तेजस्वी के आवास पर आज होगी महागठबंधन की बैठक, मेनिफेस्टो पर बनेगी आम सहमति, कई वादे होंगे शामिल

पटना। बिहार की राजनीति में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। इसी क्रम में शनिवार को पटना स्थित नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सरकारी आवास पर महागठबंधन की अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में महागठबंधन के सभी घटक दलों के प्रमुख नेता और समन्वय समिति के सदस्य हिस्सा लेंगे। बैठक का मुख्य उद्देश्य साझा घोषणा-पत्र यानी मेनिफेस्टो को अंतिम रूप देना है।
घोषणा-पत्र को लेकर बनी सहमति
महागठबंधन के सभी घटक दलों की प्राथमिकताओं और जनहित के मुद्दों को समाहित करते हुए एक व्यापक घोषणा-पत्र तैयार करने की दिशा में पहले से काम चल रहा था। गुरुवार को हुई उप-समिति की बैठक में इस पर व्यापक चर्चा हुई और कुछ प्रमुख बिंदुओं पर सहमति भी बनी। यह प्रयास किया जा रहा है कि सभी वर्गों और समुदायों को ध्यान में रखते हुए ऐसा दस्तावेज तैयार हो जो चुनावी मुकाबले में महागठबंधन को मजबूती दे।
नीतीश सरकार की घोषणाओं के जवाब में तैयारी
पिछले कुछ महीनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने लगातार कई लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की है, जैसे सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बढ़ोतरी, डीबीटी के माध्यम से सीधी मदद और मुफ्त बिजली जैसी योजनाएं। इन योजनाओं ने जनता का ध्यान आकर्षित किया है, जिससे महागठबंधन पर दबाव बढ़ा है कि वह भी वैकल्पिक और प्रभावशाली एजेंडा सामने रखे। यही कारण है कि इस घोषणा-पत्र को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है।
प्रमुख वादे होंगे शामिल
बैठक में तय किए गए प्रमुख मुद्दों में ‘माई-बहिन मान योजना’ के तहत हर महिला को प्रतिमाह 2500 रुपये देने का वादा, सामाजिक पेंशन को बढ़ाकर 1500 रुपये करना, 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, 500 रुपये में गैस सिलेंडर उपलब्ध कराना, भू-हदबंदी कानून को सख्ती से लागू करना और निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आश्वासन शामिल हैं। ये सभी वादे सीधे आम लोगों की जिंदगी को प्रभावित करने वाले हैं और महागठबंधन इन्हें अपने मुख्य चुनावी हथियार के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है।
बैठक की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
यह बैठक महागठबंधन की इस साल की पांचवीं औपचारिक बैठक होगी। इससे पहले 17 अप्रैल को पहली बैठक में समन्वय समिति के गठन का निर्णय हुआ था, जिसकी जिम्मेदारी तेजस्वी यादव को सौंपी गई थी। 24 अप्रैल को दूसरी बैठक में पांच उप-समितियों के गठन का निर्णय लिया गया। 4 मई को तीसरी बैठक में समन्वय समितियों को पंचायत और प्रखंड स्तर तक विस्तारित करने पर सहमति बनी। 12 जून को हुई चौथी बैठक में घटक दलों ने अपनी पसंदीदा सीटों की सूची राजद को सौंपने पर सहमति दी थी। इसके बाद ही मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के खिलाफ महागठबंधन ने संयुक्त रूप से आंदोलन भी चलाया।
राजनीतिक संगठनों की एकजुटता का प्रयास
महागठबंधन की इस बैठक से यह संकेत भी मिल रहा है कि विपक्ष एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है। सभी दल यह चाहते हैं कि आपसी समन्वय बना रहे और घोषणाओं से लेकर आंदोलन तक एकजुटता दिखे। तेजस्वी यादव इस पूरे अभियान की अगुवाई कर रहे हैं, जिससे उन्हें महागठबंधन का स्वाभाविक नेता माना जा रहा है। महागठबंधन की यह बैठक न केवल आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करने वाली है, बल्कि इससे यह भी साफ होगा कि विपक्ष एनडीए सरकार की योजनाओं का मुकाबला किस रूप में करेगा। साझा घोषणा-पत्र के माध्यम से महागठबंधन जनता के बीच अपनी बात प्रभावी ढंग से रखने की तैयारी कर रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह एजेंडा जमीनी हकीकत पर कितना खरा उतरता है और जनता के बीच कितनी पकड़ बना पाता है।
