पटना के PMCH में दवा की किल्लत, गर्मीजनित रोगों से पीड़ित मरीजों को देने वाली बुखार व गैस की दवा नहीं

पटना। राजधानी में तेज धूप और गर्म हवा के थपेड़ों से गर्मीजनित रोगों का शिकंजा कसने लगा है। वही स्वास्थ्य विभाग से लेकर जिला प्रशासन तक अस्पतालों में पंखे, कूलर-एसी दुरुस्त कराने के साथ आवश्यक दवाओं के भंडारण का निर्देश दे चुके हैं। बावजूद इसके शुक्रवार को PMCH की OPD में गर्मीजनित रोगों से पीड़ित हर मरीज का दिया जाने वाला ओआरएस पाउडर, बुखार की पारासिटामोल और गैस की दवा पेंटाप्राजोल या रिब्रापाजोल जैसी दवाएं नहीं मिल रही है। यही नहीं कोरोना, वायरल बुखार और चर्म रोगों में उपयोगी लिवोसेट्रेजिन, दर्द निवारक डायक्लोफेनेक सोडियम, गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी आयरन, अधिकतर हड्डी रोगियों को लिखी जाने वाली कैल्शियम तक कई महीने से उपलब्ध नहीं है। वही वायरल बुखार में दी जाने वाली एमाक्सीसिलिन पोटेशियम क्लेवनेट यानी क्लैवम और 500 एमजी एजिथ्रोमाइसिन भी नहीं है। हालांकि, एजिथ्रोमाइसिन 250 एमजी देकर इसकी भरपाई की जा रही है। आलम यह है कि OPD में 80 तरह की दवाएं होने के बावजूद ज्यादा वितरित होने वाली दवाएं मरीजों को बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं। इस बाबत अधीक्षक को मैसेज व फोन किया गया लेकिन उनका पक्ष नहीं मिल सका। गर्मीजनित रोगों से निपटने के निर्देश मिलने के पहले ही सिविल सर्जन के क्षेत्र में आने वाले सभी अस्पतालों में 80 हजार से अधिक ओआरएस के पाउच, गैस, उल्टी, पेट दर्द, स्लाइन, इंट्राकैथ आदि की आपूर्ति कर दी गई थी। वही इसके विपरीत प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल PMCH में गर्मीजिनत रोगियों के पहुंचने के बावजूद दवाएं उपलब्ध नहीं है। वही शुक्रवार को पटना सिटी से इलाज करने आए सुनील सिंह ने कहा की यहां पर कोई दवा नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि इससे बेहतर तो सिटी के तरफ छोटे अस्पताल हैं जहां अधिकतर दवाएं मिल जाती हैं। वही PMCH के रेडियोलाजी विभाग में अधिकतर एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड मशीनें खराब होने से अक्सर यहां रोगियों की लंबी कतार लगी रहती है। वहीं शुक्रवार को तेज धूप में खड़े होने की विवशता के कारण बहुत कम लोग ही जांच कराने पहुंचे।

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