बिहटा से पालीगंज तक जनआवाज बनकर उभरे अमित्रजीत उर्फ बॉल बाबा, पत्रकारिता, भक्ति और जनसेवा का अनोखा संगम

बिहटा। बिहटा से पालीगंज तक एक नाम जो आज जनमानस की जुबान पर है, वह है अमित्रजीत उर्फ बॉल बाबा। वे सिर्फ पत्रकार नहीं हैं, बल्कि जनसरोकारों की ऐसी जीवित मिसाल हैं जिन्होंने पत्रकारिता को केवल खबरों की दुनिया तक सीमित नहीं रहने दिया, बल्कि उसे समाज परिवर्तन का माध्यम बना दिया है। पिछले 25 वर्षों से पटना ग्रामीण क्षेत्र में सक्रिय रहकर उन्होंने जो सामाजिक चेतना जगाई है, वह काबिले-तारीफ है। बॉल बाबा की रिपोर्टिंग में जो साफगोई, निडरता और जनहित की प्राथमिकता देखने को मिलती है, वह उन्हें अन्य पत्रकारों से अलग पहचान देती है। वे मुद्दों को सिर्फ कागज़ पर नहीं उतारते, बल्कि सड़कों पर उतरकर उनके समाधान की लड़ाई भी लड़ते हैं। चाहे कोई प्रशासनिक अनियमितता हो या किसी गांव में जनसमस्या, बॉल बाबा की लेखनी ने कई बार प्रशासन को हरकत में आने को मजबूर किया है। उनकी कलम ने न केवल खबर बनाई है, बल्कि बदलाव की लहर भी पैदा की है। बॉल बाबा का जीवन केवल पत्रकारिता तक सीमित नहीं रहा। वे धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। माताबन देवी के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा और विंध्याचल में होने वाले भजन-संध्याओं में उनकी नियमित भागीदारी उन्हें एक साधारण पत्रकार से अलग दर्जा देती है। संगीत और भक्ति से उनका जुड़ाव दर्शाता है कि वे आत्मा से भी समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं। बॉल बाबा की लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे आम लोगों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक के बीच में समान रूप से सम्मानित हैं। वे पत्रकार समाज में प्रेरणास्त्रोत माने जाते हैं और जनता उन्हें अपनी सच्ची आवाज समझती है। उनकी हर खबर में जनहित का भाव होता है और उनकी हर पहल का उद्देश्य समाज को जागरूक करना और जनसमस्याओं को आवाज़ देना होता है। बॉल बाबा की पत्रकारिता एक तरह का सामाजिक आंदोलन बन चुकी है। उन्होंने अपने कार्यों से यह सिद्ध किया है कि एक पत्रकार केवल सूचनाओं का वाहक नहीं, बल्कि समाज के लिए एक मार्गदर्शक और प्रहरी भी हो सकता है। उन्होंने पत्रकारिता के पेशे को जनसेवा, धर्म और संस्कृति से जोड़ा है और एक संतुलित, मानवीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। आज की युवा पत्रकार पीढ़ी के लिए बॉल बाबा का जीवन और कार्यशैली एक प्रेरणा है। उन्होंने पत्रकारिता में आदर्श, नैतिकता और जनजागरूकता का जो समन्वय स्थापित किया है, वह आने वाले पत्रकारों को दिशा देगा। उनकी सोच, कर्म और समर्पण ने पटना ग्रामीण मीडिया को एक नई पहचान दी है। अमित्रजीत उर्फ बॉल बाबा एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने पत्रकारिता को समाज सेवा, भक्ति और संस्कृति से जोड़ते हुए जनहित का सशक्त माध्यम बना दिया है। उनकी कर्मठता, निष्ठा और जनसरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें न सिर्फ एक सशक्त पत्रकार बनाती है, बल्कि एक सामाजिक नायक की छवि भी प्रदान करती है। उनकी कहानी पत्रकारिता की किताब में एक सुनहरा अध्याय है, जो आने वाले वर्षों तक प्रेरणा देता रहेगा। ये अपना गुरु अमृत वर्षा के संस्थापक रहे पारसनाथ तिवारी जी को मानते हैँ।
