कार्तिक पूर्णिमा : कृतिका नक्षत्र के सुयोग में श्रद्धालुओं ने गंगा में लगायी आस्था की डुबकी, चंद्रग्रहण को लेकर लोगो में बना रहा संशय

पटना। राजधानी पटना के विभिन्न गंगा घाटों के साथ ही दानापुर, मनेर से लेकर फतुहा तक गंगा घाट पर हजारों श्रद्धालुओं ने कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर शुक्रवार की सुबह से ही आस्था की डुबकी लगाने उमड़ पड़े। कोरोना महामारी के नए मामले सामने आने के बावजूद आस्था उफान पर दिखा। श्रद्धालु सुबह से ही गंगा में डुबकी लगाने के लिए पटना के विभिन्न घाटों पर पहुंच गए थे। गंगा में डुबकी लगाने के बाद लोग गंगा किनारे पूजा पाठ किया। हालांकि इस मौके पर जिला प्रशासन ने सुरक्षा के साथ ही घाटों पर गोताखोरों की व्यवस्था पहले से ही कर ली थी और गंगा में बांस के सहारे मार्किंग कर दिया गया था। पटना के गांधी घाट, दीघा घाट, गाय घाट, महावीर घाट, भद्र घाट, कंगन घाट से लेकर फतुहा के घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई।
कृतिका नक्षत्र के सुयोग में लगी आस्था की डूबकी
कार्तिक पूर्णिमा को कृतिका नक्षत्र तथा परिघ योग के सुयोग में मनायी गई। अहले सुबह से ही राजधानी के विभिन्न घाटों पर भाड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डूबकी लगायी। बारह मासों में कार्तिक मास आध्यात्मिक एवं शारीरिक ऊर्जा संचय के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसे देव मास की उपाधि दी गयी है। बनारस में देव दीपावली का महापर्व मनाया गया। कार्तिक पूर्णिमा की गंगा स्नान करने से पूरे गंगा स्नान का फल मिलता है तथा शरीर में पापों का नाश एवं सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। गंगा स्नान के बाद भगवान नारायण की विधिवत पूजा, सत्यनारायण प्रभु की कथा, विष्णु सहस्त्रनाम, पुरुषसूक्त का पाठ, अन्न, वस्त्र, ऋतुफल, द्रव्य, घी का दान किया गया क संध्या काल में तुलसी की आरती भी उतारी गयी।


चंद्रग्रहण को लेकर लोगों में बनी रही संशय
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने बताया कि शुक्रवार को इस वर्ष का दूसरा व अंतिम चंद्रग्रहण लगा था, जो केवल भारत के सुदूर पूर्वीं क्षेत्रों में तथा अन्य कई देशों में लगा। इसका बिहार और इसके आसपास के राज्यों में कोई असर नहीं था। इसके बावजूद लोगों में संशय की स्थिति बरकरार थी। विशेषकर गर्भवती महिलाओं को लेकर उनके नियम, धर्म पालन व विविध सावधानियों के चलते श्रद्धालु पंडितों से फोन पर जानकारी ले रहे थे। सुबह से लेकर शाम तक संशय की स्थिति बरकरार रही।
मंदिरों में दीपदान करने वालों का लगा रहा तांता
कार्तिक पूर्णिमा को दीपदान का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। दीपदान करने से दिव्य कान्ति, धन, यश, कीर्ति, वैभव, ऐश्वर्य का लाभ प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा को दीप दान का पुण्यफल दस यज्ञों के बराबर होता है। इसीलिए राजधानी के मंदिरों में, पीपल वृक्ष के पास, चौराहे पर भी विशेषकर संध्याकाल में दीपदान करने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ था। लोग भगवान के समक्ष घी का दीपक जलाकर अपनी सुख-समृद्धि की कामना किए।

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