सीट बंटवारे से उपेंद्र कुशवाहा नाखुश, कहा- आज एक बार फिर बादलों ने साजिश की, एनडीए में घमासान जारी
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में सीट बंटवारे की घोषणा के साथ ही सियासी हलचल तेज हो गई है। रविवार को एनडीए गठबंधन ने औपचारिक रूप से सीटों का बंटवारा घोषित किया। बीजेपी और जदयू को बराबर 101-101 सीटें दी गई हैं, जबकि चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें मिली हैं। वहीं, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति मंच (आरएलएम) को मात्र 6-6 सीटें दी गई हैं। इस बंटवारे के बाद खास तौर पर आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी खुलकर सामने आ गई है।
सीट बंटवारे की घोषणा
एनडीए की ओर से रविवार को पटना में सीट शेयरिंग फॉर्मूला जारी किया गया। इसमें बीजेपी और जदयू के बीच बराबर-बराबर सीटें बांटी गईं। छोटे सहयोगियों में चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) को 29, जबकि जीतनराम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम को सिर्फ 6-6 सीटें दी गईं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, यह बंटवारा एनडीए की एकता दिखाने के उद्देश्य से किया गया, लेकिन इसके बाद छोटे दलों में असंतोष उभरकर सामने आया है।
कुशवाहा की नाराजगी सोशल मीडिया पर
सीट बंटवारे के ऐलान के तुरंत बाद उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक शायरी पोस्ट करते हुए अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने लिखा, “आज बादलों ने फिर साजिश की, जहां मेरा घर था वहीं बारिश की। अगर फलक को जिद है बिजलियां गिराने की, तो हमें भी जिद है वहीं पर आशियां बसाने की।” उनके इस काव्यात्मक अंदाज ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। इसे अप्रत्यक्ष रूप से सीट बंटवारे को लेकर असंतोष का संकेत माना गया।
कार्यकर्ताओं से भावनात्मक अपील
इसके बाद कुशवाहा ने एक लंबा पोस्ट लिखकर पार्टी कार्यकर्ताओं से क्षमा मांगी। उन्होंने कहा कि उन्हें मालूम है कि कम सीटें मिलने से कई कार्यकर्ताओं और संभावित उम्मीदवारों का मन दुखी हुआ है। उन्होंने लिखा, “आज कई घरों में खाना नहीं बना होगा, पर आप मेरी विवशता को समझेंगे। कई परिस्थितियां ऐसी होती हैं जो बाहर से नहीं दिखतीं। इसलिए आप गुस्सा शांत होने दें, आने वाला समय बताएगा कि फैसला सही था या गलत।” कुशवाहा के इस भावनात्मक संदेश से यह स्पष्ट हुआ कि वे सीट बंटवारे से असंतुष्ट हैं, लेकिन फिलहाल उन्होंने कोई टकराव का रास्ता नहीं चुना है।
दिल्ली से लौटने पर चुप्पी
सोमवार को जब उपेंद्र कुशवाहा दिल्ली से पटना लौटे, तो मीडिया ने उनसे सवाल पूछने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने किसी से बात नहीं की और चुपचाप अपनी गाड़ी में बैठकर निकल गए। यह चुप्पी उनके असंतोष को और गहरा संकेत दे रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कुशवाहा के तेवर आने वाले दिनों में एनडीए के लिए चुनौती बन सकते हैं।
मांझी ने भी जताया असंतोष
उधर, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी सीट बंटवारे को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दी। पहले उन्होंने कहा कि “मैं संतुष्ट हूं और आलाकमान का निर्णय स्वीकार करता हूं।” लेकिन कुछ ही देर बाद उनका लहजा बदल गया और उन्होंने कहा, “हमें केवल 6 सीटें देकर हमारी अहमियत कम आंकी गई है। इसका असर एनडीए पर पड़ सकता है।” हालांकि मांझी ने यह भी स्पष्ट किया कि वे एनडीए के साथ ही रहेंगे और गठबंधन को कमजोर नहीं होने देंगे।
एनडीए नेताओं की सफाई
डिप्टी सीएम और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने नाराज नेताओं को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि “एनडीए एक परिवार की तरह है, सभी गार्जियन हैं। सबके बीच बातचीत के बाद प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी की जाएगी।” सम्राट चौधरी के इस बयान से साफ है कि बीजेपी स्थिति को संभालने की कोशिश में है ताकि गठबंधन में कोई दरार न पड़े।
छोटे दलों को दी गई प्रतीकात्मक हिस्सेदारी
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सीट बंटवारे में बीजेपी और जदयू ने बड़े साझेदार होने के नाते अपनी स्थिति मजबूत रखी है, जबकि छोटे दलों को प्रतीकात्मक हिस्सेदारी दी गई है। इससे गठबंधन के भीतर असंतोष स्वाभाविक है। उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी जैसे नेता अपने समर्थक वर्गों में प्रभाव रखते हैं और यदि उनका असंतोष बढ़ता है तो यह एनडीए की चुनावी रणनीति पर असर डाल सकता है। एनडीए में सीट बंटवारे के बाद की हलचल से यह स्पष्ट है कि बिहार की सियासत अभी पूरी तरह शांत नहीं हुई है। छोटे सहयोगी दलों की नाराजगी भले ही खुलकर बगावत के रूप में न दिखाई दे, लेकिन अंदर ही अंदर असंतोष की लहर मौजूद है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए इस असंतोष को कैसे संभालता है और क्या उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी को मनाने में सफल होता है या नहीं।


