गिरिराज सिंह का विपक्ष पर हमला, कहा- ये टिकट बेचवा गठबंधन, सीएम के लिए लालू ने की कांग्रेस की खुशामद
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और राजनीतिक दलों के बीच बयानबाज़ी का दौर चरम पर है। इस सियासी माहौल में केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह ने गुरुवार को विपक्षी महागठबंधन पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने अपने बयान में विपक्ष को “टिकट बेचवा गठबंधन” बताते हुए कांग्रेस और राजद पर सत्ता के लालच में सिद्धांतों से समझौता करने का आरोप लगाया।
महागठबंधन पर गिरिराज सिंह का हमला
गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार का महागठबंधन न तो किसी नीति पर आधारित है और न ही किसी विचारधारा पर। यह गठबंधन केवल सत्ता की कुर्सी पाने की लालसा से बना है। उन्होंने विशेष रूप से लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अब सुनने में आ रहा है कि लालू यादव ने कांग्रेस नेताओं के आगे मुख्यमंत्री पद के लिए अपने बेटे तेजस्वी यादव के नाम की घोषणा करवाने के लिए खुशामद की है। सिंह ने तंज कसते हुए कहा, “लालू यादव ने कहा कि देखो, मेरा अंतिम समय है, कम से कम मेरे बेटे का नाम तो घोषित कर दो।”
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की घोषणा पर सियासी बहस
महागठबंधन की ओर से बुधवार को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। इस घोषणा के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। गिरिराज सिंह ने इस फैसले को विपक्ष की “निराशा और भ्रम की राजनीति” का परिणाम बताया। उनका कहना था कि महागठबंधन की दिशा स्पष्ट नहीं है। कभी कांग्रेस नेतृत्व करती है, तो कभी राजद। सीटों की बंदरबांट और टिकटों के लेनदेन की चर्चाएं हर जिले में हो रही हैं।
“सत्ता की राजनीति” बनाम “जनता की राजनीति”
गिरिराज सिंह ने महागठबंधन को सत्ता का भूखा गठबंधन बताते हुए कहा कि लालू यादव, कांग्रेस और अन्य दल केवल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि इन दलों का मकसद बिहार का विकास नहीं, बल्कि सत्ता में हिस्सेदारी पाना है। सिंह ने आरोप लगाया कि लालू यादव ने अपने शासनकाल में बिहार को भ्रष्टाचार और लूट-खसोट का गढ़ बना दिया था और अब वही दौर दोहराने की कोशिश हो रही है।
तेजस्वी यादव पर भी निशाना
केंद्रीय मंत्री ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में घोषित किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिनके पास प्रशासनिक अनुभव नहीं है, जो खुद भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हैं, वे बिहार को क्या दिशा देंगे? सिंह ने कहा कि बिहार की जनता अब पहले जैसी नहीं है। वह झूठे वादों और खोखले दावों में आने वाली नहीं है। जनता ने विकास और सुशासन का महत्व समझ लिया है।
एनडीए का चुनावी अभियान तेज
इसी बीच, भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने चुनावी अभियान को गति दे दी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को बिहार दौरे पर रहेंगे। वे औरंगाबाद जिले के गोह और वैशाली जिले के पातेपुर विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाओं को संबोधित करेंगे। उनके साथ कई केंद्रीय मंत्री और राज्य के नेता मौजूद रहेंगे। बीजेपी का कहना है कि वह विकास, रोजगार और सुशासन के मुद्दों पर जनता के बीच जाएगी, जबकि विपक्ष जनता को भ्रमित करने में लगा है।
महागठबंधन की रणनीति और विपक्षी जवाब
दूसरी ओर, महागठबंधन ने एनडीए सरकार पर बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर हमला तेज कर दिया है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्ष यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि एनडीए सरकार के शासन में बिहार में बेरोजगारी दर बढ़ी है और विकास कार्य ठप पड़े हैं। कांग्रेस और वीआईपी जैसी सहयोगी पार्टियां भी सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रही हैं।
गिरिराज सिंह के बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रिया
गिरिराज सिंह के “टिकट बेचवा गठबंधन” वाले बयान के बाद बिहार की सियासत और गरम हो गई है। राजद और कांग्रेस के कई नेताओं ने उनके बयान की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि गिरिराज सिंह जनता का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, एनडीए के नेताओं ने इस बयान को विपक्ष के “असली चेहरे” को उजागर करने वाला बताया। उनका दावा है कि विपक्ष केवल जातीय समीकरण और व्यक्तिगत स्वार्थों के आधार पर राजनीति कर रहा है।
बिहार की सियासत में बढ़ता टकराव
बिहार में चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी बयानबाज़ी और तीखी होती जा रही है। हर दिन आरोप-प्रत्यारोप का नया दौर शुरू हो रहा है। गिरिराज सिंह का यह बयान इस राजनीतिक टकराव को और गहराई देने वाला साबित हो सकता है। जहां एक ओर एनडीए विकास और स्थिरता की बात कर रहा है, वहीं महागठबंधन बेरोजगारी, शिक्षा और कानून-व्यवस्था के मुद्दे उठा रहा है। बिहार की राजनीति इस समय उबाल पर है। एक ओर सत्तारूढ़ एनडीए विकास और सुशासन की उपलब्धियां गिना रहा है, वहीं विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रहा है। गिरिराज सिंह के इस बयान ने चुनावी माहौल को और भी अधिक गरमा दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसकी बातों पर भरोसा जताती है — “विकास के वादों” पर या “परिवर्तन के नारों” पर। बिहार की राजनीति आने वाले दिनों में और भी अधिक रोमांचक मोड़ लेने वाली है।


