कैमूर : कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के इस्तीफे विरोध में किसान यूनियन ने निकाला शांति मार्च, बोले- किसानों की बात करने वाला कोई मंत्री बना था

कैमूर। बिहार के कैमूर में कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के इस्तीफे के विरोध में शनिवार को कैमूर किसान संघर्ष मोर्चा ने दुर्गावती में शांति मार्च निकाला। किसान नेता सुनील सिंह ने कहा कि किसानों के हित के सवाल पर हमारी लड़ाई 15 सालों से चली आ रही है। वही उन्होंने कहा की किसान भवन पटना में आयोजित किसान सम्मेलन में भी मैंने कृषि विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को CM नीतीश कुमार के सामने रखा था। अब जब बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी सुधाकर सिंह कृषि मंत्री बने इसके बाद पूर्व की सरकार में कृषि रोड मैप के जरिए खर्च किए गए लाखों करोड़ की राशि का मूल्यांकन किया तब पता चला कि इसमें गड़बड़ी हुई है। वही उन्होंने कहा की बिहार के किसानों को कृषि रोडमैप की जरूरत नहीं है। चुकी 10 सालों में लाख करोड़ खर्च होने के बावजूद किसानों की न आमदनी दोगुनी हुई और ना ही उपज बढ़ी हैं। ऐसे में कृषि रोड मैप की कोई जरूरत नहीं है। सुधाकर सिंह किसानों के हित के लिए जो कदम उठाया था वह काबिले तारीफ था। चाहे बाजार समिति खोलने की बात कही हो या मंडी कानून लागू करने की। किसानों के हित के लिए था।

वही उन्होंने कहा की उर्वरक की कालाबाजारी पर कारवाई होता देख बड़े-बड़े उद्योगपति और पूंजीपति डर गए थे। लेकिन सरकार कृषि मंत्री का इस्तीफा ले लिया। वही 2020 के चुनाव के दौरान और फिर 3 काले कृषि कानूनों के विरोध में जिस तरीके से RJD सड़क पर उतर कर विरोध किया था और सरकार बनने के बाद मंडी कानून लागू करने की बात कही थी। अब जब सत्ता में है MSP की बात कर रही है। जो बात 3 काले कानूनों के सवाल पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किया करते थे। उसी बात को बिहार की महागठबंधन सरकार दोहरा रही है। वही आगे किसान नेताओं ने कहा कि बिहार में पहली बार किसानों की बात करने वाला मंत्री बना था। लेकिन 40-45 दिनों के भीतर ही इस्तीफा ले लिया गया। बिहार की जनता एक बार फिर से सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री के रूप में देखना चाहती है। यदि सरकार उन्हें दुबारा मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करती है। तो इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा।

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