October 29, 2025

राहुल गांधी का फिर चुनाव आयोग पर हमला, कहा- चुनाव का चौकीदार वोट चोरी देखता रहा, चोरों को बचाता रहा

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने हालिया बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से यह संकेत दिया कि देश के लोकतंत्र पर हमला हो रहा है और वोट चोरी जैसे मामलों को अनदेखा किया जा रहा है।
वोट चोरी का आरोप और चौकीदार की भूमिका
राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव का चौकीदार जागते हुए भी चोरी देखता रहा और चोरों को बचाता रहा। उनका यह बयान चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सीधे सवाल उठाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि मतदाता सूची से वोटों को हटाने का काम सुनियोजित तरीके से किया गया। राहुल गांधी ने व्यंग्यात्मक ढंग से कहा कि सुबह 4 बजे उठकर 36 सेकंड में 2 वोटर हटाए गए और फिर आराम से सो जाया गया। यह टिप्पणी उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किए गए 36 सेकंड के वीडियो के जरिए की।
लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प
राहुल गांधी ने लगातार इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि देश के युवा, छात्र और नई पीढ़ी संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि वोट चोरी के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी और वे हमेशा जनता के साथ खड़े रहेंगे। यह संदेश उन्होंने अपने प्रेस वार्ता और सोशल मीडिया पोस्ट दोनों के जरिए दिया।
कर्नाटक का संदर्भ और सीआईडी जांच
राहुल गांधी ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस उम्मीदवार द्वारा धोखाधड़ी उजागर किए जाने के बावजूद चुनाव आयोग ने जांच को रोकने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि सीआईडी ने 18 महीनों में 18 पत्र लिखकर सबूत मांगे, लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त ने जानकारी साझा नहीं की। उनके अनुसार, नाम हटाने की प्रक्रिया से जुड़े तकनीकी विवरण जैसे डेस्टिनेशन आईपी, डिवाइस पोर्ट और ओटीपी को भी छिपाया गया।
कांग्रेस उम्मीदवार की जीत और वोटों की गिनती
उन्होंने दावा किया कि यदि वोट चोरी पकड़ी नहीं जाती और 6,018 वोट डिलीट हो जाते तो कांग्रेस उम्मीदवार बीआर पाटिल चुनाव हार सकते थे। इस प्रकार, उनके अनुसार, यह मामला केवल तकनीकी गड़बड़ी नहीं बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का गंभीर प्रयास था।
चुनाव आयोग का खंडन
राहुल गांधी के आरोपों के तुरंत बाद चुनाव आयोग ने प्रेस बयान जारी करके इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। आयोग ने कहा कि मतदाता सूची से किसी भी वोट को ऑनलाइन हटाया नहीं जा सकता है। इसके लिए एक निश्चित प्रक्रिया होती है और बिना सुनवाई किसी का नाम सूची से हटाया जाना संभव नहीं है।
अलंद सीट का उदाहरण
आयोग ने स्पष्ट किया कि 2023 के विधानसभा चुनाव में अलंद विधानसभा क्षेत्र में कुछ मत हटाने की कोशिश जरूर की गई थी, लेकिन उसे असफल कर दिया गया। इस मामले में खुद चुनाव आयोग ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आयोग ने बताया कि 2018 में अलंद सीट से भाजपा के सुभाष गुट्टेदार विजयी हुए थे, जबकि 2023 में कांग्रेस के बीआर पाटिल जीते। यानी आरोपित वोट चोरी के बावजूद कांग्रेस उम्मीदवार की जीत हुई।
आयोग की सफाई और आरोपों पर प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने कहा कि राहुल गांधी के आरोप केवल मुख्य चुनाव आयुक्त की छवि धूमिल करने की कोशिश हैं। आयोग ने इसे कुत्सित प्रयास करार दिया और कहा कि इस मामले पर पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है।
दलितों, ओबीसी और आदिवासी मतदाताओं का मुद्दा
राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि वोट चोरी की यह प्रक्रिया खासतौर पर महिलाओं, दलितों, ओबीसी और आदिवासी मतदाताओं को निशाना बनाकर की गई। उनका कहना है कि इस तरह का कदम लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश है और समाज के कमजोर वर्गों को राजनीतिक रूप से हाशिये पर धकेलने की योजना का हिस्सा है। राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच यह विवाद लोकतंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। एक ओर राहुल गांधी इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं और युवाओं को आगे आने का आह्वान कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग अपने अधिकारिक बयान में आरोपों को बेबुनियाद और भ्रामक बता रहा है। यह बहस न केवल राजनीति में पारदर्शिता की जरूरत पर बल देती है बल्कि चुनावी प्रक्रियाओं की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।

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