October 28, 2025

जयपुर में हॉस्पिटल के आईसीयू में शॉर्ट सर्किट से बड़ा हादसा, आठ लोगों की दर्दनाक मौत

जयपुर। जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल में रविवार देर रात घटी आग की घटना ने पूरे राजस्थान को झकझोर दिया। यह हादसा ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू वार्ड में हुआ, जहाँ शॉर्ट सर्किट से भड़की आग ने देखते ही देखते भयावह रूप ले लिया। आग लगने से आठ मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई, जिनमें तीन महिलाएं शामिल थीं। यह हादसा रात करीब 11 बजकर 20 मिनट पर हुआ, जब अधिकांश मरीज इलाज के दौरान आराम कर रहे थे।
आग लगने की वजह और शुरुआती हालात
प्राथमिक जांच में शॉर्ट सर्किट को आग लगने का कारण बताया गया है। ट्रॉमा सेंटर के नोडल अधिकारी और वरिष्ठ डॉक्टरों के अनुसार, आग आईसीयू के स्टोर रूम में लगी, जहाँ पेपर, मेडिकल उपकरण और ब्लड सैंपलर ट्यूब जैसी सामग्री रखी हुई थी। आग लगते ही पूरे वार्ड में धुआं फैल गया। उस समय न्यूरो आईसीयू में 11 मरीज और बगल के आईसीयू में 13 मरीज मौजूद थे। धुआं इतना गाढ़ा था कि अंदर घुसना मुश्किल हो गया। फायर विभाग के कर्मचारी अवधेश पांडे ने बताया कि अलार्म बजते ही टीम मौके पर पहुंची, लेकिन धुएं और आग की तीव्रता के कारण मुख्य दरवाजे से प्रवेश असंभव था। इसलिए फायर टीम ने बिल्डिंग की पिछली ओर से खिड़कियों के कांच तोड़कर पानी की बौछार शुरू की। लगभग डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
मरीजों की स्थिति और परिजनों की पीड़ा
आग लगते ही अफरा-तफरी मच गई। मरीजों को बेड सहित बाहर सड़क पर लाया गया। भरतपुर के रहने वाले शेरू ने बताया कि आग भड़कने से करीब 20 मिनट पहले ही धुआं निकलना शुरू हो गया था। उन्होंने स्टाफ को सूचित किया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। जब धुआं बढ़ा और प्लास्टिक की ट्यूबें पिघलकर गिरने लगीं, तब तक स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चुकी थी। कई वार्ड बॉय अपनी जान बचाकर भाग गए। शेरू ने बताया कि उन्होंने खुद अपने मरीज को बाहर निकाला। हालांकि, दो घंटे बाद तक यह पता नहीं चल सका कि उनके मरीज की स्थिति क्या है। परिजन बार-बार अस्पताल प्रशासन से जानकारी मांगते रहे, लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया।
शासन की कार्रवाई और जांच
घटना के बाद शासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए छह सदस्यीय जांच समिति गठित की है। समिति को आग लगने के कारण, सुरक्षा व्यवस्था और राहत कार्यों की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया। डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तुरंत अस्पताल पहुंचे। उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि जयपुर में आग की यह घटना अत्यंत दुखद है। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति शोक जताया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
प्रदर्शन और लापरवाही के आरोप
घटना के बाद अस्पताल के बाहर माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया। मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि स्टाफ ने उनकी कोई मदद नहीं की और शुरुआती चेतावनी के बावजूद आग पर नियंत्रण के प्रयास नहीं किए गए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर समय रहते कदम उठाए जाते, तो इतनी जानें नहीं जातीं। कई परिवार अब भी अपने मरीजों की स्थिति को लेकर अनिश्चितता में हैं। गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम जब घटनास्थल पर पहुंचे, तो परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने समय रहते अस्पताल कर्मियों को आग की जानकारी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। परिजनों ने यह भी कहा कि डॉक्टर और स्टाफ घटना के समय वार्ड छोड़कर भाग गए। जयपुर के एसएमएस ट्रॉमा सेंटर में हुई यह घटना न केवल एक तकनीकी त्रुटि का परिणाम है, बल्कि यह अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था और जिम्मेदारी पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। आईसीयू जैसे संवेदनशील क्षेत्र में सुरक्षा उपायों का अभाव, विद्युत उपकरणों की खराब स्थिति और प्रशासन की सुस्ती ने इस त्रासदी को जन्म दिया। अब यह देखना होगा कि जांच समिति की रिपोर्ट क्या कहती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है। लेकिन इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में भी सुरक्षा के प्रति गंभीरता का अभाव है। ऐसी घटनाओं से सबक लेकर भविष्य में सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी उन आठ जिंदगियों को, जो लापरवाही की आग में जल गईं।

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