मानसून सत्र का चौथा दिन आज, उपमुख्यमंत्री के इस्तीफे को लेकर हंगामा करेगा विपक्ष

  • चौथे दिन भी हंगामे के आसार, तीन दिनों में सिर्फ 69 मिनट ही चली विधानसभा की कार्यवाही

पटना। बिहार के मानसून सत्र के चौथे दिन भी विधानसभा और विधान परिषद में हंगामे और कार्यवाही बाधित होने की संभावना है। इसकी वजह है कि बीजेपी चार्जशीटेड डिप्टी सीएम से इस्तीफे और नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग पर अड़ी है। इन दोनों मांगों को लेकर पिछले तीन दिनों से बीजेपी लगातार सदन में सरकार को घेर रही है। स्थिति यह है कि तीन दिनों में सिर्फ 69 मिनट ही सदन की कार्यवाही चली। हालांकि, तेजस्वी इसे बीजेपी की साजिश बता रहे हैं। बीजेपी विधायकों का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार से समझौता नहीं किया है तो नौकरी के बदले जमीन मामले में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का इस्तीफा क्यों नहीं लिया ? राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति चौपट है। प्रतिदिन औसतन तीन हत्याएं हो रही हैं। गुरुवार को विधान परिषद में प्रश्नोत्तर काल के अलावा नियंत्रक महालेखा परीक्षक से प्राप्त बिहार सरकार का वर्ष 2019-20, वर्ष 2020-21 के स्थानीय निकायों पर वार्षिक तकनीकी निरीक्षण प्रतिवेदन और वर्ष 2021-22 के लिए राज्य के वित्त प्रतिवेदन की प्रति सदन में रखी जाएगी। इसके साथ ही बिहार लोक सेवा आयोग के वर्ष 2019-20 और 2020-21 के वार्षिक प्रतिवेदन की प्रति सदन में रखी जाएगी। इसके साथ ही पीरो प्रखंड के कोथआं में आई.टी.आई भवन निर्माण और चंदन नदी बाढ़ परियोजना के तहत तटबंध निर्माण में किसानों से ली गई रैयती जमीन का मुआवजा भुगतान से संबंधित ध्यानाकर्षण लाए जाएंगे। बुधवार को विधानसभा में लैंड फॉर जॉब्स मामले में बीजेपी डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का इस्तीफा मांग रही थी। इस पर उपमुख्यमंत्री ने जवाब दिया और कहा कि 2017 में चार्जशीट हुई है। 6 साल हो चुके हैं। मुझे उपमुख्यमंत्री की शपथ लेने से क्यों नहीं रोका। अब शपथ लेकर उपमुख्यमंत्री बन गया हूं तो सवाल उठा रहे हैं। सदन में तेजस्वी बोल रहे थे, तब भाजपा विधायक नीरज बबलू ने कुर्सी उठाकर विरोध किया। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा आचरण ना करें। इसको लेकर मुझे कार्रवाई करनी पड़ेगी। इसके साथ ही बीजेपी विधायकों ने कागज फाड़कर सदन में उड़ाए। इस पर तेजस्वी यादव ने कहा है कि विपक्ष में जो लोग बैठे हैं, उन्हें देख कर लगता ही नहीं है कि वे विधायक हैं। विधायक का जो आचरण होता है, वह इनमें नहीं दिखता है।

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