5 वर्षों में बिहार के सभी जिलों में संस्थागत प्रसव के आंकड़ों में हुई वृद्धि, मुंगेर जिला अव्वल
* 93.2% संस्थागत प्रसव के साथ मुंगेर जिला है राज्य में अव्वल
* सीतामढ़ी जिले में संस्थागत प्रसव में 27.2 प्रतिशत की हुई वृद्धि

पटना। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार राज्य के सभी जिलों में संस्थागत प्रसव के दर में वृद्धि दर्ज हुयी है। वहीं 93.2 प्रतिशत संस्थागत प्रसव के साथ मुंगेर जिला राज्य में अव्वल रहा है। संस्थागत प्रसव में वृद्धि दर की बात करें तो 27.2 प्रतिशत वृद्धि के साथ सीतामढ़ी जिला राज्य में अव्वल है। सुरक्षित मातृत्व में संस्थागत प्रसव की भूमिका अहम मानी जाती है, जिसका मुख्य उद्देश्य मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। इसके लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के सफल संचालन के लिए राज्य, जिला एवं प्रखंड स्तर पर निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसका जमीनी स्तर पर साकारात्मक असर भी दिख रहा है।
मुंगेर में संस्थागत प्रसव में 9.7 प्रतिशत वृद्धि
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार मुंगेर जिला में संस्थागत प्रसव में 9.7 फीसदी की वृद्धि होकर 93.2 प्रतिशत हुयी है, जो कि राज्य में सर्वाधिक है। बक्सर जिला 89.5 प्रतिशत संस्थागत प्रसव की दर के साथ दूसरे स्थान पर एवं 89.2 प्रतिशत संस्थागत प्रसव के साथ शेखपुरा जिला तीसरे पायदान पर है। राज्य स्तर पर भी संस्थागत प्रसव के आंकड़ों में वृद्धि दर्ज की गयी है। जहां राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 में राज्य में संस्थागत प्रसव की दर 63.8 प्रतिशत थी, जो सर्वेक्षण-5 में बढ़कर 76.2 प्रतिशत हुयी।
सीतामढ़ी में 27.2 प्रतिशत की हुई वृद्धि
संस्थागत प्रसव के आंकड़ों में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के सापेक्ष में सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों को देखें तो 27.2 प्रतिशत के साथ सीतामढ़ी जिला में सर्वाधिक वृद्धि दर्ज हुयी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों के अनुसार जिला में संस्थागत प्रसव की दर 37.2 % थी, जो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार 64.4% हो गयी है। सीतामढ़ी के बाद 23.4 प्रतिशत वृद्धि के साथ मधुबनी जिला दूसरे तथा 22.7 प्रतिशत के साथ वृद्धि दर के साथ दरभंगा जिला तीसरे स्थान पर है।
संस्थागत प्रसव के ये हैं लाभ
* शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में कमी
* उच्च जोखिम प्रसव का कुशल प्रबंधन
* प्रसव पश्चात देखभाल का सुनिश्चित होना
* जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को 1400 एवं शहरी को 1000 रुपए की सहायता राशि

