मुजफ्फरपुर स्टेशन पर हुआ हाईटेक वाटरिंग सिस्टम की शुरुआत, ट्रेन के कोचों में पानी भरने में होगा इस्तेमाल

मुजफ्फरपुर। पूर्व मध्य रेल अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करने एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु सदैव तत्पर रहता है। इसी कड़ी में मुजफ्फरपुर स्टेशन पर भी अब ट्रेन के कोचों में पानी भरने हेतु त्वरित जल प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। डिब्बों में पानी की उपलब्धता आवश्यक यात्री आवश्यकताओं में से एक है। बावजूद इसके पानी नहीं भरने को लेकर लोगों की शिकायतें समय-समय पर आती रहती हैं। डिब्बों टंकी के धीमी गति से भरने का एक मुख्य कारण पानी के पाइपों के माध्यम से पानी का धीमा प्रवाह होता है। मुजफ्फरपुर जंक्शन सोनपुर मंडल का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। मुजफ्फरपुर जंक्शन में 8 प्लेटफॉर्म में से 8 प्लेटफॉर्म हैं, 5 हाइड्रेंट लाइनों से लैस हैं. लंबी दूरी की अधिकांश ट्रेनों में 5 से 10 मिनट का ठहराव समय होता है। ऐसे में सभी कोचों को स्टॉपेज समय के भीतर भरना बहुत मुश्किल है। त्वरित जल प्रणाली 24 डिब्बों वाली एक ट्रेन को पूरी तरह खाली होने पर 10 मिनट में पानी देने में सक्षम होगी।

बता दे की त्वरित जल प्रणाली में 4 सेंट्रीफ्यूगल पंपों के 2 सेट होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में 3 पंप चालू रहते हैं जबकि एक पंप को विफलता के मामले में उपयोग करने के लिए स्टैंडबाय के रूप में रखा जाता है। प्रत्येक पंप की क्षमता 35 मीटर हेड के साथ 200m3/hr की है। मोटर कपल 40hp, 415 V AC है, जो 1450 rpm पर चलता है। यह जल प्रवाह को स्वचालित रूप से नियंत्रित करने के लिए SCADA का उपयोग करता है। इसमें एसएमएस द्वारा निगरानी की भी सुविधा है। इसे SCADA के साथ दूर से भी संचालित किया जा सकता है। SCADA प्रणाली पानी की खपत को रिकॉर्ड करने में मदद करती है और हाइड्रेंट या रिसाव के किसी भी अनधिकृत उपयोग की पहचान करने में भी मदद करती है।

बताया जा रहा हैं की इस प्रणाली के उपयोग से न केवल पानी की बरबादी पर नियंत्रण किया जा सकेगा बल्कि काफी कम समय में ट्रेन के कोचों में पानी भरा जा सकेगा। इस तरह पानी की बर्बादी पर रोक लगने से जल संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकेगा। वही इसमें ट्रेनों में पानी भरने में लगने वाला समय पहले की व्यवस्था की तुलना में काफी कम है, अब 24 कोच वाली ट्रेन को पूरी तरह से पानी देने में केवल 10 मिनट का समय लगता है। इससे मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की समयपालन में सुधार में भी मदद मिलेगी।

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