त्रिग्रही, अमला व उभयचर योग के सुयोग में मकर संक्रांति 14 जनवरी को, 7 राशियां होंगी प्रभावित

  • उदयातिथि के मान से बनारसी पंचांग में 15 जनवरी को

पटना। मकर संक्रांति पर्व को लेकर सनातन धर्मावलंबियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस बार विभिन्न पंचांगों के उहापोह में 14 और 15 जनवरी के बीच उलझन है। मिथिला पंचांग के अनुसार सूर्य की संक्रांति कल दोपहर ढाई बजे हो रहा है। मकर संक्रांति का पुण्यकाल सूर्य के राशि परिवर्तन से 16 घटी पहले और 16 घटी बाद तक रहता है, यानि शुक्रवार सुबह लगभग 8:30 बजे से ही संक्रांति का पुण्यकाल आरंभ हो रहा है, जो मध्यरात्रि बाद तक रहेगा। इसीलिए शुक्रवार को ही पर्व मनाया जायेगा। वहीं बनारसी पंचांग के मुताबिक 15 जनवरी को पुण्यकाल दोपहर तक तथा उदयातिथि के मान से 15 को मकर संक्रांति का त्योहार बताया गया है। इसी कारणवश इस बार दो दिन की संशय बनी है। इस संक्रांति में पिता अपने पुत्र के घर जायेंगे। जहां पुत्र पहले से ही पिता के स्वागत में विद्यमान है। मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही खरमास की समाप्ति हो जाएगी। इसके बाद हिन्दू धर्मावलंबियों के शुभ मांगलिक कार्य शादी-विवाह, जनेऊ, मुंडन, गृहप्रवेश, भूमिपूजन आदि शुरू हो जाएंगे।
त्रिग्रही, अमला व उभयचर योग का बना सुयोग
ज्योतिष आचार्य राकेश झा ने बताया कि शुक्रवार को मकर संक्रांति पर सूर्यदेव देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु से अपने पुत्र शनि की स्वराशि मकर में आ रहे हैं, जो अगले दो मास तक इसी राशि में रहेंगे। वहीं मकर राशि में बुध पहले से ही विद्यमान हैं। मकर राशि में एक साथ शनि, बुध एवं सूर्य की उपस्थिति से त्रिग्रही योग बन रहा है। इस त्रिग्रही योग से सात राशियां प्रभावित होंगी। वहीं पांच राशि वालों को लाभ होगा। मेष, वृष, मिथुन, कन्या, धनु, मकर व मीन राशि को छोड़कर बाकि पांच राशियों के लिए त्रिग्रही योग लाभकारी रहेगा। इसके अलावे सूर्य से द्वितीय तथा द्वादश भाव में गुरु व शुक्र के होने से उभयचर योग तथा चंद्रमा से दशम भाव में गुरु की उपस्थिति से अमला योग बन रहा है।
तिल-गुड़, अन्न, वस्त्र का दान पुण्यकारी
पंडित झा ने कहा कि मकर संक्रांति के दान-स्नान की विशेष महत्व होता है। इस दिन पवित्र नदी या सरोवर अथवा स्नान जल में गंगाजल मिलाकर स्नान के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनकी पूजा, गायत्री मंत्र का जाप के बाद तिल-गुड़ व इससे निर्मित वस्तु, अन्न, उन्नी वस्त्र, लकड़ी का आदि का दान करने से जन्म जन्मांतर तक इसका पुण्य मिलता है। इस दिन तिल के सेवन से शारीरिक, मानसिक और धार्मिक उपलब्धियां के अतिरिक्त कष्टकारक ग्रहों से छुटकारा होता है।
घर में गंगा का स्मरण स्नान हितकारी
कोरोना महामारी को देखते हुए मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में ना जाकर घर में ही स्नान जल में गंगाजल मिलाकर उनका स्मरण करते हुए स्नान करना सभी के लिए हितकारी होगा। पंडित राकेश झा ने कहा कि स्नान जल में गंगाजल मिलाकर हर हर गंगे, गंगे-गंगे या गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥ इस मंत्र से स्नान करने से भी श्रद्धालु को गंगा स्नान का पुण्य मिलता है।
राशि के अनुसार दान-पुण्य
मेष – उच्च पद की प्राप्ति हेतु जल में पीले पुष्प, हल्दी, तिल मिलाकर अर्घ्य व तिल-गुड़ का दान दें।
वृष – उन्नति के लिए जल में सफेद चंदन, दुग्ध, श्वेत पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
मिथुन – ऐश्वर्य व वैभव हेतु जल में तिल, दूर्वा तथा पुष्प मिलाकर सूर्य को अर्घ्य, गाय को हरा चारा व मूंग की दाल की खिचड़ी दान शुभ रहेगा।
कर्क – जल में दुग्ध, चावल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। चावल-मिश्री-तिल का दान दें। कलह-संघर्ष, व्यवधानों पर विराम लगेगा।
सिंह – नई उपलब्धि हासिल करने हेतु जल में कुमकुम तथा रक्त पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य देकर तिल, गुड़, गेहूं, सोना दान दें।
कन्या – जल में तिल, दूर्वा, पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। खिचड़ी का दान तथा गाय को चारा खिलायें। शुभ समाचार मिलेगा।
तुला – सफेद चंदन, दुग्ध, चावल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। चावल का दान दें। व्यवसाय में बाहरी संबंधों से लाभ तथा शत्रु अनुकूल होंगे।
वृश्चिक – जल में कुमकुम, रक्तपुष्प तथा तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गुड़ दान दें। विदेशी कार्यों से लाभ या विदेश यात्रा का योग बन सकता है।
धनु – जल में हल्दी, केसर, पीले पुष्प तथा मिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। विजय प्राप्त होगी।
मकर – जल में काले-नीले पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गरीब-अपंगों को भोजन दान दें। वर्चस्व में वृद्धि होगी।
कुंभ – जल में नीले-काले पुष्प, काले उड़द, सरसों का तेल-तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। तेल-तिल का दान दें। विरोधी परास्त होंगे।
मीन – हल्दी, केसर, पीत पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। सरसों, केसर का दान दें। सम्मान, यश, कीर्ति बढ़ेगा।

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