सदन में नीतीश और तेजस्वी में तीखी बहस, सीएम बोले- तुम अभी बच्चे हो, पिता जब सीएम थे तब क्या किया था

पटना। बिहार विधानसभा के मानसून सत्र का तीसरा दिन तीखी बहस, आरोप-प्रत्यारोप और हंगामे से भरा रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच तीखी बहस ने सदन के वातावरण को गरमा दिया। इस बहस का मुख्य केंद्र बिहार में चल रही वोटर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया यानी एसआईआर रहा, जिसे लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की।
तेजस्वी यादव का हमला
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सदन में एसआईआर की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा आधार कार्ड को मान्य दस्तावेज न माने जाने का निर्णय गरीबों के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिन 11 दस्तावेजों की मांग की जा रही है, वे आम आदमी खासकर प्रवासी मजदूरों के पास उपलब्ध नहीं हैं। तेजस्वी ने कहा कि बिहार के चार करोड़ लोग बाहर काम करने जाते हैं और उनके लिए दस्तावेज जुटा पाना बेहद कठिन है। उन्होंने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह नागरिकता प्रमाणित करने वाला कौन होता है। उन्होंने मांग की कि इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और इसे लोकसभा चुनाव के बाद ही लागू किया जाए।
जब लालू यादव मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने क्या किया, कमजोर वर्गों के लिए लगातार काम कर रहे
तेजस्वी यादव के सवालों पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जब तेजस्वी के पिता लालू यादव मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने क्या किया? नीतीश ने कहा कि हम तो महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों के लिए लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने तेजस्वी को ‘बच्चा’ कहकर संबोधित करते हुए कहा कि वह पहले यह देखें कि उनके माता-पिता ने क्या योगदान दिया था। नीतीश ने स्पष्ट किया कि वे अपने कार्यों के आधार पर जनता के बीच जाएंगे और जवाब देंगे।
राजद विधायक भाई वीरेंद्र का विवादास्पद बयान
इस बहस के बीच राजद विधायक भाई वीरेंद्र का एक बयान सदन में और अधिक तनाव पैदा कर गया। जब स्पीकर ने उन्हें उनके अमर्यादित शब्दों के लिए माफी मांगने को कहा तो उन्होंने पलट कर कहा, “यह सदन किसी के बाप का है क्या?” इस बयान पर उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि राजद गुंडों को सदन में लेकर आया है, जिन पर हजारों हत्या के आरोप हैं।
विपक्ष का प्रदर्शन और सदन का बाधित होना
विधानसभा में विपक्ष ने कार्यवाही शुरू होने से पहले ही मुख्य गेट को जाम कर दिया, जिससे मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम को दूसरे गेट से अंदर आना पड़ा। सदन के भीतर भी नारेबाजी और तख्ती लेकर प्रदर्शन जारी रहा। तेजस्वी यादव ने काले कपड़े पहनकर विरोध जताया, जिस पर नीतीश कुमार ने उनसे नमस्ते करते हुए पूछा कि यह क्या है। तेजस्वी ने इशारों में जवाब दिया।
सत्र में विधेयकों पर कार्यवाही
तीखे राजनीतिक टकरावों के बीच, सत्र के दूसरे हाफ में छह विधेयकों को पारित किया जाना तय था, जिनमें श्रम संसाधन विभाग के चार, और कृषि व पशुपालन विभाग के एक-एक विधेयक शामिल हैं। लेकिन भारी हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही मात्र 51 मिनट ही चल सकी। बिहार विधानसभा का मानसून सत्र राजनीतिक टकराव और सत्ता-विपक्ष के बीच तीखी बहसों का अखाड़ा बन चुका है। तेजस्वी यादव जहां वोटर वेरिफिकेशन प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं, वहीं नीतीश कुमार अपने लंबे शासनकाल की उपलब्धियों का हवाला देकर विपक्ष को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। आने वाले दिनों में इस बहस का असर राज्य की राजनीति पर गहरा पड़ सकता है।
