प्रदेश के बीएसईआईडीसी के कार्यपालक अभियंतान पर ईओयू की बड़ी कार्रवाई, पटना समेत तीन ठिकानों पर छापेमारी

पटना। बिहार की राजधानी पटना समेत तीन जिलों में उस समय हड़कंप मच गया जब आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की टीमों ने एक साथ छापेमारी शुरू कर दी। यह कार्रवाई बीएसईआईडीसी (बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम) के कार्यपालक अभियंता प्रमोद कुमार के खिलाफ की गई। प्रमोद कुमार पर आय से लगभग 309.61 प्रतिशत अधिक संपत्ति अर्जित करने का गंभीर आरोप है। यह कार्रवाई गुरुवार सुबह प्रारंभ हुई और इसमें ईओयू की कुल 6 टीमें शामिल थीं, जो पटना, सीतामढ़ी और सहरसा के अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं।
तीन जिलों में एक साथ दबिश
ईओयू की 2 टीमें पटना, 3 टीमें सहरसा और 1 टीम सीतामढ़ी में तैनात की गई हैं। पटना में प्रमोद कुमार के आवास और अन्य परिसरों पर तलाशी ली जा रही है। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 13(2) सहपठित धारा 13(1)(बी) के अंतर्गत दर्ज कांड संख्या 13/2025 के आधार पर की जा रही है, जिसकी प्राथमिकी 9 जुलाई 2025 को आर्थिक अपराध थाना में दर्ज की गई थी।
309% अधिक संपत्ति की पुष्टि
प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि अभियंता प्रमोद कुमार ने अपनी वैध आय के ज्ञात स्रोतों की तुलना में तीन गुना से भी अधिक संपत्ति अर्जित की है। यह अंतर 309.61 प्रतिशत तक पहुंचता है, जो आय के अनुपात में स्पष्ट भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। यह संदेह पहले से ही निगरानी एजेंसियों के पास था और पिछले कुछ महीनों से इसकी निगरानी की जा रही थी।
तलाशी के दौरान जुटाए जा रहे साक्ष्य
ईओयू की टीमें छापेमारी के दौरान सभी ठिकानों से दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, जमीन-जायदाद संबंधी कागजात, बैंक स्टेटमेंट और नकद धनराशि सहित अन्य आवश्यक साक्ष्य इकट्ठा कर रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि तलाशी पूरी होने के बाद ही स्पष्ट जानकारी साझा की जाएगी कि कुल कितनी संपत्ति बरामद हुई है और इसमें कितनी अवैध पाई गई है।
कई महीनों से थी नजर
ईओयू को लंबे समय से विश्वसनीय सूत्रों के माध्यम से इनपुट मिल रहे थे कि प्रमोद कुमार की संपत्ति उनके ज्ञात आय स्रोतों से मेल नहीं खा रही है। इसके बाद निगरानी एजेंसी ने जांच को गति दी और अदालत से सर्च वारंट प्राप्त कर छापेमारी की कार्रवाई की अनुमति ली। अब जांच इस दिशा में भी बढ़ाई जा रही है कि इन संपत्तियों को किन-किन माध्यमों से और किन लोगों की मिलीभगत से अर्जित किया गया है।
भविष्य की कार्रवाई और प्रभाव
प्रमोद कुमार के खिलाफ यह कार्रवाई न सिर्फ व्यक्तिगत रूप से उनके लिए बल्कि पूरे विभाग के लिए चेतावनी मानी जा रही है। सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत यह एक बड़ी कार्रवाई है। अब यह देखा जाना बाकी है कि आगे कितने और अधिकारी इस जांच के दायरे में आते हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत को फिर से रेखांकित किया है। प्रमोद कुमार पर की गई यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की सख्त नीति का संकेत देती है। अगर आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह न केवल अभियंता के खिलाफ सख्त दंड का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि अन्य अधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी स्वरूप उदाहरण बनेगा। जनता को अब ईओयू की जांच रिपोर्ट और कानूनी कार्यवाही की प्रतीक्षा है, जिससे पूरी सच्चाई सामने आ सके।

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