वैशाली में एनआईए की बड़ी कार्रवाई, हथियार तस्कर के कई ठिकानों पर की छापेमारी, हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद
- 9 एमएम पिस्तौल, डबल बैरल गन सहित इतना गोला-बारूद बरामद, 35 ज़िंदा 12 बोर कारतूस और 4.21 लाख रुपये नकद जब्त
वैशाली। बिहार के वैशाली जिले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हथियार तस्करी के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए बुधवार को कई ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान एजेंसी ने भारी मात्रा में अवैध हथियार, गोला-बारूद और नकदी बरामद की है। एनआईए की यह कार्रवाई 2024 में सामने आए हथियार तस्करी मामले से जुड़ी है, जिसकी जांच अगस्त 2024 में एजेंसी ने अपने हाथों में ली थी। एनआईए के अधिकारियों ने बताया कि यह छापेमारी वैशाली जिले में संदीप कुमार सिन्हा उर्फ छोटू लाला के आवास पर की गई। तलाशी के दौरान एजेंसी को एक 9 एमएम पिस्तौल, 9 एमएम के 18 जिंदा कारतूस, दो पिस्तौल मैगज़ीन, एक डबल बैरल 12 बोर बंदूक, 35 जिंदा 12 बोर कारतूस और 4.21 लाख रुपये नकद मिले। एजेंसी ने बरामद सभी सामग्रियों को जब्त कर लिया है और आगे की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों के मुताबिक, संदीप सिन्हा मुख्य आरोपी विकास कुमार का करीबी सहयोगी है और वह इस पूरे हथियार तस्करी नेटवर्क का सक्रिय सदस्य बताया जा रहा है। एनआईए के अनुसार, यह नेटवर्क नागालैंड से बिहार तक फैला हुआ है और कई राज्यों में इसकी जड़ें मौजूद हैं।
नागालैंड से बिहार तक फैला नेटवर्क
एनआईए की जांच में खुलासा हुआ है कि नागालैंड और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों से अवैध हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी बिहार के विभिन्न जिलों में की जा रही थी। शुरुआती जांच में पता चला था कि यह गिरोह उन्नत हथियारों — जैसे एके-47 राइफल, 9 एमएम पिस्तौल और देशी बंदूकों — की आपूर्ति बिहार के कई अपराधियों और असामाजिक तत्वों तक कर रहा था। बिहार पुलिस ने इस नेटवर्क का सुराग उस वक्त लगाया, जब अगस्त 2024 में एक एके-47 राइफल और जिंदा गोला-बारूद की बरामदगी हुई। पुलिस ने उस समय मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। बाद में इस मामले की गंभीरता और इसके अंतरराज्यीय कनेक्शन को देखते हुए एनआईए ने केस अपने हाथों में ले लिया।
अब तक पाँच आरोपी गिरफ्तार
एनआईए ने इस पूरे नेटवर्क से जुड़े अब तक पाँच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें विकास कुमार, सत्यम कुमार, देवमणि राय उर्फ अनीश, मोहम्मद अहमद अंसारी और मंजूर खान के नाम शामिल हैं। इनमें से चार के खिलाफ पहले ही चार्जशीट दायर की जा चुकी है, जबकि मंजूर खान को हाल ही में गिरफ्तार किया गया है। वह फिलहाल पटना की बेउर जेल में बंद है। एनआईए के सूत्रों के अनुसार, संदीप सिन्हा का नाम इन्हीं गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के दौरान सामने आया था। सिन्हा पर आरोप है कि वह विकास कुमार के लिए स्थानीय स्तर पर हथियारों के वितरण और बिक्री का जिम्मेदार था। एजेंसी ने उसके मोबाइल फोन और डिजिटल उपकरणों को भी जब्त किया है, जिनकी फॉरेंसिक जांच जारी है।
हथियार तस्करी के पीछे का नेटवर्क
जांच एजेंसी को संदेह है कि यह गिरोह एक बड़े अंतरराज्यीय हथियार तस्करी रैकेट का हिस्सा है, जो न सिर्फ बिहार बल्कि उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है। इस नेटवर्क के जरिए नागालैंड और म्यांमार बॉर्डर से हथियारों की तस्करी कर उन्हें बिहार के विभिन्न जिलों में पहुंचाया जाता था। एजेंसी का कहना है कि गिरोह के सदस्य हथियारों की सप्लाई के लिए एन्क्रिप्टेड मोबाइल ऐप्स और नकद लेनदेन का इस्तेमाल करते थे ताकि पुलिस की नज़र से बच सकें। एनआईए को यह भी शक है कि इस नेटवर्क के कुछ सदस्य पहले से ही आपराधिक मामलों में वांछित हैं और विदेशों से भी संपर्क बनाए हुए थे।
एनआईए की सख्त कार्रवाई से तस्करों में हड़कंप
एनआईए की ताजा कार्रवाई से पूरे तस्करी गिरोह में हड़कंप मच गया है। एजेंसी ने बताया कि आने वाले दिनों में बिहार और झारखंड के कुछ और जिलों में छापेमारी की जा सकती है। एनआईए ने कहा कि यह नेटवर्क अत्यंत संगठित और पेशेवर ढंग से काम करता था, और इसके पीछे कई वित्तीय मददगारों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमने वैशाली में की गई तलाशी के दौरान महत्वपूर्ण सबूत जब्त किए हैं। ये सबूत यह साबित करते हैं कि आरोपी हथियारों और गोला-बारूद की अवैध खरीद-फरोख्त में सक्रिय रूप से शामिल थे। हमारा उद्देश्य इस पूरे नेटवर्क की जड़ों तक पहुँचना है।”
बिहार में लगातार बढ़ी हथियार बरामदगी की घटनाएँ
बीते कुछ वर्षों में बिहार में अवैध हथियारों की बरामदगी की घटनाओं में तेज़ी आई है। राज्य पुलिस और एनआईए की संयुक्त कार्रवाई के बावजूद कई जिलों में तस्करी का यह धंधा सक्रिय है। विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्वोत्तर के राज्यों से हथियारों की अवैध आपूर्ति और स्थानीय स्तर पर अपराधियों की मांग इस नेटवर्क को जिंदा रखती है। बिहार पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि हाल के महीनों में पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और सीवान जैसे जिलों में भी हथियार बरामद किए गए हैं। एनआईए की जांच से अब यह स्पष्ट हो रहा है कि इन घटनाओं की डोर कहीं न कहीं एक ही तस्करी रैकेट से जुड़ी हो सकती है।
आगे की जांच जारी
एनआईए ने कहा है कि वह अब तक बरामद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, मोबाइल डेटा और बैंक खातों की जांच कर रही है ताकि फंडिंग के स्रोतों का पता लगाया जा सके। एजेंसी ने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले हफ्तों में कुछ और गिरफ्तारियां संभव हैं। बिहार में हुई यह कार्रवाई न केवल हथियार तस्करी के बढ़ते नेटवर्क पर एक बड़ा प्रहार मानी जा रही है, बल्कि यह संदेश भी दे रही है कि देश की सुरक्षा एजेंसियाँ अब अवैध हथियारों के कारोबार के खिलाफ और अधिक सख्ती से कदम उठाने के मूड में हैं।


