October 28, 2025

आरा में जन सुराज के प्रत्याशी के काफिले पर हमला, नशे में युवक ने स्कॉर्पियों पर फेंका पत्थर, वाहन क्षतिग्रस्त

भोजपुर। जिले के आरा विधानसभा क्षेत्र में मंगलवार को एक सनसनीखेज घटना सामने आई, जिसने न केवल स्थानीय राजनीति को गर्मा दिया बल्कि बिहार में शराबबंदी कानून की विफलता पर भी कई सवाल खड़े कर दिए। जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी डॉ. विजय गुप्ता के जनसंपर्क अभियान के दौरान पिरौटा गांव में उनके काफिले पर एक नशे में धुत युवक ने हमला कर दिया। इस दौरान प्रत्याशी की स्कॉर्पियो पर ईंट और पत्थर फेंके गए, जिससे वाहन का शीशा टूट गया और गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई। हालांकि, सौभाग्य से इस घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं है।
जनसंपर्क अभियान के बीच हमला
जन सुराज प्रत्याशी डॉ. विजय गुप्ता अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं के साथ आरा विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान चला रहे थे। इसी क्रम में जब उनका काफिला भोजपुर जिले के पिरौटा गांव पहुंचा, तभी एक युवक ने अचानक पत्थरबाजी शुरू कर दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, युवक शराब के नशे में था और उसने अचानक वाहन पर ईंट-पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। घटना इतनी अचानक हुई कि वहां अफरा-तफरी मच गई। गाड़ी का शीशा टूट गया और चालक को वाहन रोकना पड़ा। बताया जा रहा है कि उस वक्त डॉ. विजय गुप्ता दूसरी गाड़ी में सवार थे, जिससे एक बड़ी अनहोनी टल गई।
ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं की सूझबूझ से नियंत्रित हुआ हालात
हमले के बाद मौके पर माहौल तनावपूर्ण हो गया। युवक गाड़ी पर चढ़कर गाली-गलौज करने लगा और एक राजनीतिक पार्टी का नाम लेकर अभद्र टिप्पणी करता रहा। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे राजनीतिक हलचल और तेज हो गई है। स्थानीय लोगों और जन सुराज कार्यकर्ताओं ने किसी तरह युवक को काबू में किया और उसे गांव वालों के हवाले कर दिया। बताया जा रहा है कि बाद में आरोपी को पुलिस के सुपुर्द किए जाने की प्रक्रिया पूरी की गई। फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और घटना के पीछे की वजहों को खंगाल रही है।
डॉ. विजय गुप्ता ने बताया सोची-समझी साजिश
घटना के बाद डॉ. विजय गुप्ता ने कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह हमला एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। उनके अनुसार, जिस तरह युवक ने शराब के नशे में राजनीतिक दल का नाम लेकर गालियां दीं, उससे यह स्पष्ट होता है कि यह घटना आकस्मिक नहीं थी। उन्होंने कहा कि जन सुराज पार्टी को मिल रहे लगातार जनसमर्थन से विरोधी दल बौखला गए हैं और इसी कारण इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और पूरी घटना की निष्पक्ष जांच की जाए।
शराबबंदी पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर बिहार में लागू शराबबंदी कानून की सच्चाई को उजागर कर दिया है। डॉ. विजय गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार शराबबंदी को लेकर सिर्फ कागजों पर काम कर रही है। गांव-गांव में शराब का अवैध कारोबार और नशे का चलन बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह घटना इस बात का प्रमाण है कि शराबबंदी महज एक दिखावा बनकर रह गई है। बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद नशे में धुत व्यक्ति का खुलेआम हिंसा पर उतर आना सरकार की नाकामी का प्रतीक है।
राजनीतिक माहौल में बढ़ा तनाव
घटना के बाद भोजपुर जिले का राजनीतिक तापमान काफी बढ़ गया है। जन सुराज पार्टी के समर्थकों में आक्रोश देखा जा रहा है। उनका कहना है कि यह घटना विपक्ष की घबराहट का परिणाम है। समर्थकों ने प्रशासन से यह भी मांग की है कि मामले की जांच निष्पक्ष ढंग से की जाए और दोषी को कड़ी सजा दी जाए। दूसरी ओर, विपक्षी दलों की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सोशल मीडिया पर राजनीतिक टिप्पणियों की बाढ़ आ गई है।
जनता में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ
ग्रामीणों और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं चुनावी माहौल में तनाव को और बढ़ा सकती हैं। कुछ लोग इसे शराबबंदी कानून की विफलता से जोड़ रहे हैं, तो कुछ इसे एक राजनीतिक साजिश मान रहे हैं। पिरौटा गांव के एक निवासी ने कहा कि युवक शराब के नशे में था और किसी बहकावे में आकर उसने यह हरकत की। वहीं, कई लोग इसे प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा बता रहे हैं। आरा में जन सुराज प्रत्याशी के काफिले पर हुआ यह हमला केवल एक स्थानीय घटना नहीं बल्कि बिहार की मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक स्थिति का आईना है। यह घटना शराबबंदी कानून की प्रभावशीलता, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते नशे के दुष्प्रभाव और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की तीव्रता को उजागर करती है। जन सुराज पार्टी जहां इसे राजनीतिक साजिश बता रही है, वहीं जनता इस घटना को प्रशासनिक नाकामी के रूप में देख रही है। अब देखना यह होगा कि पुलिस जांच में क्या निकलकर आता है और क्या आरोपी को सजा मिलती है या यह मामला भी अन्य राजनीतिक घटनाओं की तरह धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
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