विधानसभा के लिए जनसुराज की दूसरी लिस्ट जारी: 65 उम्मीदवारों को टिकट, भागलपुर के अभयकांत झा लड़ेंगे चुनाव
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज ने अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची जारी कर दी है। इस सूची में कुल 65 उम्मीदवारों के नाम शामिल किए गए हैं। इससे पहले 9 अक्टूबर को पार्टी ने 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। दोनों सूचियों को मिलाकर अब तक कुल 116 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो चुकी है। जनसुराज ने इस बार समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने का दावा किया है और जातीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों का चयन किया है।
भागलपुर के अभयकांत झा को टिकट
दूसरी सूची में सबसे चर्चित नाम भागलपुर के वरिष्ठ वकील अभयकांत झा का है। 74 वर्षीय अभयकांत झा ने भागलपुर दंगे के दौरान मुस्लिमों की ओर से केस लड़ा था। उनकी छवि एक ईमानदार और संवेदनशील वकील की रही है। प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनका परिचय कराते हुए कहा कि जनसुराज ऐसे ही लोगों को राजनीति में लाने का प्रयास कर रहा है जिन्होंने समाज के लिए काम किया है और जिनका जनसंपर्क वास्तविक है, न कि केवल राजनीतिक आधार पर। अभयकांत झा को टिकट दिए जाने से जनसुराज ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी सामाजिक न्याय और साम्प्रदायिक सौहार्द के मुद्दे पर गंभीर है।
समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व
प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जनसुराज का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग को राजनीति में समान भागीदारी देना है। उन्होंने कहा, “हमने जो वादा किया था कि जिसकी जितनी संख्या है, उसे उतनी भागीदारी मिलेगी, उस दिशा में हम बढ़ रहे हैं।” जनसुराज की दूसरी सूची में जातिगत और सामाजिक संतुलन को प्राथमिकता दी गई है। पार्टी ने घोषणा की है कि 70 उम्मीदवार अत्यंत पिछड़े वर्ग से होंगे। अगर उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होंगे तो पार्टी स्वयं साधन उपलब्ध कराएगी और उम्मीदवारों को आवश्यक प्रशिक्षण भी देगी।
दूसरी सूची में उम्मीदवारों का सामाजिक वर्गीकरण
दूसरी सूची में कुल 65 उम्मीदवार हैं, जिनमें 19 सुरक्षित और 46 सामान्य सीटें हैं। जातिगत आधार पर देखा जाए तो अनुसूचित जाति से 18 उम्मीदवार, अनुसूचित जनजाति से 1, अत्यंत पिछड़ा वर्ग से 14, पिछड़ा वर्ग से 11, सामान्य वर्ग से 10 और अल्पसंख्यक समुदाय से 11 उम्मीदवार शामिल किए गए हैं। यह संतुलन बताता है कि जनसुराज पार्टी ने पारंपरिक राजनीतिक समीकरणों से आगे बढ़कर व्यापक सामाजिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की कोशिश की है।
जनसुराज की पहली सूची की झलक
पहली सूची में 51 उम्मीदवारों के नाम शामिल थे, जिनमें कई चर्चित नाम सामने आए थे। समस्तीपुर की मोरवा सीट से कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर को टिकट मिला था। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह को अस्थावां से उम्मीदवार बनाया गया था। पार्टी ने सामाजिक विविधता को ध्यान में रखते हुए गोपालगंज से प्रीति किन्नर को भी चुनाव मैदान में उतारा था। वहीं, गणितज्ञ केसी सिन्हा को पटना की कुम्हरार सीट से और पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील वाई.वी. गिरी को सारण के मांझी से टिकट दिया गया था। पहली सूची में भी जातिगत संतुलन का विशेष ध्यान रखा गया था। सबसे अधिक 17 उम्मीदवार अत्यंत पिछड़े वर्ग से थे, जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति से 7, पिछड़ा वर्ग से 11, अल्पसंख्यक वर्ग से 9 और सामान्य वर्ग से 7 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया था।
कुल उम्मीदवारों का वितरण
दोनों सूचियों को मिलाकर अब तक जनसुराज ने 116 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिनमें 25 सीटें आरक्षित हैं। शेष 91 सीटों में से 31 सीटों पर अत्यंत पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। प्रशांत किशोर का कहना है कि अब तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने बिहार की राजनीति में अत्यंत पिछड़े वर्ग को इतनी बड़ी भागीदारी नहीं दी है।
पार्टी की रणनीति और लक्ष्य
जनसुराज पार्टी की रणनीति स्पष्ट रूप से सामाजिक प्रतिनिधित्व और नई राजनीतिक सोच पर आधारित है। प्रशांत किशोर ने कहा कि पार्टी का उद्देश्य केवल चुनाव जीतना नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एक नई दिशा देना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी धनबल या बाहुबल के आधार पर उम्मीदवार नहीं चुन रही, बल्कि उन लोगों को अवसर दे रही है जो समाज में अपनी सच्ची पहचान बना चुके हैं। प्रशांत किशोर का मानना है कि बिहार में राजनीति लंबे समय से जातिवाद, भ्रष्टाचार और सीमित परिवारवाद की जकड़ में है। जनसुराज का प्रयास है कि इस परंपरा को तोड़ा जाए और जनता की भागीदारी को वास्तविक रूप में सशक्त बनाया जाए।
टिकट वितरण में पारदर्शिता
जनसुराज ने टिकट वितरण प्रक्रिया को पारदर्शी और खुला रखने की बात कही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने कहा कि हर दिन एक नई सूची जारी की जाएगी और सभी उम्मीदवारों का चयन योग्यता, सामाजिक योगदान और जनता से जुड़ाव के आधार पर किया जाएगा। हालांकि, पहली सूची जारी होने के बाद कुछ असंतुष्ट नेताओं ने टिकट न मिलने पर नाराजगी भी जाहिर की थी, लेकिन पार्टी ने इसे एक स्वाभाविक प्रक्रिया बताया।
प्रशांत किशोर का चुनाव अभियान
प्रशांत किशोर ने 11 अक्टूबर से अपने चुनाव अभियान की शुरुआत राघोपुर से की है। उनका कहना है कि यह यात्रा केवल प्रचार का माध्यम नहीं है, बल्कि जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझने और जनसुराज के विजन को साझा करने का प्रयास है। पार्टी का दावा है कि उसके उम्मीदवार गांव-गांव जाकर जनता से सीधे संवाद करेंगे और उनके सुझावों को नीति निर्धारण में शामिल किया जाएगा। जनसुराज पार्टी की दूसरी उम्मीदवार सूची ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में एक नई सोच और नए चेहरे लाने की कोशिश कर रहे हैं। सामाजिक विविधता, पारदर्शिता और जनता की भागीदारी पर आधारित यह प्रयास पारंपरिक राजनीति को चुनौती देने वाला है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस नए प्रयोग को कितना स्वीकार करती है और क्या जनसुराज वाकई बिहार की राजनीति में वह बदलाव ला पाएगा जिसकी प्रशांत किशोर लंबे समय से बात करते आ रहे हैं।



