हेल्थ इंस्टिच्युट में आयोजित ५ दिवसीय विशेष वैज्ञानिक-कार्यशाला में विशेषज्ञों ने दी राय

फुलवारी शरीफ । बौद्धिक-विकलांगता से राष्ट्र को सबसे अधिक ख़तरा है । तन से विकलांग जन तो फिर भी समाज का कोई नुक़सान नही करते,किंतु मन से जो लोग विकलाग हैं उन्होंने समाज को बड़ा नुक़सान पहुँचाया है । आज समाज में ऐसे हीं तत्त्वों का बोलबाला है । यदि इस तरह की बौद्धिक-विकलांगता की कोई दवा अथवा पुनर्वास की व्यवस्था हो, तो यह शीघ्र किया जाना चाहिए । यह बातें भारतीय पुनर्वास परिषद, भारत सरकार एवं अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक् एवं श्रवण दिव्यांग संस्थान, मुंबई के सौजन्य से बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट ऑफ़ हेल्थ एजुकेशन ऐंड रिसर्च में आयोजित विकलांगों के पुनर्वास के कार्य में अपनी सेवाएँ दे रहे विशेषज्ञों एवं विशेष शिक्षकों को आधुनिक तकनीक से अवगत कराने हेतु आयोजित राज्य-स्तरीय पांच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन-समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपना विचार व्यक्त करते हुए,पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कही ।

उन्होंने कहा कि, तन से विकलांग जनों के पुनर्वास तथा विकलांग बच्चों की शिक्षा के लिए, जो प्रयास किए जा रहे हैं उनकी सराहना की जानी चाहिए। किंतु यह पर्याप्त नहीं है।इसे बढ़ाया जाना चाहिए ।

सभा की अध्यक्षता करते हुए,संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि, बड़े हो रहे विकलांग बच्चे जब धीरे-धीरे लोक-व्यवहार समझने लगते हैं और अन्य सामान्य बच्चों की स्वाभाविक प्रगति और उत्साह को देखते हैं, तो उनके मन में, हीन भावना उत्पन्न होने लगती है। यह विकार उनके विकास में सबसे बड़ी बाधा सिद्ध होती है। इन्हें शिक्षित कर रहे विशेष-शिक्षकों का यह सबसे बड़ा दायित्व है कि वे इनके मन में घर बना रही हीन -भावनाओं को प्रवेश न करने दें। उन्हें बताया जाए कि, क्या हुआ जो उनके शरीर के कुछ अंग काम नही करते! मन तो उनका कमज़ोर नहीं! दुनिया के सभी बड़े काम मन की शक्तियों से हुए हैं, शरीर की शक्तियों से नहीं।
पाँच दिवसीय इस वैज्ञानिक-कार्यशाला में, डा नीरज कुमार वेदपुरिया, प्रीति तिवारी, रजनी चौधरी,सरिता कुमारी तथा देवलीना चतुर्वेदी ने अपने वैज्ञानिक-पत्र प्रस्तुत किए। कार्यशाला के सभी ५० प्रतिभागी-विशेष शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं संसाधन-शिक्षकों को, न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद द्वारा प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया।मंच का संचालन कार्यशाला के समन्वयक प्रो कपिल मुनि दूबे तथा धन्यवाद-ज्ञापन संस्थान के प्रशासी अधिकारी सूबेदार मेजर एस के झा ने किया। इस अवसर पर डा अनूप कुमार गुप्ता,आभास कुमार, आनंद मोहन झा तथा अभिजीत पाण्डेय समेत बड़ी संख्या में संस्थान के शिक्षक और छात्रगण उपस्थित थे |

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