PATNA : तेज बुखार के साथ सांस में तकलीफ का कारण निकला मवाद से लिवर का फटना, आईजीआईएमएस के डॉक्टरों ने बचाई जान

पटना। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। तेज बुखार और सांस लेने में तकलीफ वाले मरीज में कोरोना संक्रमण की आशंका थी, लेकिन जांच रिपोर्ट ने डॉक्टरों को भी चौंका दिया। कोरोना की आशंका में मामला मवाद भरने से लिवर फटने का निकला। डॉक्टरों ने 4 घंटे की सर्जरी से शिवहर के रहने वाले मरीज की जान बचाई है।
15 लाख खर्च के बाद भी नहीं चला बीमारी का पता
बिहार के शिवहर जिला के मरीज 22 साल के रहमत अंसारी को तेज बुखार, पेट में दर्द के साथ सांस लेने में तकलीफ थी। तकलीफ बढ़ने के बाद मरीज को पटना के एक निजी बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्राइवेट हॉस्पिटल में 15 लाख रुपए भी खर्च हो गए, लेकिन बीमारी का पता नहीं चल सका। इसके बाद आईजीआईएमएस पटना के सर्जिकल गैस्ट्रोइन्ट्रोलॉजी विभाग में भर्ती कराया गया।
लिवर में भरा हुआ था मवाद
मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल ने बताया, सांस की तकलीफ को लेकर लोगों को लगता था कोरोना है, लेकिन मरीज रहमत की बीमारी लिवर से जुड़ी थी। डॉ. मनीष ने बताया, आईजीआईएमएस की इमरजेंसी में भर्ती होने के बाद उसे सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी। इस कारण से उसे आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। इस दौरान कोविड से लेकर हर तरह की जांच कराई गई। मरीज के पेट का सीटी स्कैन कराया गया तो पता चला कि उसके लिवर में मवाद भरा हुआ था, जो फटकर दाहिने साइड छाती में भी फैल गया था। इस कारण से उसे सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी। इसी कारण से मरीज को बुखार भी हो रहा था।
थोराकोस्कोपिक विधि से किया गया आपरेशन
जांच के बाद सर्जिकल गैस्ट्रोइन्ट्रोलॉजी विभाग ने इस जटिल आपरेशन को दूरबीन (थोराकोस्कोपिक) विधि से करने का निर्णय लिया। दूरबीन विधि से मरीज की छाती में भरा हुआ मवाद और लिवर के मवाद को निकाला गया। डॉ. मंडल ने बताया कि मरीज आपरेशन के बाद पूरी तरह से स्वस्थ है। मरीज को डिस्चार्ज किए जाने की तैयारी है। टीम में डॉ. राकेश कुमार सिंह, डॉ. निशांत कुरियन और निश्चेतना विभाग की डॉ. स्वाती और डॉ. आलोक एवं नर्सिंग सिस्टर रीना उनकी टीम में शामिल रही।
