क्रिकेट मैच के विवाद में शुरू हुआ जातीय टकराव, अपहरण और दुष्कर्म के लगाए गए आरोप, कोर्ट पहुंचा मामला

भोजपुर/पटना। भोजपुर जिले के सहार थाना क्षेत्र अंतर्गत बरुहीं गांव में बच्चों के क्रिकेट खेलने के दौरान हुआ मामूली विवाद अब गहरी जातीय खाई में बदल चुका है। इस घटना ने धीरे-धीरे दो प्रमुख जातियों – कुशवाहा और यादव – के बीच तनाव को जन्म दे दिया है, जिसके कारण गांव का माहौल बेहद संवेदनशील हो गया है।
कुशवाहा समाज ने लगाए गंभीर आरोप
कुशवाहा समाज की ओर से दर्ज प्राथमिकी में यादव समाज के कुछ युवकों पर अपहरण, दुष्कर्म की कोशिश, जान से मारने की धमकी और अवैध हथियार लहराने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पीड़ित पक्ष के अनुसार, 6 जुलाई 2025 की सुबह लगभग 9 बजे गांव के विकास कुमार के किशोर भतीजे का कथित रूप से अपहरण करने की कोशिश की गई। इस घटना में अनिष यादव, राकेश यादव, दीपक यादव, भोला यादव, तोन्हा यादव, कमलेश यादव, शंकर यादव और भेड़िया यादव को नामजद किया गया है। विकास कुमार का कहना है कि जब किशोर को जबरन उठाने की कोशिश की गई, तो उसकी चीख-पुकार सुनकर ग्रामीण पहुंचे, जिसके बाद आरोपी हथियार लहराते हुए जान से मारने की धमकी देते हुए भाग गए।
महिला के साथ दुष्कर्म की कोशिश का आरोप
इस विवाद ने तब और गंभीर मोड़ ले लिया जब 10 जुलाई की शाम गांव की एक महिला मीरा देवी पर दुष्कर्म की कोशिश का आरोप सामने आया। पीड़िता के मुताबिक, जब वह शौच के लिए गई थीं, तो कुछ युवक पहले से शिव मंदिर के पास घात लगाए बैठे थे। उन्होंने महिला पर हमला कर कपड़े फाड़ दिए और दुष्कर्म की कोशिश की। महिला के शोर मचाने पर ग्रामीण पहुंचे और उसे हमलावरों से बचाया। मामले को लेकर सहार थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें बीएनएस की धारा 126(2), 74, 351(3), 352 समेत कई गंभीर धाराएं लगाई गई हैं।
घटना में कई लोग हुए घायल
इस जातीय तनावपूर्ण घटना के दौरान अभय सिंह, नरेन्द्र सिंह, चित्रंजन सिंह, रतन सिंह और दीपांशु कुमार के घायल होने की पुष्टि भी पुलिस द्वारा की गई है। फिलहाल मामले की जांच सहार थाने के एसआई सुधांशु कुमार कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि घटना की सभी कोणों से जांच की जा रही है।
यादव समाज ने किया आरोपों का खंडन
दूसरी ओर, यादव समाज ने इन सभी आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे कुशवाहा समाज द्वारा रची गई एक साजिश करार दिया है। उनका कहना है कि बच्चों के बीच हुए क्रिकेट खेल के मामूली विवाद को जातीय रंग देकर कुछ प्रभावशाली लोगों ने गंभीर धाराओं में फंसा दिया है। उनका यह भी दावा है कि जिन लोगों पर आरोप लगाए गए हैं, उनमें से कई घटना के समय अपने काम में व्यस्त थे। इसमें 18 चक्का ट्रेलर चलाने वाले कमलेश यादव का नाम विशेष रूप से लिया जा रहा है। उनके परिवारवालों का कहना है कि घटना के समय वे ड्यूटी पर थे और विवाद से कोई लेना-देना नहीं था। उन्हें सिर्फ जातिगत दुर्भावना के चलते फंसाया गया है।
पुलिस की सतर्कता और निष्पक्ष जांच का आश्वासन
गांव में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, जिसे देखते हुए पुलिस ने अतिरिक्त सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। सहार थाना प्रभारी का कहना है कि मामला संवेदनशील है और किसी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा। लेकिन अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गांव के हालात को देखते हुए पुलिस लगातार निगरानी कर रही है ताकि कोई अप्रिय घटना दोबारा न घटे। यह घटना बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक संतुलन बनाए रखने की चुनौती को दर्शाती है, जहां छोटी-छोटी घटनाएं जातीय टकराव में बदल जाती हैं और स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाता है।
