बिहार के अभियंत्रण महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक के 1376 पद सहित 3000 पदों पर होगी नियमित नियुक्ति : मंत्री

पटना। बिहार सरकार द्वारा विज्ञान एवं प्रावैद्यिकी विभाग अन्तर्गत सात अभियंत्रण महाविद्यालय में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित विश्व बैंक सम्पोषित परियोजना तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन कार्यक्रम-तृतीय चरण के अन्तर्गत राष्ट्रीय परियोजना कार्यान्वयन एकक ( एनपीआईयू) द्वारा चयनित एवं अस्थायी ईंगेजमेंट के रूप में कार्यरत 198 सहायक प्राध्यापकों की सेवा को प्राप्त करने के लिए परियोजना समाप्ति की तिथि 31 मार्च के पश्चात पूर्व से जारी शर्त्त के अधीन 01 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक अथवा अभियंत्रण महाविद्यालयों के लिए सहायक प्राध्यापक के स्वीकृत पद पर नियमित नियुक्ति होने तक, जो भी पहले हो, राज्य योजना के अधीन परियोजना की अवधि विस्तार किये जाने का निर्णय लिया गया है। इन शिक्षकों के मानदेय पर आने वाले कुल 18 करोड़ 5 लाख 76 हजार रुपए का व्यय राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा। जबकि पूर्व में इनके मानदेय पर होने वाले शत-प्रतिशत व्यय का वहन परियोजना अन्तर्गत केन्द्र सरकार द्वारा किया जा रहा था। उक्त बातें विज्ञान एवं प्रावैद्यिकी मंत्री सुमित कुमार ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बताया।
उन्होंने कहा कि राज्य के अभियंत्रण महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक के रिक्त 1376 पद सहित लगभग 3000 पदों पर नियमित नियुक्ति के लिए भी बिहार लोक सेवा आयोग को अधियाचना प्रेषित है। नियमित नियुक्ति में भी इन शिक्षकों को प्रति वर्ष 5 अंक (अधिकतम 25 अंक) अधिमानता के रुप में दिये जाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि उक्त योजनार्न्तगत चयनित राज्य के 7 अभियंत्रण महाविद्यालयों में एमआईटी मुजफ्फरपुर, बीसीई भागलपुर, मोतिहारी अभियंत्रण महाविद्यालय, दरभंगा अभियंत्रण महाविद्यालय, गया अभियंत्रण महाविद्यालय, नालंदा कॉलेज आॅफ इंजीनियरिंग, चंडी एवं लोकनायक जयप्रकाश प्रौद्योगिकी संस्थान, छपरा है। तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन कार्यक्रम परियोजना का मुख्य उद्देश्य संस्थानों के प्रयोगशाला, कार्यशाला, पुस्तकालय आदि का आधुनिकीकरण किया जाना, संस्थानों की गुणवत्ता को वैश्विक स्तर पर लाये जाने के लिए संचालित पाठ्यक्रमों का अनिवार्य एक्रेडिटेशन नेशनल बोर्ड आॅफ एक्रेडिटेशन से कराया जाना ताकि एक्रेडिटेशन के पश्चात संस्थानों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ किया जा सके।

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