पर निगाहें
आज की बैठक के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि एनडीए में सीट बंटवारा किस फार्मूले के आधार पर होगा और जदयू किन सीटों से अपने उम्मीदवारों का ऐलान करेगी। बैठक में यह भी तय किया जा सकता है कि किन क्षेत्रों में पार्टी अपने हस्ताक्षर वाले कार्यक्रम और जनसभाएं आयोजित करेगी।
बिहार की राजनीति में महत्व
नीतीश कुमार का यह निर्णय बिहार की राजनीति में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। सीट शेयरिंग का फार्मूला न केवल गठबंधन की मजबूती तय करेगा बल्कि आगामी चुनावी मुकाबले पर भी इसका सीधा असर होगा। टिकट वितरण के सख्त मानदंडों के कारण पार्टी में अनुशासन मजबूत रहने की संभावना है और नए चेहरों को आगे बढ़ने का अवसर मिल सकता है। इस तरह जदयू की यह बैठक एनडीए के चुनावी समीकरण को आकार देने वाली साबित हो सकती है। आगामी दिनों में इसकी विस्तृत जानकारी आने पर यह तय होगा कि पार्टी कितनी रणनीतिक रूप से चुनावी मैदान में उतरती है और किस तरह से अपने उम्मीदवारों को सामने लाती है।

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