राजपूताना राज्य की मांग को लेकर महाराणा प्रताप के पुण्यतिथि पर धरना देकर आंदोलन को किया तेज

पटना। अखिल भारतीय राजपूताना राज्य संघर्ष समिति के बैनर तले पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर शक्ति संजय धरना का आयोजन राजपूताना राज्य की मांग को लेकर किया गया। इस मौके पर महाराणा प्रताप के पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा में पुष्प अर्पित कर उपस्थित लोगों ने राज्य के गठन का संकल्प लिया। औरंगाबाद लोकसभा अंतर्गत गया, सासाराम, भोजपुर, महाराजगंज लोकसभा सिवान, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा के विरोल-सुपौल, सहरसा आदि जिलों को मिलाकर राजपूताना राज्य की मांग की गई है। इस राज्य से वैदिक भाषा, संस्कृति की संरक्षण की बात कही गई है। राजपूताना को जाती नहीं वीरता, शौर्य, पराक्रम का प्रतीक धरना में बताया गया। धरनार्थियों द्वारा संसद भवन में पौराणिक परंपरा के याद के तौर पर राजदंड रखा जा सकता है तो ऐतिहासिक भारतीय सभ्यता संस्कृति को संरक्षित करने के लिए अखंड भारत के वीरता के प्रतीक रहे राजपूताना राज्य के नाम पर देश में एक राज्य क्यों नहीं हो सकते हैं? जैसे देश में विपक्षी पार्टी द्वारा संविधान सुरक्षा की मांग की जा रही है वैसे ही पौराणिक राष्ट्रीय वीरता के प्रतीक रहे राजपूताना संस्कृति का संरक्षण चाहते हैं। राजपूताना जाती नहीं भारतीय गौरवशाली इतिहास की पहचान है, जो भारतवर्ष, उदारवादी सहिष्णुता सनातन धर्म एवं सामाजिक न्याय के रक्षक रहे हैं। सामाजिक न्याय राजधर्म से ही निकला है। इसलिए राजपूताना को राष्ट्र के राष्ट्रीय शब्दावली में घोषित की जानी चाहिए। क्योंकि भारतवर्ष की रक्षा में राजपूताना लड़ा के के वीर गति प्राप्त होने पर उनके नाबालिक बच्चे भी योद्धा की तरह लड़ते थे और महिलाएं या तो युद्ध अन्यथा सामूहिक जौहर कर लेते थे। भारतीय लोकतंत्र स्थापना में 400 से ज्यादा रियासतों को भारत सरकार को समर्पित की एवं आज भी सेवा में राजपूताना रेजीमेंट वीरता के प्रतीक हैं। जो द्वितीय विश्व युद्ध में देश के लिए सर्वाधिक परमवीर चक्र प्राप्त किया। धरना में वक्ताओं ने असम रेजीमेंट से असम राज्य, पंजाब रेजीमेंट से पंजाब राज्य, जम्मू कश्मीर रेजीमेंट से जम्मू कश्मीर राज्य, नागा रेजीमेंट से नागालैंड राज्य बन सकते हैं तो इस तर्ज पर राजपूताना रेजीमेंट से राजपूताना राज्य बनाने की मांग की है। इस अवसर पर प्रस्ताव पास किया गया कि महाराणा प्रताप समेत ऐतिहासिक वीरों के याद में प्रदेश भर में चित्र प्रदर्शनी लगाकर मांग के समर्थन में जात -मजहब के  लोगों को जोड़ेंगे। क्योंकि इन वीरों ने देश के सभी जाति – मजहब के लोगों के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। इसलिए सभी जाति वर्गों के लोगों से आह्वान है कि वीरों के सम्मान में एक राज्य की स्थापन के लिए चलाई जा रही आंदोलन में सहयोग करें। जैसे हिंदुस्तान और हिंदुस्तानी शब्द में फर्क है उसी प्रकार राजपूत और राजपूताना में फर्क बताया गया। इससे संबंधित मांग पत्र राजपाल और मुख्यमंत्री के नाम से दिए गए। धरना में चंद्रवंशी, बिन्द -बेलदार समाज के लोगों में भी संबोधित किया। धरना की अध्यक्षता अखिल भारतीय राजपूताना राज संघर्ष समिति के संस्थापक सिद्धार्थ क्षत्रिय ने की संचालन विशाल कुमार वर्मा ने किया। प्रभात चंद्रवंशी, सौरभ सिंह, सुमित सौरव, अजय सिंह बबलू सिंह, उपेंद्र कुमार सिंह, अमर कुमार, श्यामल शर्मा रवि रंजन, पवन सिंह, मनोज कुमार, भूपेश सिंह, मुन्ना भारती राजीव भारती राजीव सिंह, घनश्याम सिंह, उमाशंकर सिंह, संजीत चौहान आदि समेत विभिन्न जिलों से लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन प्रभात चंद्रवंशी ने किया। कार्यक्रम के अंत में पौधरोपण, जरुरतमंददो में कमल वितरण किया गया।

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