मधुबनी के ग्रामीण कार्य विभाग के अधीक्षण अभियंता के पटना समेत कई ठिकानों पर ईओयू की छापेमारी, अवैध धन अर्जन का आरोप, मचा हडकंप

पटना। बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई लगातार तेज होती जा रही है। गुरुवार को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने ग्रामीण कार्य विभाग, मधुबनी के अधीक्षण अभियंता विनोद कुमार राय के पटना समेत कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और भ्रष्टाचार से जुड़े गंभीर आरोपों के तहत की गई।
गंभीर आरोपों के घेरे में अधिकारी
ईओयू की जांच में यह सामने आया कि अधीक्षण अभियंता विनोद कुमार राय ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लगभग 3.38 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की है। यह उनकी ज्ञात आय से लगभग 69.35 प्रतिशत अधिक बताई गई है। इसी आधार पर आर्थिक अपराध थाना में कांड संख्या 24/2025 दर्ज किया गया। मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धाराओं के अंतर्गत पंजीकृत किया गया है।
छापेमारी के ठिकाने
माननीय न्यायालय से तलाशी वारंट प्राप्त करने के बाद ईओयू की टीम ने सुबह से ही अलग-अलग जगहों पर दबिश दी। जिन ठिकानों पर छापेमारी हुई, उनमें शामिल हैं—
समस्तीपुर के हसनपुर थाना क्षेत्र के खरहिया गांव में स्थित पैतृक आवास।
समस्तीपुर नगर थाना क्षेत्र के आदर्श नगर, सेक्टर-4 में स्थित आवास।
पटना के अगमकुआं थाना क्षेत्र स्थित भूतनाथ रोड, प्रोग्रेसिव कॉलोनी का आवास।
तीनों ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर ईओयू ने दस्तावेजों और संपत्तियों की तलाश शुरू की, जो देर शाम तक जारी रही।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
यह पहली बार नहीं है जब विनोद कुमार राय ईओयू की कार्रवाई के दायरे में आए हों। 23 अगस्त 2025 को भी उनके ठिकानों पर छापेमारी हुई थी। उस समय उनकी पत्नी ने छापेमारी से बचने के लिए नोटों के बंडल जलाने की कोशिश की थी, जो पूरे राज्य में चर्चा का विषय बनी थी। उस दौरान भी ईओयू ने नकदी और महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए थे। बाद में अभियुक्त को गिरफ्तार भी किया गया था।
ठेकेदारों से मिलीभगत के आरोप
ईओयू का कहना है कि विनोद कुमार राय ने अपने विभागीय पद का दुरुपयोग कर ठेकेदारों से मिलीभगत के जरिए अवैध लेन-देन किया और करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित की। छापेमारी में अब तक कई अहम दस्तावेज, बैंक खातों से जुड़े कागजात और जमीन-जायदाद से संबंधित दस्तावेज मिलने की जानकारी मिली है। अधिकारियों का मानना है कि विस्तृत जांच के बाद यह सामने आएगा कि उन्होंने कितनी बेनामी संपत्ति खड़ी की है।
बरामदगी और आगे की प्रक्रिया
ईओयू ने संकेत दिया है कि तलाशी के बाद जब्त दस्तावेजों और संपत्तियों का आकलन कर इन्हें सीज करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यदि जांच में और ठोस सबूत मिलते हैं, तो विनोद कुमार राय पर अतिरिक्त धाराएं भी लगाई जा सकती हैं। इससे यह स्पष्ट है कि जांच एजेंसी मामले को गंभीरता से देख रही है और भ्रष्टाचारियों को किसी भी हाल में बख्शने के मूड में नहीं है।
बिहार में बढ़ता दायरा
पिछले कुछ महीनों से बिहार में ईओयू ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान और तेज कर दिया है। विशेषकर ग्रामीण कार्य विभाग, शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग में कई अधिकारी जांच के घेरे मं आ चुके हैं। लगातार हो रही इन कार्रवाइयों ने सरकारी महकमे में हड़कंप मचा दिया है। अधिकारी वर्ग के बीच यह संदेश जा रहा है कि भ्रष्टाचार में लिप्त रहने वालों पर अब सख्त कार्रवाई होगी।
जनमानस की प्रतिक्रिया
मधुबनी और पटना समेत पूरे बिहार में इस छापेमारी की खबर तेजी से फैल गई। लोग इसे सरकार और जांच एजेंसियों की भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की दिशा में एक बड़ी पहल मान रहे हैं। ग्रामीण और शहरी इलाकों में चर्चा का विषय यही है कि क्या इस तरह की कार्रवाइयों से सरकारी कामकाज में सुधार आएगा और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। ग्रामीण कार्य विभाग के अधीक्षण अभियंता विनोद कुमार राय पर ईओयू की छापेमारी ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लगातार हो रही ये कार्रवाइयां न केवल भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कस रही हैं, बल्कि जनता के बीच यह संदेश भी दे रही हैं कि सरकार और एजेंसियां अब सक्रिय हो चुकी हैं। जांच पूरी होने के बाद विस्तृत जानकारी सामने आएगी, जिससे भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका अंदाजा और साफ हो सकेगा।
