पटना में शॉर्ट सर्किट से डब्बा दुकान में लगी भीषण आग, फायर ब्रिगेड की 12 गाड़ियों ने पाया काबू

पटना। शहर के व्यस्त और घनी आबादी वाले इलाके कदमकुंआ में गुरुवार की भोर में एक भीषण अग्निकांड की घटना सामने आई, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को भयभीत किया बल्कि शहर के अग्निशमन तंत्र को भी गंभीर चुनौती दी। यह घटना लंगरटोली स्थित एक डब्बे की दुकान में घटी, जहां शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई और देखते ही देखते पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई।
रात के सन्नाटे में लगी आग
घटना की शुरुआत गुरुवार सुबह करीब 2:20 बजे हुई। उस समय अधिकतर लोग नींद में थे, लेकिन अचानक धुएं और लपटों ने पूरे इलाके को जगा दिया। स्थानीय लोगों ने स्थिति को भांपते हुए तुरंत फायर कंट्रोल रूम को सूचना दी। कुछ लोगों ने अपने स्तर से आग बुझाने का भी प्रयास किया, लेकिन आग की तीव्रता इतनी अधिक थी कि उन्हें पीछे हटना पड़ा।
फायर ब्रिगेड की त्वरित कार्रवाई
सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची। आग को नियंत्रित करने के लिए कुल 12 दमकल की गाड़ियों को बुलाना पड़ा। अनुमंडल अग्निशमन पदाधिकारी अजित कुमार के अनुसार, आग बुझाने की प्रक्रिया बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण रही। लपटें तेज थीं और दुकान ज्वलनशील सामग्री से भरी थी, जिससे आग तेजी से फैल रही थी। फायर ब्रिगेड की टीम को करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाने में सफलता मिली।
शॉर्ट सर्किट से फैली आग
दुकानदार सुनील कुमार के अनुसार, आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट रही। दुकान से सटे एक बिजली के पोल में बुधवार रात से ही चिंगारी की समस्या देखी जा रही थी। रात 8 बजे एक मिस्त्री को बुलाया गया था, जिसने पोल की मरम्मत की, लेकिन चिंगारी की समस्या बनी रही। अंततः देर रात यह चिंगारी दुकान के अंदर पहुंच गई और आग लग गई। इस घटना की वास्तविक वजह की जांच अभी की जा रही है।
रिहायशी इलाका होने से खतरा अधिक
घटना का स्थान पूरी तरह रिहायशी इलाका है, जिसमें आसपास कई दुकानें और मकान हैं। यदि समय रहते फायर ब्रिगेड की टीम नहीं पहुंचती, तो आग अन्य दुकानों और मकानों तक भी फैल सकती थी। इस स्थिति में जान-माल की भारी क्षति हो सकती थी। स्थानीय लोगों की सतर्कता और दमकल विभाग की तत्परता ने इस त्रासदी को एक बड़े हादसे में बदलने से बचा लिया।
स्थानीय लोगों की कोशिश
आग लगने के बाद स्थानीय निवासियों ने तत्काल पानी और बाल्टी लेकर आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन जब लपटें ज्यादा तेज हो गईं तो उन्हें पीछे हटना पड़ा। लोग पानी के डब्बे और बर्तन फेंकते हुए अपनी जान बचाने के लिए दौड़ पड़े। पूरे क्षेत्र में डर और बेचैनी का माहौल बन गया। यह घटना न केवल तकनीकी लापरवाही का परिणाम है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सार्वजनिक स्थानों पर बिजली के पोल और वायरिंग की समय-समय पर जांच कितनी जरूरी है। इस घटना में भले ही जान की क्षति नहीं हुई, लेकिन आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव की भरपाई आसान नहीं होती। सरकार और विद्युत विभाग को चाहिए कि ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं। साथ ही, आम लोगों को भी बिजली से जुड़ी गड़बड़ियों के प्रति सजग रहना चाहिए और समय पर संबंधित अधिकारियों को सूचित करना चाहिए।
