कृषि विभाग का प्रस्तुतीकरण: सीएम का निर्देश- जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए लोगों को करें प्रेरित
जलवायु के अनुकूल फसल चक्र अपनाने से किसानों को होगा फायदा
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष गुरूवार को नेक संवाद में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कृषि विभाग ने अपना प्रस्तुतीकरण दिया। प्रस्तुतीकरण के दौरान कृषि सह पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव एन सरवन कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। वीडियो फिल्म के माध्यम से नालंदा जिले के किसान ने जीरो टीलेज विधि से की जा रही खेती के फायदे बताये।
प्रस्तुतीकरण के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जलवायु के अनुकूल फसल चक्र अपनाने से किसानों को फायदा होगा। जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम को चार संस्थानों बोरलॉग इंस्टीच्यूट फॉर साउथ एशिया, पूसा, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् पूर्वी क्षेत्र पटना के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है। जरुरत हो तो एडवाइजर के रुप में इंटरनेशनल संस्थाओं को भी शामिल कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि लोगों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरुक करें। फसल अवशेष (पराली) जलाने से हो रहे नुकसान के बारे में बताएं। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सहायक कृषि यंत्रों के उपयोग के बारे में भी जानकारी दें। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि गंगा नदी के किनारे 12 जिलों तथा नालंदा में शुरू की गई जैविक खेती से उत्पादन और उत्पादकता दोनों बढ़ी है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रेरित करें, इससे न सिर्फ उनकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि पर्यावरण का संरक्षण भी होगा।
इससे पहले सचिव एन सरवन कुमार ने बताया कि प्रथम फेज में राज्य के 8 जिलों में जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। शेष सभी जिलों में भी इसे शुरू किया जाएगा। उन्होंने किसानों को जलवायु अनुकूल विधियों में फसल चक्र, जीरो टीलेज एवं फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी। बैठक में मुख्य सचिव दीपक कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह उपस्थित थे।