ग्रहों के त्रिकोणीय संयोग में कल मनेगी महाशिवरात्रि, 300 सालों बाद बना खास मुहूर्त

पटना। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को कल महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। सुबह 08:11 बजे तक श्रवण नक्षत्र और इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र के युग्म संयोग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग के शुभकारी संयोग में श्रध्दालु उमा-महेश्वर की उपासना विधि-विधान से करेंगे। इसके अलावा इस दिन शिव योग, श्रवण नक्षत्र व परमसिद्धि देने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग का पुण्यकारी संयोग भी रहेगा। महाशिवरात्रि पर 300 साल के बाद ग्रह-नक्षत्रों का त्रिकोणीय संयोग बन रहा है। इस दिन श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र का युग्म संयोग, शिवयोग, गर करण तथा मकर व कुंभ राशि में चंद्रमा की साक्षी रहेगी। इसके अलावे इस दिन कुंभ राशि में तीन प्रमुख ग्रह सूर्य, शनि एवं बुध की युति का संयोग रहेगा। ये शुभ और दुर्लभ संयोग तीन शताब्दी में एक या दो बार हो बनते हैं। जब नक्षत्र, योग और ग्रहों की स्थिति केंद्र त्रिकोण से संबंध रखते हैं। ऐसे दुर्लभ संयोग में भगवान शिव की आराधना से भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि को भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु जलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक, पंचोपचार व षोडशोपचार से रुद्र, लघु रुद्र, महारुद्र की उपासना कर ॐ नमः शिवाय, हर हर महादेव, महामृत्युंजय मंत्र का जाप, रुद्राष्टक, शिव पंचाक्षर, शिव तांडव, लिंगाष्टक, बिल्वाष्टक, शिव महिम्न स्त्रोत का पाठ करेंगे। इसके साथ ही शिव की चारों पहर में वैदिक रीति से पूजा भी होगा। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर विधिवत पूजन कर समस्त दुखों के नाश के लिए गंगाजल और दूध-दही से कष्ट, रोग-शोक से मुक्ति के लिए मधु से तथा आर्थिक उन्नती के लिए गन्ना के रस अभिषेक करना चाहिए।

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