पीएमसीएच में 18 अक्टूबर से शुरू होगी इमरजेंसी और इनडोर सेवाएं, बनेगा शानदार हेलीपैड, गंभीर मरीजों को मिलेगी सुविधा
पटना। राजधानी पटना के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। बिहार का सबसे बड़ा और सबसे पुराना अस्पताल, पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच), अब पूरी तरह आधुनिक रूप में अपनी नई पहचान बनाने जा रहा है। 18 अक्टूबर से पीएमसीएच के नए अत्याधुनिक भवन में इमरजेंसी और इनडोर सेवाएं शुरू की जाएंगी। यह बिहार के स्वास्थ्य तंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
अत्याधुनिक भवन में नई सुविधाओं की शुरुआत
अस्पताल प्रशासन ने पुष्टि की है कि 18 अक्टूबर से मेडिकल इमरजेंसी, पीकू (बाल चिकित्सा गहन चिकित्सा इकाई), नीकू (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) और अन्य जरूरी विभागों को नए हॉस्पिटल ब्लॉक के टावर-1 और टावर-2 में स्थानांतरित किया जाएगा। यह परियोजना पीएमसीएच के विकास के पहले चरण का हिस्सा है। इस नए भवन को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार किया गया है ताकि मरीजों को बेहतर, तेज और सुरक्षित उपचार मिल सके। इससे पहले अस्पताल प्रशासन ने जुलाई, अगस्त और सितंबर में सेवाएं शुरू करने की तारीख तय की थी, लेकिन तकनीकी और प्रशासनिक कारणों से प्रक्रिया स्थगित होती रही। अब सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, और अस्पताल अधीक्षक डॉ. आई.ए.एस. ठाकुर ने स्पष्ट किया है कि इस बार तय समय पर सेवाएं शुरू होंगी।
नए पीएमसीएच की आधुनिक सुविधाएं
नया पीएमसीएच भवन न केवल आकार में बड़ा है, बल्कि सुविधाओं के मामले में किसी भी बड़े निजी अस्पताल को टक्कर देता है। इसमें 65 ऑटोमेटेड आईसीयू बेड, 44 पोस्ट-आईसीयू बेड, 100 प्राइवेट रूम, 10 डीलक्स रूम और 2 सुइट रूम बनाए गए हैं। प्रत्येक वार्ड में मरीजों की गोपनीयता और आराम का विशेष ध्यान रखा गया है। मरीजों के बेड के बीच ब्लू कर्टेन्स लगाए गए हैं ताकि उन्हें व्यक्तिगत स्पेस मिल सके। अस्पताल की डिजाइन में चौड़े गलियारे, आधुनिक प्रकाश व्यवस्था और स्वच्छ वातावरण को प्राथमिकता दी गई है। भवन के भीतर वृहद वेटिंग एरिया बनाया गया है ताकि मरीजों के परिजन को भी सुविधा मिल सके। साथ ही, सभी मंजिलों पर कंप्यूटरीकृत नर्सिंग स्टेशन, सीसीटीवी निगरानी और फायर सेफ्टी सिस्टम लगाए गए हैं।
हेलिपैड की सुविधा – गंभीर मरीजों के लिए राहत
नए पीएमसीएच भवन की सबसे बड़ी उपलब्धि इसका हेलिपैड है। इस सुविधा के शुरू हो जाने से गंभीर मरीजों को अब एयर लिफ्ट कर सीधे अस्पताल लाया जा सकेगा। यह सुविधा विशेष रूप से उन मरीजों के लिए जीवनदायी साबित होगी जिन्हें दूरस्थ जिलों या दुर्घटनास्थलों से तुरंत इलाज के लिए लाना आवश्यक होता है। इससे आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता और गति दोनों में बड़ा सुधार होगा।
संचालन के लिए पूर्ण तैयारियां
अस्पताल प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि नए भवन के संचालन में किसी प्रकार की बाधा न आए। इसके लिए लिफ्टमैन, टेक्नीशियन, नर्सिंग स्टाफ और मेंटेनेंस कर्मियों की सभी आवश्यक नियुक्तियां पूरी कर ली गई हैं। साथ ही, सभी विभागों के लिए स्टाफ रोस्टर भी तैयार कर लिया गया है ताकि इमरजेंसी और इनडोर सेवाएं 24 घंटे सुचारू रूप से संचालित हो सकें। डॉक्टरों का कहना है कि चूंकि यह भवन पूरी तरह अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित है, इसलिए अतिरिक्त तकनीकी स्टाफ की भी जरूरत होगी। प्रशासन ने इस दिशा में भी कदम बढ़ा दिया है और नए तकनीकी पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है।
राज्य सरकार की बड़ी पहल
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि बिहार को चिकित्सा सेवाओं के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जाए। नए पीएमसीएच भवन का निर्माण इसी उद्देश्य से किया गया है। यह परियोजना न केवल पटना बल्कि पूरे बिहार के मरीजों के लिए एक वरदान साबित होगी। यहां मरीजों को अब बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ स्वच्छ वातावरण और अत्याधुनिक तकनीक का लाभ मिलेगा। सरकार का कहना है कि यह परियोजना स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इसका उद्देश्य सरकारी अस्पतालों की छवि को बदलना और उन्हें निजी अस्पतालों के समान मानकों तक पहुंचाना है।
मरीजों और परिजनों के लिए बेहतर अनुभव
नए पीएमसीएच में मरीजों और उनके परिजनों के आराम का विशेष ध्यान रखा गया है। आधुनिक ऑपरेशन थिएटर, उन्नत मॉनिटरिंग सिस्टम और बेहतर सफाई व्यवस्था ने इसे पूरी तरह नया रूप दिया है। मरीजों के लिए हर मंजिल पर फूड वेंडिंग मशीन, वेटिंग लाउंज और स्वच्छ शौचालय जैसी सुविधाएं जोड़ी गई हैं। पीएमसीएच का नया भवन बिहार के स्वास्थ्य ढांचे में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह केवल एक अस्पताल नहीं बल्कि राज्य की चिकित्सा क्षमता और आधुनिकता का प्रतीक है। 18 अक्टूबर से जब इमरजेंसी और इनडोर सेवाएं शुरू होंगी, तो यह न सिर्फ मरीजों के लिए राहत लेकर आएगा बल्कि बिहार के लिए गर्व का क्षण भी होगा। इस परियोजना से यह संदेश स्पष्ट है कि बिहार अब स्वास्थ्य क्षेत्र में भी विकास की नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है।


